नई दिल्ली: केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने सभी केंद्रीय सरकारी विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, बीमा कंपनियों और उपक्रमों से अगले साल मई तक 2011 और 2018 के बीच भ्रष्टाचार के लंबित मामलों की जांच पूरी करने को कहा है.
आयोग ने कहा कि इस तरह के मामलों को अंतिम रूप देने में किसी भी तरह की देरी न तो संगठन के हित में है और न ही संबंधित कर्मचारी के.
उसने कहा, ‘एक तरफ जहां अनुचित देरी एक भ्रष्ट लोक सेवक को अनुचित गतिविधियों में लिप्त होने के लंबे समय तक अवसर प्रदान करता है तो वही दूसरी ओर सतर्कता संबंधी मामलों को निपटाने में अनुचित देरी एक ईमानदार लोक सेवक के लिए नुकसानदायक है, जो विभिन्न कारणों की वजह से सतर्कता मामले में शामिल हो सकता है.’
आयोग ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाये कि सतर्कता से संबंधित मामले को एक उचित समय सीमा के भीतर उसके तार्किक निष्कर्ष पर ले जाया जाये. सीवीसी ने सतर्कता मामले में शामिल प्रत्येक चरण के लिए समय सीमा तय करते हुए बार-बार दिशा-निर्देश जारी किए हैं.
आयोग ने सभी केन्द्रीय सरकारी विभागों के सचिवों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों और बीमा कंपनियों तथा उपक्रमों को जारी अपने आदेश में कहा, ‘यह देखा गया है कि कुछ मामलों को समय पर तार्किक निष्कर्ष पर नहीं लाया जाता है और कई कारणों से संगठनों में लंबे समय तक लंबित रहते है.’
उसने कहा कि सीवीसी नियमित रूप से संबंधित संगठनों के साथ पुराने लंबित मामलों की समीक्षा कर रहा है और ज्यादातर पुराने मामलों को तार्किक निष्कर्ष पर लाने में उनके प्रयासों की सराहना की गई है.
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