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Friday, 22 November, 2024
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SC ने अवमानना मामले में कुणाल कामरा और कार्टूनिस्ट तनेजा को कारण बताओ नोटिस किया जारी

SC की आलोचना करने वाले ट्वीट्स के लिए कामरा और तनेजा को कोर्ट की अवमानना का सामना करना पड़ रहा है. तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने दोनों को 6 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए कहा, लेकिन कहा कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होने की आवश्यकता नहीं है.

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नई दिल्ली:  उच्चतम न्यायालय ने शीर्ष अदालत के खिलाफ कथित अवमाननाजनक ट्वीट करने के मामले में हास्य कलाकार कुणाल कामरा और कॉमिक आर्टिस्ट रचिता तनेजा को शुक्रवार को कारण बताओ नोटिस जारी किया.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम. आर. शाह की पीठ ने दोनों को अलग-अलग नोटिस जारी कर छह सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया. हालांकि पीठ ने अवमानना के अन्य मामलों में दोनों को सुनवाई के दौरान पेश होने से छूट दे दी.

शीर्ष अदालत ने कथित अवमाननाजनक ट्वीट के मामले में कामरा और तनेजा के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही करने के लिये दायर याचिकाओं पर बृहस्पतिवार को फैसला सुरक्षित रखा था.

अटॉर्नी जनरल के. वेणुगोपाल ने कामरा के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने पर सहमति देते हुए कहा था कि ट्वीट ‘खराब भावना’ के तहत किए गए थे और यह समय है जब लोग समझें कि शीर्ष अदालत पर ढिठाई से हमला करने पर अदालत अवमानना अधिनियम-1971 के तहत सजा हो सकती है.

इसी तरह, अटॉर्नी ने तनेजा के खिलाफ भी अवमानना की कार्यवाही शुरू करने पर सहमति दी थी. उन्होंने कहा था उच्चतम न्यायालय को बदनाम करने और न्यायपालिका के प्रति लोगों के भरोसे को कम करने के मकसद से इस तरह के ट्वीट किए गए.

उल्लेखनीय है कि किसी व्यक्ति के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए अदालत को अवमानना अधिनियम-1971 की धारा-15 के तहत अटॉर्नी जनरल या सॉलिसीटर जनरल की सहमति लेनी होती है.

उच्चतम न्यायालय की आपराधिक अवमानना के लिए 2,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है और छह महीने तक की कैद हो सकती है.

क्या हुआ था सुनवाई में

बृहस्पतिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस नरसिम्हा ने शीर्ष अदालत को बताया कि ट्वीट में मामले के गुण-दोष पर अंशमात्र भी चर्चा नहीं की गयी बल्कि न्यायालय की कार्यवाही को सनसनीखेज बनाया गया.

बता दें कि न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि तनेजा के खिलाफ कानून के छात्र आदित्य कश्यप की याचिका को अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने अपनी मंजूरी दी है.

अधिवक्ता ने कहा कि हमारे पास अटॉर्नी जनरल की स्पष्ट राय है कि यहां अवमानना का मामला बनता है. उन्होंने कहा कि अटॉर्नी जनरल की राय है कि न्यायपालिका के प्रति लोगों के भरोसे को खत्म करने के मकसद से इस तरह के ट्वीट किए गए.

वेणुगोपाल ने तनेजा के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए याचिका पर कश्यप को अपनी सहमति दे दी थी. वेणुगोपाल ने कहा था, ‘मैं मानता हूं कि कार्टून के साथ जुड़े प्रत्येक ट्वीट उच्चतम न्यायालय की अवमानना करने वाले थे. इसलिए मैं अदालत की अवमानना कानून 1971 के तहत कार्यवाही शुरू करने पर अपनी सहमति प्रदान करता हूं.’

कश्यप ने अधिवक्ता नामित सक्सेना के आध्यम से दायर याचिका में कहा है कि तनेजा द्वारा तस्वीरों के साथ पोस्ट किये गये तीन ट्वीट के आधार पर उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही याचिका दायर करने के लिये पांच दिसंबर को उन्हें अटार्नी जनरल से लिखित सहमति मिल गयी थी. ये ट्वीट कथित रूप से उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों और उनके फैसलों के प्रति घृणित, अपमानजनक और जानबूझ कर आक्षेप लगाने वाले थे.

याचिका में कहा गया कि तनेजा की ये पोस्ट वायरल हुयीं और न्यायपालिका की संस्था पर हमला करने वालों ने इसे खूब साझा किया.

याचिका के अनुसार तनेजा सोशल मीडिया को प्रभावी करने वाली हैं और उनके विभिन्न मंचों पर हजारों फालोअर्स हैं.

याचिका में तनेजा को सोशल मीडिया पर ऐसी अपमानजनक पोस्ट प्रकाशित करने से रोका जाये जो शीर्ष अदालत को बदनाम करते हों और उसकी सत्ता को कम करते हों.


यह भी पढ़ें: कुणाल कामरा के ट्वीट्स पर अवमानना का मामला चलेगा या नहीं, इस पर कल फैसला करेगा सुप्रीम कोर्ट


 

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