नई दिल्ली: मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे के नेतृत्व वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने तीनों कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि वो अभी इसकी वैधता के बारे में कुछ भी फैसला नहीं करेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फिलहाल के लिए वो किसानों के प्रदर्शन और नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर बात करेगा. अदालत ने आज इस मामले पर कोई फैसला नहीं सुनाया है.
सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल से पूछा कि क्या सरकार ये आश्वासन दे सकती है कि जब तक ये मामला अदालत में है तब तक इस कानून के तहत कोई निर्णय न लिया जाए.
सीजेआई बोबडे ने कहा कि हम कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने के मौलिक अधिकारों को सही ठहराते हैं और इसे रोकने का कोई सवाल ही नहीं है. लेकिन एक बात स्पष्ट हो कि इससे किसी के जीवन को नुकसान न पहुंचे.
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसानों को प्रदर्शन करने का अधिकार है और उसमें वो हस्तक्षेप नहीं करेगा. साथ ही शीर्ष अदालत ने ये भी कहा कि प्रदर्शन करने के तरीके को लेकर वो केंद्र से पूछेगी ताकि नागरिकों को कोई परेशानी न हो.
बोबडे ने ये भी कहा कि आप (किसान) हिंसा नहीं कर सकते और शहर को इस तरह जाम कर के नहीं रख सकते.
बोबडे ने कहा कि जब तक किसी प्रोपर्टी और जानमाल को नुकसान नहीं होता है तब तक प्रदर्शन संवैधानिक है. उन्होंने कहा कि केंद्र और किसानों को बात करनी होगी. हम एक ऐसी स्वतंत्र समिति पर विचार कर रहे हैं जहां दोनों पार्टियां बात कर सके.
जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश बोबडे ने कृषि जानकार पी साईनाथ, भारतीय किसान संघ और अन्य संगठनों के सदस्यों को मिलाकर एक स्वतंत्र समिति बनाने का प्रस्ताव भी सुझाया.
बोबडे ने कहा कि समिति जो भी विश्लेषण देगी उसका पालन करना चाहिए. लेकिन इस बीच प्रदर्शन जारी रह सकता है.
सीजेआई ने कहा, ‘हम भी भारतीय हैं और किसानों की दशा के बारे में जानते हैं.’
पंजाब सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील पी चिदंबरम ने कहा कि ज्यादातर किसान पंजाब से हैं. उन्होंने कहा कि राज्य को इसमें कोई दिक्कत नहीं है कि कोई समूह किसानों और केंद्र के बीच वार्ता को आगे बढ़ाए.
चिदंबरम ने कहा कि ये किसानों और केंद्र पर है कि समिति में कौन होंगे.
अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि प्रदर्शन कर रहे किसान मास्क नहीं पहन रहे हैं और वे बड़े संख्या में हैं. उन्होंने कहा कि कोविड-19 एक बड़ी चिंता है. यही किसान अपने गांव जाएंगे और वहां संक्रमण फैलाएंगे.
वेणुगोपाल ने कहा कि किसान दूसरों के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं कर सकते.
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