नई दिल्ली: दिल्ली में कोविड-19 में आए ताज़ा उछाल के बीच, होम आईसोलेशन गाइडलाइन्स का पालन न करने वालों के खिलाफ, शहर भर में कम से कम 73 प्राथमिकियां (एफआईआर्स) दर्ज की गई हैं.
बहुत से लोगों को कोविड-19 केयर, या क्वारंटीन सेंटर्स में भी भेजा जा रहा है, और उन्हें कड़ी चेतावनियां दी जा रही हैं, ताकि वो ‘सुपर स्प्रैडर’ न बन जाएं.
ज़िला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की एक बैठक के बाद, नवंबर के अंतिम सप्ताह में एक आदेश जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि होम आईसोलेशन गाइडलाइन्स तोड़ने वालों के खिलाफ, ‘कड़ी से कड़ी कार्रवाई’ की जाएगी.
आदेश में कहा गया, ‘स्वास्थ्य टीमों को होम आईसोलेशन कर रहे मरीज़ों के पास, नियमित रूप से जाकर उनका मूल्यांकन करना चाहिए, ताकि आईसोलेशन मानकों का पालन सुनिश्चित हो सके’.
इस बात को देखते हुए, कि होम आईसोलेशन में रह रहे कुछ कोरोनावायरस मरीज़, नियमों का पालन नहीं कर रहे थे, दिल्ली के ज़िला अधिकारियों को हिदायत दी गई, कि सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स और म्यूनिसिपल सैनिटरी इंस्पेक्टर्स जैसे, और अधिक मानव संसाधनों को चिन्हित करें, और उन्हें कोविड-उपयुक्त व्यवहार को लागू कराने के काम में लगाएं.
ज़िला अधिकारी इन कथित नियम तोड़ने वालों के खिलाफ, भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (सरकारी कर्मचारी के आदेशों का उल्लंघन) के तहत मुक़दमे दर्ज कर रहे हैं. इसमें अधिकतम एक महीने की क़ैद, या 200 रुपए जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं.
दिल्ली सरकार के ताज़ा स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार, बुधवार दोपहर तक कुल 18,423 लोग होम आईसोलेशन में थे. दिप्रिंट ने जिन निगरानी अधिकारियों और मुख्य ज़िला चिकित्सा अधिकारियों से बात की, उनका कहना था कि स्थानीय निवासियों से निपटना मुश्किल हो रहा है, जो होम आईसोलेशन मॉड्यूल को उतनी गंभीरता से नहीं ले रहे, जितना लेना चाहिए.
दिल्ली में कोविड-19 मरीज़ों को 14-17 दिनों के लिए होम क्वारंटीन किया जाता है, जिसके दौरान ज़िला स्वास्थ्य विभाग की टीमों को, फोन कॉल्स और फिज़िकल दौरों के ज़रिए, उनकी सेहत और उनकी जगह नियमित रूप से चेक करनी होती है.
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‘काम नहीं छोड़ना चाहता’
साउथ-वेस्ट के अतिरिक्त ज़िला मजिस्ट्रेट (एडीएम) राकेश दाहिया ने कहा, कि बहुत से निवासी जिन्हें होम आईसोलेशन के लिए कहा गया था, बाहर निकलते हुए पाए गए.
दाहिया ने दिप्रिंट से कहा, ‘उनमें से बहुतों को लगता है, कि वो काम नहीं छोड़ सकते, वो ये नहीं समझते कि अगर वो कोविड-19 पॉज़िटिव हैं, या किसी पॉज़िटिव मरीज़ के संपर्क में आए हैं, तो वो अपने नियोक्ता को भी जोखिम में डाल रहे हैं’.
उन्होंने कहा कि जब से कोविड-19 मामलों में उछाल आया है, तब से पिछले पखवाड़े में ज़िले के अंदर, आईपीसी की धारा 188 के तहत आछ प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं.
पश्चिम ज़िले में, जहां अधिकारी होम आईसोलेशन गाइडलाइन्स उल्लंघन के मामलों को एक ‘बाधा या परेशानी’ की श्रेणी में रखते हैं, ऐसे लोगों के खिलाफ 15 प्राथमिकियां दर्ज हुई हैं, जिन्हें होम आईसोलेशन में रहना था, और जो शादियों के कार्ड बांटते हुए, या बाज़ार जाते हुए पाए गए.
एडीएम, पश्चिम, धर्मेंद्र सिंह ने कहा, ‘औचक निरीक्षणों में हमने ये रुझान देखा है, कि नियमों के उल्लंघन के मामले, यहां निचले वर्ग या ग्रामीण क्षेत्रों में ज़्यादा आम हैं, जबकि यहां उनके बीच मामले कम हैं’.
लेकिन, दिल्ली में विपक्षी दलों ने प्राथमिकियां दर्ज कराए जाने पर चिंता जताई है. दिप्रिंट से बात करते हुए, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि ऐसी असंवेदनशील कार्रवाइयां, वैसी ही हैं जैसे नरेंद्र मोदी सरकार ने, प्रवासी मज़दूरों को चेतावनी दिए बिना, लॉकडाउन घोषित कर दिया था.
उन्होंने कहा, ‘ये न सिर्फ राजनीतिक नेतृत्व, बल्कि सरकारी मशीनरी की भी असंवेदनशीलता है, कि वो ज़मीनी वास्तविकता की अनदेखी कर रहे हैं’. विकल्प के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, कि ज़रूरी ये है कि इसके लिए कुछ अलग हटकर समाधान खोजे जाएं, और ख़ासकर ग़रीब लोगों को, आपराधिक मामलों की धमकी देने की बजाय, होम आईसोलेशन को सुविधाजनक बनाया जाए.
कुछ हितधारकों का कहना है कि उनकी जीविका दांव पर लगी है. ग्रेटर कैलाश में एक घरेलू काम करने वाली, 33 वर्षीय शालीन ने कहा कि वो बिना बाहर जाए नहीं रह सकती, क्योंकि उसे चार सदस्यों के अपने परिवार को पालना है.
उसने कहा, ‘मेरे पति आरएमएल अस्पताल में काम करते हैं, और ज़ाहिर है वो कोविड-19 पॉज़िटिव मरीज़ों के संपर्क में आ जाते हैं, इसलिए एक बार उन्हें क्वारंटीन के लिए कहा गया’. उसने आगे कहा, ‘चूंकि वो हमारे संपर्क में आए, इसलिए हमें भी कहा गया, कि 14 दिन तक घर से बाहर न निकलें. लेकिन मुझे अपनी तनख़्वाह, काम के दिनों के हिसाब से मिलती है, इसलिए मैं कैसे बाहर नहीं जा सकती थी’.
नियम तोड़ने वाले पूरे शहर में
दक्षिण ज़िले ने सबसे पहले नियम तोड़ने वालों के खिलाफ, मामले दर्ज करने शुरू किए थे, जहां कुछ प्राथमिकियां जून में ही दर्ज कर ली गईं थीं. डीसीपी साउथ अतुल ठाकुर ने दिप्रिंट को बताया, कि 30 नवंबर तक दक्षिण ज़िले में 50 लोगों के खिलाफ, होम आईसोलेशन गाइडलाइन्स तोड़ने के आरोप में मुक़दमे दर्ज किए गए हैं.
लेकिन उत्तर-पश्चिम ज़िले में ज़्यादा ध्यान, औचक मुआयनों और निवासियों को ये समझाने पर दिया जा रहा है, कि घरों के अंदर रहें या फिर क्वारंटीन केंद्रों पर चले जाएं. ज़िला मजिस्ट्रेट चेस्टा यादव ने कहा, कि उन्हें ज़िले के किसी भी एसडीएम से, इस बारे में कोई बड़ी शिकायत नहीं मिली है.
दक्षिण-पूर्वी ज़िले में भी ऐसी ही स्थिति है. डीएम विश्वेंद्र सिंह ने कहा, ‘मैं निवासियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज नहीं करना चाहता, जब तक मैं संतुष्ट न हो जाऊं कि चेतावनी दिए जाने, या दक्षिण-पूर्वी ज़िले के हमारे कोविड केयर सेंटर्स, अथवा क्वारंटीन सेंटर्स में भेजे जाने के बाद भी, वो गाइडलाइन्स का पालन नहीं करेंगे’.
दक्षिण-पूर्वी दिल्ली की निगरानी अधिकारी, डॉ स्तुति ने कहा कि कम से कम 45-50 लोग, जो होम आईसोलेशन गाइडलाइन्स तोड़ते पाए गए थे, यहां क्वारंटीन सेंटर्स में शिफ्ट कर दिए गए हैं.
केंद्र द्वारा निर्धारित प्रोटोकोल के अनुसार, जिसका दिल्ली पालन कर रही है, होम आईसोलेशन से गुज़र रहे कोविड-19 मरीज़ को, लक्षण ज़ाहिर होने के 10 दिन के बाद, डिस्चार्ज किया हुआ माना जाता है, अगर उस व्यक्ति को लगातार तीन दिन तक बुख़ार न रहे.
उसके बाद, मरीज़ को सलाह दी जाती है, कि वो घर पर अलग रहे और अतिरिक्त सात दिन ख़ुद पर नज़र रखे. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से, 2 जुलाई को जारी गाइडलाइन्स में कहा गया है, कि होम आईसोलेशन की अवधि पूरी होने के बाद, टेस्टिंग की ज़रूरत नहीं है, लेकिन डिस्चार्च किए हुए हर व्यक्ति को, ज़िला अधिकारियों से एक फिटनेस सर्टिफिकेट लेना होगा.
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