रायपुर : छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों के निशाने पर अब माओवादियों का टॉप नेतृत्व होगा. दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार सीपीआई (माओवादी) की सेंट्रल कमेटी (सीसी) के सदस्यों को सुरक्षा देने वाली सशस्त्र सेंट्रल रीजनल कमांड (सीआरसी) की टुकड़ी को घेरने के लिए सीआरपीएफ की पांच नई बटालियनों की स्थापना जल्द की जाएगी.
राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्रीय गृह मंत्रालय के सुरक्षा सलाहकार विजय कुमार की हाल ही में हुई छत्तीसगढ़ के दौरे का मकसद इस बात की टोह लेना था कि नक्सलियों के मेंटर माने जाने वाले सीसी के सदस्यों को कैसे घेरा जाए. दिप्रिंट को सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि कुमार के दौरे का फोकस सुकमा और बिजापुर जिलों के बीच नक्सलियों के कोर क्षेत्र में सीआरसी का बेस था.
एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि ‘यहां सीसी के 3-4 सदस्य 24 घंटे सीआरसी के सुरक्षा घेरे में रहते हैं. इस सीआरसी टुकड़ी में करीब 100 से अधिक सशस्त्र नक्सली शामिल हैं. सीआरपीएफ के कैम्प लगाने का मुख्य उद्देश्य सीआरसी को घेरना है.’ इस अधिकारी ने यह साफ किया कि एक बार सीआरसी को घेर लिया तो मानो नक्सलियों के अंत की शुरुआत हो गई. यह माओवादियों के नेतृत्व पर सीधी चोट होगी.
बीजापुर के एसपी काम लोचन कश्यप ने दिप्रिंट को बताया कि सीआरपीएफ की पांच नई बटालियनों की तैनाती का मुख्य मकसद नक्सलियों के कोर क्षेत्र को घेरना है. आने वाले दिनों में ऑपरेशन्स के मुख्य क्षेत्र वही होंगे.
इसी क्षेत्र में माओवादियों की विशेष टुकड़ियों का मूवमेंट होता है. यहां तक कि सबसे ज्यादा प्रभावित नारायणपुर जिले के माओवादी भी इसी क्षेत्र में ज्यादा सक्रिय रहते हैं. एक अन्य पुलिस अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि वर्तमान में सीआरसी की सबसे ज्यादा सक्रियता सुकमा और बिजापुर के बॉर्डर क्षेत्रों में रहती है.
हमारी जानकारी के मुताबिक यहां सक्रिय सीआरसी में करीब 100 नक्सली 3-4 सीसी सदस्यों को सुरक्षा दे रहें हैं. यदि इन्हें घेर लिया जाता है तो छत्तीसगढ़ में माओवाद की उलटी गिनती की शुरुआत माना जा सकता है. बता दें कि माओवाद प्रभावित राज्यों में नक्सलियों के सभी प्रकार के निर्णय सीपीआई (माओवादी) के सीसी सदस्य ही लेते हैं. पूरे प्रदेश में नक्सली गतिविधियों पर इनका पूर्ण वर्चस्व होता है.
दंतेवाड़ा जिले के पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव कहते हैं, ‘सुरक्षाबलों द्वारा मोस्ट वांटेड और खतरनाक नक्सली नेता हिड़मा के नेतृत्व वाली बटालियन-1 भी इसी क्षेत्र में सक्रिय है. नए कैम्प खुलने से माओवादियों के संपर्क सूत्र कमजोर होंगे और उनके मूवमेंट पर रोक लगेगी. इससे हिड़मा और उसकी टुकड़ी को भी घेरने में काफी सहायता मिलेगी.’
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कुमार ने अपने दौरे में राज्य पुलिस और सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों से दंतेवाड़ा, जगदलपुर, सुकमा और बिजापुर में नक्सलियों की पूरी जानकारी ली. लेकिन चर्चा का मुख्य विषय सुकमा-बीजापुर जिलों के वे पांच क्षेत्रों थे जिनको नक्सलियों का कोर क्षेत्र माना जाता है. यही पर हिड़मा की बटालियन-1 और सीआरसी की टुकड़ी भी सक्रिय हैं.
हालांकि, अधिकारियों ने ऑन रिकॉर्ड जानकारी साझा करने से मना किया. लेकिन अनौपचारिक तैर पर साफ-साफ बताया कि सीआरपीएफ की पांच नई बटालियनों कि तैनाती के लिए सुकमा और बीजापुर के बीच स्थानों का चयन कर लिया गया है और इस दिशा में काम जल्द शुरू कर दिया जाएगा. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार ‘सीआरपीएफ के अधिकारियों और जवानों का एक बड़ा दल बस्तर पहुंच चुका है और इनका इंडक्शन कोर्स भी चल रहा है. कैम्प स्थापित करने की कवायद इसके बाद चालू की जाएगी.’
बस्तर के पुलिस महानिरिक्षक सुन्दरराज पी का कहना है कि,’सुरक्षा कारणों से ज्यादा जानकारी साझा नहीं की जा सकती लेकिन सीआरपीएफ के नए कैम्प सुकमा और बीजापुर के दक्षिणी क्षेत्रों में स्थापित किए जाएंगे. ये क्षेत्र नक्सलियों का गढ़ माने जा रहे हैं. इसका एक कारण यह भी है माओवादियों के दूसरे गढ़ माने जाने वाले उत्तरी बस्तर और दरभा घाटी में उनकी पकड़ धीरे-धीरे कमजोर हो रही है जिससे नक्सलियों की सक्रियता अब यहां अधिक बढ़ गई है. सीआरपीएफ कैम्प स्थापित होने के बाद माओवादियों के अन्तःजिला मूवमेंट पर भी रोक लगेगी.
पांच क्षेत्र जहां सीआरपीएफ के कैम्प लगेंगे
अधिकारियों ने सुरक्षा के दृष्टिगत यह बताने से मना कर दिया कि सीआरपीएफ के कैम्प पुख्ता तौर पर कहां लगेंगे, लेकिन यह बताया कि राज्य पुलिस हेडक्वार्टर ने 27 नवंबर को जारी अपने एक आदेश में पांच क्षत्रों की जानकारी दी है. आदेश में कहा गया है कि सीआरपीएफ बटालियन के कैम्प मुख्यतः पामेड़, मिनपा, कोटापल्ली और जगरगुंडा-बासागुड़ा क्षेत्रों में स्थापित होंगे. दर असल सीआरपीएफ के कैम्प लगाने के लिए स्थानों का चयन और लॉजिस्टिक सहायता की जवाबदेही राज्य पुलिस की होती है. कैम्पों को स्थापित करने में संबंधित जिले के एसपी का मुख्य रोल होता है.
150 किलोमीटर सीधा और करीब 1500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल आएगा घेरे में अधिकारियों के अनुसार पांच बटालियन के कैम्प लगने का अर्थ है कि यहां 30 सीआरपीएफ कंपनियां लगेंगी. इनके बीच में करीब 5-6 किलोमीटर का फासला होगा जिससे सुकमा और बीजापुर जिलों के बीच करीब 150 किलोमीटर की दूरी सीधे कवर हो जाएगी. इस तरह कुल 1500 वर्ग किलोमीटर के धुर नक्सली क्षेत्र में सरकार और पुलिस की पहुंच बढ़ जाएगी जहां अबतक माओवादियों का रॉज है.