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Thursday, 28 March, 2024
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माओवादियों को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए रिफार्म कोर्स तैयार कर रही बस्तर पुलिस, जेल में लगेंगी कक्षाएं

पुलिस अधिकारियों के अनुसार इस कोर्स मैन्युअल का स्तर तय करने से पहले जेल में बंद माओवादियों की सोच और मानसिकता की मैपिंग की जा रही है. इसके बाद उनके सुधार का आंकलन किया जाएगा और कोर्स मटेरियल तैयार होगा.

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रायपुर: माओवादी विचारधारा पर चोट करने के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस सरेंडर और गिरफ्तार हुए नक्सलियों के लिए एक सुधार पाठ्यक्रम की शुरुआत करने जा रही है. जानकारी के अनुसार इसके तहत एक सुधार (रिफार्म) कोर्स तैयार कर जेल में विशेष कक्षाओं के माध्यम से गिरफ्तार माओवादियों की नक्सलवाद के प्रति सोच को बदला जाएगा.

इस पूरे अभियान की शुरुआत दंतेवाड़ा जेल से होगी जहां अभी करीब 600 माओवादी बंदी हैं.

बस्तर क्षेत्र में माओवाद विरोधी अभियान का नेतृत्व कर रहे पुलिस अधिकारियों का कहना है कि 90 प्रतिशत से भी ज्यादा सरेंडर करने वाले और गिरफ्तार माओवादी यह भी नहीं जानते कि वे यह लड़ाई क्यों लड़ रहे हैं.

पुलिस अधिकारियों के अनुसार माओवादियों को नहीं मालूम की संविधान क्या है, उनका अधिकार और उसके प्रति उनका दायित्व क्या है. उन्हें सिर्फ यही बताया गया है कि पुलिस और सरकार उनके सबसे बड़े दुश्मन हैं जिनका विरोध हर हाल में करना है.

पुलिस अधिकारियों के अनुसार प्रदेश के युवा आदिवासियों की अनभिज्ञता का फायदा उठाकर माओवादी नेता उन्हें सरकार के खिलाफ उकसाते हैं. उनको जैसा पाठ पढ़ाते हैं वे वैसा ही करते हैं क्योंकि उन्हें दूसरे पहलू की कोई जानकारी नहीं होती.

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स्थानीय भाषा में होगा मैन्युअल

पुलिस अधिकारियों के अनुसार इसका एक प्रमुख कारण आदिवासी युवाओं को कम उम्र में माओवादियों द्वारा अपने कैडर में भर्ती करना है. इससे माओवादी इन युवाओं की सोच और समझ अपने अनुसार आसानी से ढाल देते हैं. रिफार्म कोर्स के द्वारा जेल में बंद माओवादियों, जिसमें अधिकतर 25-35 साल के हैं, की सोच बदलकर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ा जा सकता है.

इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर बस्तर पुलिस एक रिफार्म कोर्स मैनुअल तैयार कर रही है जिसके तहत माओवादियों को सरकार, जनता, शासन, प्रशासन और समाज के प्रति संवेदनशील और सहभागिता का पाठ पढ़ाया जाएगा. पूरा मसौदा गोंडी भाषा में तैयार किया जाएगा जिसमें पठन पाठन की लिखित सामग्री के अलावा वीडियो और ऑडियो कंटेंट्स भी होंगे.

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले माओवादियों को अध्ययन के जरिए रिफार्म के उपाय नहीं किए गए हैं. ऐसे में ये बड़ी कवायद साबित हो सकती है.

दिप्रिंट से बात करते हुए बस्तर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और आईजी सुन्दराज पी ने बताया, ‘जेल में बंद माओवादियों के लिए यह एक सुधार और समझाइश का कोर्स होगा जिसका मकसद उनके सोच पर असर डालना है. यह पहला अवसर होगा जब माओवादियों के सुधार के लिए इस तरह की कक्षाओं के लिए विधवत कोर्स और अध्यन मटेरियल तैयार किया जा रहा है.’

सुंदरराज पी ने कहा कि इससे माओवादियों द्वारा स्थानीय जनजातीय युवाओं का किए जाने वाले इंडोक्टराइनेशन (भावना) पर बड़ी चोट होगी. वे यह भी समझेंगे कि पुलिस और सरकार उनके दुश्मन नहीं बल्कि हितैषी हैं.

अधिकारियों का कहना है कि गिरफ्तार और आत्मसर्पित माओवादियों के अलावा इस कोर्स मैन्युअल का इस्तेमाल आगे चलकर उनके परिवार और बाद में समाज के स्तर पर भी किया जाएगा. पुलिस के अनुसार इसका उद्देश्य ग्रामीणों को माओवादियों की प्रलोभन में आने से बचाना है.

कैसे तैयार किया जाएगा कोर्स मैन्युअल

पुलिस अधिकारियों के अनुसार इस कोर्स मैन्युअल का स्तर तय करने से पहले जेल में बंद माओवादियों की सोच और मानसिकता की मैपिंग की जा रही है. इसके बाद उनके सुधार का आंकलन किया जाएगा और कोर्स मटेरियल तैयार होगा.

दंतेवाड़ा पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव के अनुसार, ‘जेल में माओवादियों की सोच के स्ट्रक्चर का आंकलन करने के लिए करीब 100 बिंदुओं की एक स्केल तैयार की गई है जिसपर उनसे टिप्पणी ली जाएगी और फिर कोर्स मैन्युअल तैयार किया जाएगा. इससे हमें पता चल जाएगा की इनकी सोच और मानसिकता कितनी विरोधाभासी है और उसमें किस स्तर के सुधार की आवश्यकता है.’

उन्होंने कहा कि यह पाठ्यक्रम ‘बदलेम एड़का ‘ या ‘बदलता मन ‘ टाइटल के तहत चलाया जाएगा.


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रिफार्म कोर्स मैन्युअल के मुख्य बिन्दु

दंतेवाड़ा जेल में बंद गिरफ्तार माओवादियों के लिए पुलिस द्वारा तैयार किया गया सुधार कोर्स मुख्य रूप से 11 भागों में होगा.

इसमें नक्सलवाद और नक्सली संगठन से जुड़ाव, क्या है नक्सली अत्याचार, नक्सलवाद से आदिवासी कला और संस्कृति का होता लोप, ग्रामीणों की आर्थिक हानि, भारतीय संविधान के अनुसूची 5 और 6 से संबंधित जानकारी, आदिवासियों और उनके क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए बनाए गए कानून विशेषकर पेसा एक्ट, पंचायती राज अधिनियम, वनाधिकार और जनसुरक्षा अधिनियम होंगे.

इनके अलावा प्रदेश और देश की प्रशासनिक संरचना, नक्सलवाद ग्रसित और अन्य जिलों की तुलनात्मक जानकारी और पीड़ित परिवारों की काउंसलिंग भी इस कोर्स के अहम हिस्से होंगे.

किसके माध्यम से और कब होगा लागू

अभिषेक पल्लव ने बताया, ‘पूरा कोर्स मटेरियल गोंडी भाषा में होगा. इसमें कई वीडियो और ऑडियो डॉक्यूमेंट भी होंगे.’

उन्होंने कहा, ‘नक्सलवाद से पीड़ित परिवारों और नक्सलियों के परिजनों के इंटरव्यू तैयार कर जेल की क्लास सेशन में दिखाया जाएगा. इसके लिए रिसोर्स पर्सन्स की पूरी टीम तैयार की जाएगी.’

पल्लव ने कहा कि अभी कोरोना के चलते जेल में कोई भी कार्यक्रम नहीं किया जा सकता लेकिन जेल में अनलॉक शुरू होते ही सुधार कोर्स भी चालू कर दिया जाएगा.


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