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Wednesday, 20 November, 2024
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स्थाई कमीशन पा सकेंगी 422 महिला सैन्य अधिकारी, 46 अन्य को करना होगा अभी इंतज़ार

एक सैनिक भर्ती बोर्ड की ओर से घोषित नतीजों से पता चलता है कि 10-25 वर्ष की सेवा उम्र में 615 में से 422 महिला अधिकारी, स्थाई कमीशन की पात्र हैं. अन्य 46 के नतीजे रोक लिए गए हैं.

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नई दिल्ली: सेना की 400 से अधिक महिला अधिकारी जिनमें से कुछ ने 14 साल तक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी- सेना में स्थाई कमीशन की योग्य पाई गईं हैं. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

सशस्त्र सेवा के सूत्रों के अनुसार, इसका पता बोर्ड नतीजों में चला है, जो सेना की और से बृहस्पतिवार को डी-क्लासिफाई किए गए. सेना मुख्यालय ने स्थाई कमीशन देने के लिए महिला अधिकारियों की छंटनी की खातिर, एक स्पेशल नंबर 5 सलेक्शन बोर्ड गठित किया था.

पात्र महिला अधिकारी मेजर और लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक की हैं. उनमें से बहुतों ने पहले ही सेना में 20 साल की सेवा पूरी कर ली है लेकिन उन्हें प्रमोशन नहीं दिए गए थे, चूंकि मामला विचाराधीन था.

17 फरवरी को एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने, सेना में महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन दे दिया था, भले ही उनकी सेवा कितने भी साल की रही हो. महिला अधिकारी-वादी दस साल से भी ज़्यादा से ये केस लड़ रहीं थीं.

लेकिन सेना के सूत्रों ने बताया कि 46 महिला अधिकारियों के नतीजे, प्रशासनिक आधार पर और मेडिकल दस्तावेज़ न मिलने से रोक लिए गए हैं. ये अधिकारी अस्थाई विस्तार पर सेना में सेवाएं देती रहेंगी.

इन 46 महिलाओं में से कुछ ने, अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था, और जनरल इंस्ट्रक्शंस (जीआई) को चुनौती दी थी, जो सेना द्वारा शीर्ष अदालत के फरवरी के आदेश के अनुपालन में जारी की गईं थीं.

जीआई वो निर्देश थे जो सेना में स्थाई कमीशन देने के लिए महिला अधिकारियों की छंटनी को लेकर जारी किए गए थे.

इस मामले पर टिप्पणी के लिए दिप्रिंट ने सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद से लिखित संदेश के ज़रिए संपर्क किया लेकिन इस रिपोर्ट के छपने तक उनका कोई जवाब नहीं मिला.


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615 महिला अधिकारियों को स्क्रीन किया गया, 422 योग्य पाई गईं

ऐसी 615 महिला अधिकारों को स्क्रीन किया गया, जो 10-25 वर्ष के सेवा ब्रैकेट में थीं. इनमें से 422 अधिकारी अपने अप्रेज़ल रिकॉर्ड्स की बिना पर, स्थाई कमीशन के योग्य पाई गईं.

इन 422 अधिकारियों में से 57 ने, पेंशन के साथ सेवा छोड़ने का विकल्प चुना.

35 से 50 वर्ष के आयु वर्ग की 46 अधिकारियों में से कई ने, जिनके नतीजे रोक लिए गए थे, सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाकर कहा था कि जीआई में उनके मूल्यांकन के लिए निर्धारित चिकित्सा मानदंड वही हैं, जो 25-30 की आयु वर्ग के पुरुष अधिकारियों के हैं, जिन्हें उनकी सेवा के 5वें और 10वें वर्ष में, स्थाई कमीशन का विकल्प दिया जाता है

‘ये एक बदलाव है’

दिप्रिंट से बात करने वाली कुछ महिला अधिकारियों ने कहा कि उन्हें खुशी है कि आखिरकार उन्हें उनका हक मिल गया.

नाम न बताने की शर्त पर एक महिला सेना अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘इस कदम से हमारे प्रमोशंस का रास्ता साफ होगा, जो इन पिछले सालों में नहीं हुआ था. ये एक बदलाव है’.

अधिकारी ने आगे कहा, ‘सेवा के बचे हुए सीमित वर्षों को देखते हुए, हो सकता है कि मैं एक जनरल न बन पाऊं लेकिन मुझे यकीन है कि भविष्य में सेना में शामिल होने वाली महिलाएं, तरक्की करके कमांड रोल में आएंगी और जनरल भी बनेंगी’.

महिला सैन्य अधिकारी अब आर्मी एयर डिफेंस, सिग्नल्स, इंजीनियर्स, आर्मी एविएशन, इलेक्ट्रॉनिक्स व मेकैनिकल इंजीनियर्स, आर्मी सर्विस कोर, आर्मी ऑर्डिनेंस कोर और इंटेलिजेंस कोर में स्थाई कमीशन की पात्र हो गईं हैं. ये जज एंड एडवोकेट जनरल और आर्मी एजुकेशन कोर के अलावा हैं, जहां उन्हें पहले से ही स्थाई कमीशन प्राप्त था.

17 मार्च के एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय सेना में महिला अधिकारियों के लिए स्थाई कमीशन की अनुमति दे दी थी. कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन महीने के भीतर स्थाई कमीशन देने का निर्देश दिया था. लेकिन पिछले महीने कोर्ट ने अपने फैसले को लागू करने की समय सीमा बढ़ाकर 31 दिसंबर कर दी.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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