नई दिल्ली: बेंगलुरू स्थित अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की पांच राज्यों में की गई एक स्टडी में पता चला है कि पब्लिक स्कूलों में ऑनलाइन शिक्षा कारगर साबित नहीं हो रही है और स्कूलों के फिर से खुलते ही पेरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल भेजना चाहते हैं.
मिथ्स ऑफ ऑनलाइन एजुकेशन नामक इस स्टडी में, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ में 1,522 पेरेंट्स और 398 टीचर्स से सवाल किए गए थे.
सोमवार को जारी स्टडी में कहा गया, ‘लागू करने वाले राज्यों में टीचर्स ने बताया कि नियमित क्लासेज़ में आने वाले कुल 30,511 बच्चों में से केवल 11,474 ही ऑनलाइन क्लासेज़ ले रहे थे. जिन स्कूलों में सर्वे किया गया उनमें औसतन 42 प्रतिशत बच्चे ही ऑनलाइन क्लासेज़ ले रहे थे’.
स्टडी में आगे कहा गया, ‘इसका मतलब है कि ऑनलाइन पढ़ाई के अवसर करीब 60 प्रतिशत बच्चों की पहुंच से बाहर हैं’.
स्टडी में कहा गया कि बड़ी संख्या में टीचर्स ने इस बारे में बात की कि ऑनलाइन माध्यम, सार्थक शिक्षा देने के लिए पर्याप्त नहीं है. उनमें से 80 प्रतिशत ने कहा कि ऐसे में बच्चों के साथ, भावनात्मक जुड़ाव मुमकिन नहीं है जबकि 90 प्रतिशत का कहना था कि ऑनलाइन क्लासेज़ में बच्चों के सीखने का सार्थक आंकलन करना संभव नहीं है.
इसी तरह करीब 70 प्रतिशत पेरेंट्स भी ऑनलाइन क्लासेज़ से संतुष्ट नहीं थे और उन्हें बच्चों के लिए बेअसर मानते हैं.
यह भी पढ़ें: बजट की कमी झेल रही भारतीय नौसेना 4 के बजाय 2 लैंडिंग प्लेटफार्म डॉक्स ही खरीदने की योजना बना रही
पहुंच की समस्या
स्टडी में ये भी पता चला कि करीब 60 प्रतिशत बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई के अवसरों का फायदा ही नहीं उठा पाते.
स्टडी में कहा गया, ‘इसके कई कारण हैं जैसे स्मार्टफोन न होना, कई भाई-बहनों के पास एक ही स्मार्टफोन होना और ऑनलाइन लर्निंग एप्स के इस्तेमाल में दिक्कतें’.
उसमें आगे कहा गया कि दिव्यांग बच्चों में ये समस्या और बढ़ जाती है. ‘जिन टीचर्स की नियमित कक्षाओं में दिव्यांग बच्चे हैं, उनमें से 90 प्रतिशत ने पाया कि ऐसे बच्चे ऑनलाइन क्लासेज़ लेने में सक्षम नहीं थे’.
पेरेंट्स ने कहा- फिर से खुलें स्कूल
स्टडी में ये दावा भी किया गया कि उसमें महामारी की वजह से बाधित पढ़ाई को लेकर पेरेंट्स के रवैये और उनकी चिंताओं को समझने की कोशिश की गई है. इससे पता चला कि भारी संख्या में पेरेंट्स आवश्यक सुरक्षा प्रोटोकोल्स के साथ स्कूलों को खोले जाने के पक्ष में हैं.
स्टडी में कहा गया, ‘लगभग 90 प्रतिशत मां-बाप, आवश्यक सुरक्षा उपायों के साथ, अपने बच्चों को स्कूल भेजने को तैयार थे. करीब 65 प्रतिशत का कहना था कि जब स्कूल खुलें तो उनके बच्चों के स्वास्थ्य को कोई खतरा नहीं होना चाहिए’.
उसमें ये भी कहा गया, ‘कुल मिलाकर ये स्टडी ऐसी ही दूसरी हालिया स्टडीज़ की तरह है और उन समस्याओं को रेखांकित करती है जो ऑनलाइन लर्निंग सॉल्यूशंस अलग-अलग राज्यों में पब्लिक स्कूलों के बच्चों के सामने लाते हैं’.
स्टडी में मांग की गई है कि स्कूलों को तुरंत, चरणबद्ध तरीके से फिर से खोला जाए, चूंकि ऑनलाइन शिक्षा कारगर नहीं है.
उसमें आगे कहा गया, ‘इसलिए, ये स्टडी इस फौरी ज़रूरत पर बल देती है कि स्कूलों को फिर से चरणबद्ध तरीके से खोला जाए और पब्लिक शिक्षा प्रणाली में बच्चों तथा टीचर्स दोनों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए पर्याप्त प्रावधान किए जाएं. स्टडी ये भी सुझाव देती है कि संदर्भ पर आधारित डायरेक्ट टीचिंग-लर्निंग सॉल्यूशंस को अपनाया जाए जिसमें पब्लिक स्कूलों के फिर से खुलने की संक्रमण अवधि में टीचर्स फिज़िकल रूप से मौजूद हों.
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: दिल्ली के LG ने कोरोना के कारण शादी समारोह में केवल 50 लोगों के शामिल होने के प्रस्ताव को दी मंजूरी
Correct school should be open soon otherwise our future is going in dark.