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Friday, 22 November, 2024
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ड्राफ्ट नियमों के मुताबिक- रात की शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं को शिशु-गृह और कैंटीन की सुविधाएं देनी होंगी

तीन कोड देश के पुराने श्रम कानूनों को सरल बनाने के उद्देश्य से लाए गए हैं और श्रमिकों के लाभों से समझौता किए बिना आर्थिक गतिविधियों को गति प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है.

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नई दिल्ली: महिला कर्मचारियों को काम करने की सुरक्षित जगह सुनिश्चित कराने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए श्रम कानूनों में फैक्ट्रियों, निर्माण फर्म्स जहां महिलाएं अपनी मर्जी से शाम 7 बजे के बाद काम करती हैं, वहां न केवल परिवहन की सेवा देनी होगी बल्कि ये भी सुनिश्चित करना होगा कि ऑफिस क्षेत्र में शिशु-गृह भी हो. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

ऐसे प्रतिष्ठानों को ये भी सुनिश्चित करना होगा कि काम करने की जगह पर रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था हो और साथ ही सैनिटेशन और कैंटीन की सुविधा भी परिसर में होनी चाहिए.

ये ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ (ओएसएच) और वर्किंग कंडीशंस (सेंट्रल) रूल्स, 2020 के ड्राफ्ट का हिस्सा होंगे जिसे श्रम और रोजगार मंत्रालय तैयार कर रहा है. नियमों को अधिसूचित किए बिना, कानून ऑपरेशनल नहीं होगा.

श्रम मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि नियमों को टिप्पणियों और सुझावों को आमंत्रित करने के लिए अगले सप्ताह सार्वजनिक डोमेन में रखे जाने की संभावना है, जिसके बाद उन्हें अंतिम रूप दिया जाएगा और अधिसूचित किया जाएगा.

व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और वर्किंग कंडीशन अधिनियम, 2020 – सितंबर में संसद द्वारा पारित तीन श्रम कोडों में से एक है- जो महिला कर्मचारियों को रात में काम करने की अनुमति देता है, जो कि शाम 7 बजे से पहले और सुबह 6 बजे से पहले, सुरक्षा से संबंधित शर्तों के अधीन है.

हालांकि, यदि संबंधित राज्य सरकारें मानती हैं कि महिलाओं का रोजगार उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए खतरनाक है, तो प्रतिष्ठानों या वर्ग में उनके संचालन की प्रकृति के कारण, वे ऐसी जगहों पर महिलाओं के रोजगार पर रोक लगा सकती हैं.

अधिनियम में यह भी कहा गया है कि किसी भी नियोक्ता को गर्भावस्था के पहले दिन, गर्भपात या चिकित्सीय समाप्ति के दिन के बाद किसी भी प्रतिष्ठान में जानबूझकर किसी महिला को नौकरी पर नहीं रखना चाहिए.

नाम न बताने की शर्त पर श्रम मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘ये कानून महिलाओं को विकल्प देकर कि वो रात में काम करने चाहती हैं या नहीं, उन्हें मजबूती देता है. अगर महिलाओं रात की शिफ्ट करने में अपनी अनुमति देती हैं तो नियोक्ताओं को कुछ शर्तों के साथ काम करना होगा और उन्हें सुविधाएं देनी होंगी.’


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काम के घंटों को तय कर सकते हैं राज्य

कार्यों के नियम यह भी सुझाव देते हैं कि किसी भी श्रमिक को एक सप्ताह में छह दिनों से अधिक समय तक एक प्रतिष्ठान में काम करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.

हालांकि, मसौदा नियम राज्यों को अलग-अलग प्रतिष्ठानों में एक दिन या सप्ताह में काम के घंटे तय करने की अनुमति देता है. एक अन्य अधिकारी ने बताया, ‘हमने राज्य सरकारों पर छोड़ दिया है कि वो काम के घंटे तय करें.’

अधिकारी ने बताया, ‘ओवरटाइम के समय, कर्मचारियों को भुगतान किया जाएगा जो कि उसे भुगतान किए जाने वाले पैसे से दुगुना होगा. ओवरटाइम दैनिक या साप्ताहिक तौर पर गिना जाएगा.’

अप्रैल 2021 से पहले नियमों को अधिसूचित किया जा सकता है

मंत्रालय के उक्त पहले अधिकारी ने कहा कि हालांकि उन्हें 1 अप्रैल 2021 तक नियमों को अधिसूचित करने की समय सीमा दी गई है लेकिन मंत्रालय का इरादा इससे पहले ऐसा करने का है.

अधिकारी ने कहा, ‘हमने वेज कोड और इंडस्ट्रियल कोड से जुड़े नियमों को पहले ही सार्वजनिक कर दिया है. हम अगले सप्ताह सामाजिक सुरक्षा कोड पर नियमों के बाद ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ (ओएसएच) और वर्किंग कंडीशंस (सेंट्रल) रूल्स को सार्वजनिक करने वाले हैं.’

जबकि पिछले अगस्त में संसद द्वारा मजदूरी पर संहिता पारित की गई थी वहीं शेष तीन संहिताओं को इस सितंबर में हरी झंडी मिल गई.

तीन कोड देश के पुराने श्रम कानूनों को सरल बनाने के उद्देश्य से लाए गए हैं और श्रमिकों के लाभों से समझौता किए बिना आर्थिक गतिविधियों को गति प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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