शिलांग: मेघालय के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आर चंद्रनाथन ने बृहस्पतिवार को कहा कि प्रतिबंधित उल्फा (इंडिपेंट) संगठन के दूसरे शीर्ष कमांडर दृष्टि राजखोवा के आत्मसमर्पण के साथ राज्य में उग्रवाद का अंत हो गया है.
उल्फा (आई) के स्वयंभू कमांडर-इन-चीफ परेश बरुआ के करीबी राजखोवा ने बुधवार को दक्षिण गारो हिल्स जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा के समीप सेना के समक्ष चार अन्य उग्रवादियों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया. वह गारो हिल्स क्षेत्र में सक्रिय था और उसने कई अन्य विद्रोही संगठनों को सहायता प्रदान की थी.
डीजीपी ने कहा, ‘राजखोवा के आत्मसमर्पण से मेघालय, खासकर अशांत गारो हिल्स क्षेत्र, में दो दशक से चल रहे सशस्त्र संघर्ष का अंत हो गया है.’
शीर्ष पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘उस पर काफी दबाव था…. हथियार छोड़ने के अलावा उसके पास कोई अन्य विकल्प नहीं था.’
चंद्रनाथन ने कहा कि उग्रवादी इसी साल दो बार राज्य पुलिस के साथ मुठभेड़ में बच गया था.
पुलिस प्रमुख ने कहा, ‘हम इस साल दो बार उसे पकड़ने में चूक गए. आखिरी मुठभेड़ में उसका एक अंगरक्षक घायल हो गया था लेकिन वह बाल-बाल बच गया था.’
उन्होंने कहा कि राजखोवा के खिलाफ पांच-छह मामले लंबित हैं.
एक सूत्र ने पीटीआई-भाषा को बताया कि राजखोवा ने असम में अपनी पत्नी से संपर्क किया था और सेना के समक्ष ‘सुरक्षित’ आत्मसमर्पण के लिए पहल करने को था क्योंकि उसे मेघालय पुलिस पर भरोसा नहीं है.
उन्होंने कहा कि आत्मसमर्पण के बाद सेना राजखोवा और उसके चार अन्य सहयोगियों को असैनिक वाहनों से असम ले जा रही थी. लेकिन मेघालय पुलिस ने बुधवार शाम करीब छह बजे पूर्वी गारो हिल्स जिले में उन्हें रोक लिया.
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