नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में कोरोनावायरस के रोज़ाना मामलों में फिर उछाल देखने को मिल रहा है. रविवार को, 4,136 नए मामलों के साथ दिल्ली में पिछले 38 दिन में सबसे एक दिन का सबसे अधिक उछाल देखा गया. पिछला बड़ा उछाल 17 सितंबर को दिखा था, जब 4,432 मामले दर्ज हुए थे.
रविवार की टैली के साथ ही लगातार तीन दिन तक, रोज़ाना मामलों की संख्या 4,000 के निशान से ऊपर रही. 23 अक्तूबर से 25 अक्तूबर के बीच, दिल्ली में क्रमश: 4.048, 4,116, 4,136 मामले सामने आए. पिछली बार ये आंकड़ा 19 सितंबर को 4,000 के पार हुआ था, जिसके बाद से इसमें गिरावट आ रही थी.
लेकिन दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंदर जैन का कहना है कि स्थिति नियंत्रण में है.
सोमवार तक, दिल्ली में कुल 35,66,56 मामले दर्ज हो चुके थे, जिनमें 6,258 मौतें थीं, जबकि 32,36,54 ठीक हो गए थे.
रोज़ाना मामलों में उछाल, सकारात्मकता दर में इज़ाफा
पिछले पूरे सप्ताह मामलों में बढ़ोतरी रही है, और ये संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई.
19 अक्तूबर और 25 अक्तूबर के बीच, जहां रोज़ाना मामले 2,154 से बढ़कर 4,136 हो गए, वहीं सकारात्मकता दर भी 5.91 प्रतिशत से बढ़कर, 8.43 प्रतिशत पहुंच गई.
दिल्ली में हालात क़ाबू में
रोज़ाना मामलों में चिंताजनक इज़ाफे के बावजूद, दिल्ली सरकार ने कहा है कि हालात क़ाबू में हैं.
रविवार को जैन ने कहा, ‘एक्सपर्ट कमेटी ने कहा था कि ठंड और त्योहारी सीज़न की वजह से, (रोज़ाना) मामले बढ़कर 12,000 से 14,000 तक पहुंच सकते हैं. लेकिन इस समय ये 4,000 के क़रीब है, इसलिए स्थिति नियंत्रण में है’.
दिप्रिंट ने ख़बर दी थी कि नीति आयोग सदस्य वीके पॉल की अध्यक्षता वाली, नेशनल सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल (एनसीडीसी) एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट- जो दिल्ली सरकार को पेश की गई थी- में कहा गया था कि राष्ट्रीय राजधानी को, रोज़ाना 15,000 पॉज़िटिव मामलों के लिए तैयार रहना चाहिए, और मध्यम व गंभीर मरीज़ों के लिए, भर्ती के इंतज़ाम करने चाहिएं.
अस्पताल मामलों से निपट सकते हैं, अभी ये बोझ नहीं हैं
डॉक्टरों के मुताबिक़, ये ताज़ा उछाल त्योहारी सीज़न और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने, तथा मास्क पहनने में लोगों की बेपरवाही का नतीजा है.
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में इंटर्नल मेडिसिन स्पेशलिस्ट डॉ एस चटर्जी का कहना था, ‘त्योहारी सीज़न के साथ ही लोग बहुत बेपरवाह हो गए हैं, और उनमें एक झूठा आत्मविश्वास आ गया है, कि वो कोविड से सुरक्षित हैं. पिछले हफ्ते त्योहार के चलते, लोग खुलकर एक दूसरे से मिले हैं, जिसकी वजह से उछाल सामने आ रहा है’.
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डॉ चटर्जी ने आगे कहा कि दिल्ली का हेल्थकेयर सिस्टम, मौजूदा हालात से निपट सकता है. ‘हम अब इस उछाल से निपटने को तैयार हैं, क्योंकि हमारे पास पर्याप्त बेड्स हैं. लेकिन, अगर हम त्योहारी सीज़न के बाद के मामलों के एक्सपर्ट कमेटी के अनुमान को देखें, तो अस्पतालों पर काफी दबाव रहेगा’.
हालांकि सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर्स इससे सहमत नहीं हैं. अगर मामले बढ़कर 15,000 तक पहुंच गए, तो भी ये अस्पतालों के लिए ज़्यादा बोझ नहीं बनेंगे. ‘अगर मामले 15,000 तक पहुंच भी जाते हैं, तो भी सभ को अस्पताल में भर्ती की ज़रूरत नहीं होगी. सिर्फ 20-30 प्रतिशत पॉज़िटिव मामलों में भर्ती करनी होती है’
लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल की चीफ मेडिकल ऑफिसर, डॉ रितु सक्सेना ने कहा, ‘जो मरीज़ भर्ती हो भी रहे हैं, उनकी जल्दी छुट्टी हो रही है, क्योंकि वो तेज़ी से ठीक हो रहे हैं. इसलिए अब बिस्तर जल्द उपलब्ध हो जा रहे हैं, और हमें नहीं लगता कि अस्पतालों पर, कोई अनपेक्षित बोझ पड़ जाएगा’.
एक्सपर्ट्स ने भी इस बात को दोहराया, कि सोशल डिस्टेंसिंग की ज़रूरत है. उन्होंने कहा कि सिर्फ नवरात्र ख़त्म हुए हैं, दीवाली और धनतेरस आ रहे हैं.
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के, सेंटर फॉर कंट्रोल ऑफ क्रॉनिक कंडीशंस के वाइस-प्रेसिडेंट (रिसर्च व पॉलिसी) और डायरेक्टर, डॉ डी प्रभाकरन ने कहा, ‘लोगों को बेपरवाह नहीं रहना है, और भीड़ वाली जगहों से बचना है, साथ ही मास्क पहनना है और हाथ साफ रखने हैं. इन सरल उपायों से मामलों का बोझ कम रखने में मदद मिलेगी’.
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