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Friday, 22 November, 2024
होमदेशअर्थजगतअगस्त के मुकाबले सितंबर में पी-नोट्स के जरिए निवेश घटकर 69,821 करोड़ रुपए हुआ

अगस्त के मुकाबले सितंबर में पी-नोट्स के जरिए निवेश घटकर 69,821 करोड़ रुपए हुआ

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़ों के अनुसार, मार्च से पी-नोट्स के जरिये निवेश में पहली बार गिरावट आई है.

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नई दिल्ली: भारतीय पूंजी बाजारों में पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) के जरिये निवेश सितंबर के अंत तक घटकर 69,821 करोड़ रुपये रह गया. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का भारतीय बाजार के प्रति भरोसा कायम है.

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़ों के अनुसार, मार्च से पी-नोट्स के जरिये निवेश में पहली बार गिरावट आई है.

पी-नोट्स पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा उन निवेशकों को जारी किए जाते हैं, जो बिना पंजीकरण के भारतीय शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं. हालांकि, इसके लिए उन्हें पूंजी जांच-परख की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है.

सेबी के आंकड़ों के अनुसार भारतीय बाजारों में पी-नोट्स के जरिये निवेश सितंबर के अंत तक घटकर 69,821 करोड़ रुपये रह गया. इसमें शेयर, बांड, हाइब्रिड प्रतिभूतियां और डेरिवेटिव्स शामिल हैं. इससे पहले अगस्त में पी-नोट्स के जरिये निवेश का आंकड़ा 74,027 करोड़ रुपये के दस माह के उच्चस्तर पर पहुंचा था.

इससे पहले जुलाई में पी-नोट्स के जरिये निवेश 63,228 करोड़ रुपये, जून में 62,138 करोड़ रुपये, मई में 60,027 करोड़ रुपये और अप्रैल में 57,100 करोड़ रुपये रहा था.

कोरोना वायरस संकट के बीच वृहद बाजार में भारी उतार-चढ़ाव के चलते मार्च के अंत तक पी-नोट्स के जरिये निवेश 15 साल के निचले स्तर 48,006 करोड़ रुपये पर आ गया था.

सितंबर में कुल 69,821 करोड़ रुपये के निवेश में से 59,314 करोड़ रुपये का निवेश शेयरों में हुआ. वहीं 10,240 करोड़ रुपये का निवेश ऋण या बांड बाजार में और 267 करोड़ रुपये का निवेश हाइब्रिड प्रतिभूतियों में हुआ.

माईवेल्थग्रोथ.कॉम के हर्षद चेतनवाला ने कहा, ‘‘हालांकि, सितंबर में पी-नोट्स के जरिये निवेश का प्रवाह कम हुआ है, इसके बावजूद यह चालू कैलेंडर साल में दूसरा सबसे अच्छा महीना रहा है. वायरस के दूसरे दौर की वजह से वैश्विक बाजारो में अनिश्चितता और दुनिया में और प्रोत्साहन के अभाव में यह निवेश और प्रभावित हो सकता है. इसके बावजूद विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजारों के प्रति भरोसा कायम है.’’

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