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Friday, 22 November, 2024
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बाबरी मस्जिद फैसले का इकबाल अंसारी ने किया स्वागत, जिलानी देंगे हाईकोर्ट में चुनौती, ओवैसी बोले- काला दिन

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले के मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने सीबीआई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और कहा विशेष अदालत के फैसले का सम्मान करें. जबकि मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड के मेंबर जफरयाब जिलानी ने फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने की बात कही.

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लखनऊ: बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में बुधवार को लखनऊ में सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती सहित सभी अभियुक्तों को बरी किए जाने का मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने स्वागत किया है. साथ ही मुसलमानों से अपील की है कि वह सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की तरह विशेष अदालत के फैसले का भी सम्मान करें. वहीं मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड के मेंबर जफरयाब जिलानी ने फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने की बात कही है.

फैसला सुनाए जाने के बाद इकबाल अंसारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘मैं पहले ही कह रहा था कि जब मंदिर फैसला आ चुका है तो इस मामले में सबको बरी कर देना चाहिए. जो कुछ भी होना था वह पिछले साल 9 नवम्बर को चुका है.’

दिप्रिंट से बातचीत में अंसारी ने यह भी कहा, ‘यह मुकदमा भी उसी दिन खत्म हो जाना चाहिये था. उन्होंने मुसलिम संगठनों से अपील की है कि वह इस मामले को आगे लेकर न जाएं. अयोध्या में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई में कोई मतभेद नहीं है. यही माहौल पूरे देश में होना चाहिये.’


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 ‘प्रतिकूल’- ‘काला दिन’

वहीं सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा सुनाए गए इस फैसले को कांग्रेस पार्टी ने प्रतिकूल कहा है. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, ‘बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सभी दोषियों को बरी करने का विशेष अदालत का निर्णय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय व संविधान की परिपाटी से परे है.’

सुरजेवाला ने यह भी कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की खंडपीठ के 9 नवंबर, 2019 के निर्णय के मुताबिक बाबरी मस्जिद को गिराया जाना एक गैरकानूनी अपराध था. पर विशेष अदालत ने सभी दोषियों को बरी कर दिया. विशेष अदालत का निर्णय साफ तौर से उच्चतम न्यायालय के निर्णय के भी प्रतिकूल है.’

उन्होंने आरोप लगाया , ‘पूरा देश जानता है कि भाजपा-आरएसएस व उनके नेताओं ने राजनैतिक फायदे के लिए देश व समाज के सांप्रदायिक सौहार्द्र को तोड़ने का एक घिनौना षडयंत्र किया था. उस समय की उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार भी सांप्रदायिक सौहार्द्र भंग करने की इस साजिश में शामिल थी.’

सुरजेवाला ने कहा, ‘यहां तक कि उस समय झूठा शपथ पत्र देकर उच्चतम न्यायालय तक को बरगलाया गया था.  इन सब पहलुओं, तथ्यों व साक्ष्यों को परखने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद को गिराया जाना गैरकानूनी अपराध ठहराया था.’

वहीं दूसरी तरफ हैदराबाद से सांसद और एआईएमआईएम पार्टी के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने बाबरी मस्जिद विध्वंस को बहुत ही शायराना अंदाज में बयान किया. उन्होंने ट्वीट किया, ‘वही क़ातिल वही मुंसिफ़ अदालत उस की वो शाहिद
बहुत से फ़ैसलों में अब तरफ़-दारी भी होती है.’

साथ ही उन्होंने सीबीआई विशेष अदालत के इस फैसले को तारीख का काला दिन करार दिया है. ओवैसी ने फैसले पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि क्या जादू से मस्जिद को गिराया गया था.


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हाईकोर्ट जाएंगे जिलानी

मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड के मेंबर जफरयाब जिलानी ने दिप्रिंट से बातचीत में सीबीआई कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने की बात कही है.

जिलानी ने कहा, ‘फैसला पूरी तरह सबूतों और कानून के खिलाफ है.’

वह आगे कहते हैं, ‘उस दौर के अखबारों में भी घटना का पूरा विवरण छापा है. लालकृष्ण आडवाणी, जोशी समेत वहां दूसरे लोग कहते थे कि ‘एक धक्का और दो बाबरी मस्जिद तोड़ दो.’ इस तरह के नारे लगे, तस्वीरे भी हैं. लेकिन ये फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है, हम इसके खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे.’

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के एक अन्य मेंबर मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने इस फैसले पर टिप्पणी से इनकार करते हुए कहा कि अब मुस्लिम संगठन मिल कर बैठकर तय करेगा कि इसके खिलाफ आगे अपील करनी है या नहीं.

महली के मुताबिक, ‘किस तरीके से अयोध्या में सरेआम बाबरी मस्जिद को शहीद किया गया और कानून की धज्जियां उड़ायी गयीं.’

उन्होंने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय ने भी रामजन्मभूमि—बाबरी मस्जिद वाद में पिछले साल नौ नवम्बर को सुनाये गये फैसले में कहा था कि मुसलमानों को गलत तरीके से उनकी मस्जिद से वंचित किया गया.’

हालांकि इस पूरे फैसले का यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने स्वागत किया है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने बयान जारी कर कहा, ‘यह फैसला स्पष्ट करता है कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा राजनीतिक पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर वोट बैंक की राजनीति के लिए देश के पूज्य संतों, भारतीय जनता पार्टी के नेताओं, विश्व हिंदू परिषद से जुड़े वरिष्ठ पदाधिकारियों एवं समाज से जुड़े विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों को बदनाम करने की नीयत से उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाकर बदनाम किया गया.’

वहीं समाजवादी पार्टी ने सीबीआई कोर्ट के इस फैसले पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया जबकि बहुजन समाज पार्टी की ओर से भी इस फैसले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.


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