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Friday, 22 November, 2024
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टूर ऑपरेटरों की मोदी सरकार से कोविड राहत पैकेज की अपील, कहा- ‘हम टैक्स देते हैं, सरकार हमारे ऊपर भी ध्यान दे’

दिल्ली में लगभग 150 गाड़ियों में 300 टूर ऑपरेटरों ने वसंत कुंज से लेकर इंडिया गेट तक एक शांतिपूर्ण रैली निकाली.

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नई दिल्ली: कोरोना महामारी की चपेट में आने और सरकारी उदासीनता का सामना करते हुए सैंकड़ों टूर ऑपरेटरों ने विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर रविवार को दिल्ली एक ‘विरोध रैली’ निकाली. जिसे वो एक अपील रैली कह रहे थे. इन प्रदर्शनकारियों ने इस संकट से निपटने के लिए सरकार से मदद और राहत की मांग की है.

इसके लिए दिल्ली में लगभग 150 गाड़ियों में 300 टूर ऑपरेटरों ने वसंत कुंज से लेकर इंडिया गेट तक एक शांतिपूर्ण रैली निकाली, पोस्टरों पर लिखा था- ‘हमने अपने टैक्स का भुगतान किया, हमने अपने कर्मचारियों को भुगतान किया और अब सरकार को हमें ध्यान देने की आवश्यकता है’, ‘10% जीडीपी जोखिम में’ और ‘लाखों नौकरियां खतरे में’.

रैली के दौरान पोस्टर। ज्योति यादव/ दिप्रिंट

इस दौरान इंडिया गेट पर इस रैली में शामिल हुए दिल्ली बेस्ड ट्रैवल फर्म प्लैनेट इंडिया ट्रेवल्स प्राइवेट लिमिटेड के राजेश मुदगिल ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमने एयरलाइनों और रेलवे को जो बहुत सारा पैसा एडवांस दिया था वो अब रिफंड नहीं हो रहा है. ये हमें एक गहरे वित्तीय संकट में धकेल रहा है.’

उन्होंने यह भी कहा कि उनमें से कई लोगों को अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए अपनी ही संपत्ति बेचनी भी पड़ी है. वे बताते हैं ‘अब हम एक लंबे समय तक अपने कर्मचारियों को भुगतान करने में सक्षम नहीं होंगे. अगर हम लोन भी लेते हैं तो उस लोन के ब्याज का भुगतान भी नहीं कर पाएंगे. सरकार को इस व्यवसाय को बनाए रखने में मदद करनी चाहिए.’

इंडियन एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर्स (जो 1,700 से अधिक इनबाउंड टूर ऑपरेटरों का प्रतिनिधित्व करती है) के सक्रिय सदस्य लाजपत राय ने कहा कि सरकार को अगले पांच वर्षों के लिए टूर ऑपरेटरों के लिए इंडिया स्कीम से सेवा निर्यात (एसईआईएस) जारी रखना चाहिए. इस योजना के तहत, भारत-आधारित सर्विस प्रोवाइडर्स को देश से सर्विस एक्सपोर्ट के की सेवाओं के लिए पुरस्कृत किया जाता है.

राय ने आगे कहा, ‘वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए एसईआईएस प्रोत्साहन को भी 7 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत किया जाना चाहिए.’


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पर्यटन मंत्रालय में अतिरिक्त महानिदेशक रूपिंदर बरार ने इस संदर्भ में कहा कि पिछले कुछ महीनों में कई ‘पंजीकृत पर्यटन संगठन’ मंत्रालय के अधिकारियों से मिले हैं. सरकार ने घरेलू पर्यटन उद्योग को प्राथमिकता दी है. इन संगठनों द्वारा दी गई सिफ़ारिशें को गंभीरता से लिया गया है.’ उन्होंने आगे बताया, ‘मंत्रालय ने समाधान निकालने के लिए वित्त और वाणिज्य मंत्रालयों के साथ कई बैठकें की है.’

रविवार को हुए इस विरोध पर वो कहती हैं, ‘टूर ऑपरेटरों को निराश नहीं होना चाहिए. सरकार उनके साथ खड़ी है. अगर उनकी कुछ सिफ़ारिशें हैं, तो हम उन पर ध्यान देंगे.’

‘2022 से पहले कोई रिक्वरी नहीं’

पर्यटन से जुड़े कई लोगों ने कोविड से हुए इस नुकसान के बारे में कहा कि ये इस सदी का सबसे बड़ा एगिज्सटेंशियल क्राइसस है. कुछ ने ये भी कहा कि साल 2022 से पहले इस बिज़नेस का रिवाइव नहीं हो पाएगा. हालांकि, हाल में भारत सरकार ने ताजमहल जैसे पर्यटन स्थलों को फिर से खोलने की अनुमति दी है.

ग़ौरतलब है कि पर्यटन उद्योग भारत की जीडीपी में 9.2 प्रतिशत का योगदान देता है और 8 प्रतिशत रोज़गार पैदा करता है. भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार, ‘कोरोनावायरस महामारी के कारण यात्रा और पर्यटन उद्योग को 5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.’

राय ने कहा, ‘जब सरकार ने 23 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी, तो पर्यटन उद्योग से जुड़े लोग इसके व्यापक प्रभाव को लेकर असमंजस में थे. अंदाजा लगाया जा रहा था कि हो सकता है कि स्थिति जुलाई-सितंबर में बेहतर हो. लेकिन राज्यों और केंद्र सरकार की तरफ से अभी मदद नहीं की गई है.’

प्रदर्शन करने आए टूर ऑपरेटों की कुछ अन्य मांगे इस प्रकार हैं- आत्म-निर्भर लोन, सॉफ्ट-लोन मुहैया कराना, 2022 तक सभी स्मारकों और पर्यटन स्थलों में पर्यटकों के लिए मुफ्त प्रवेश या कम शुल्क, मार्च 2022 तक पर्यटक वाहनों पर रोड टैक्स को कम करना या वापस लेना, फ्रेंडली देशों के साथ ट्रैवल बब्ल की योजना बनाना, बिजली बिलों और मार्च 2022 तक होटलों के लिए लाइसेंस शुल्क में सब्सिडी प्रदान करना.

पर्यटन से जुड़ी महिलाओं का रोज़गार बेहद प्रभावित

इस कार रैली को कॉर्डिनेट कराने वाली दिल्ली की एक ट्रैवल कंपनी, वांडर ग्लोब की मालिक शिबानी आहूजा कपूर ने दिप्रिंट को को बताया कि उत्तर प्रदेश, गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में पर्यटन क्षेत्र में बड़ी संख्या में महिलाएं बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं.

कोरोना महामारी से प्रभावित हुए लोगों को लेकर आई विभिन्न रिपोर्टों ने यह भी संकेत दिया है कि कैसे महामारी ने जेंडर डिफरेंस को और भी बदतर बना दिया है. कहा जा रहा है कि महिलाओं को पुरुषों की तुलना में रोज़गार का अधिक नुकसान होने की संभावना है.

शिबानी कहती हैं, ‘जो महिलाएं खुद ही घर चलाती हैं उन्होंने स्वाभिमान खो दिया है. इन सभी औरतों को सरकार से मदद चाहिए ताकि वो अपना बिज़नेस वापस चला सकें.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

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