भोपाल: कोविड-19 प्रोटोकॉल के उल्लंघन कर भारी संख्या में राजनीतिक सभाओं में लोगों के जुटने पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने कहा, ‘कानून, चाहे वैधानिक या कार्यकारी निर्देशों की शक्ल में हो, सम्मान और पालन किया जाने का हकदार है, सामान्य व्यक्ति, नेता, एक राजनीतिक कार्यकर्ता और यहां तक कि राज्य के मुखिया से भी ज्यादा.’
उच्च न्यायालय 18 सितंबर को एक जनहित याचिका (पीआईएल) का जवाब दे रहा था, जिसमें राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत सुप्रीम कोर्ट और राज्य सरकारों द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने के लिए राजनीतिक पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी.
हालांकि, उपचुनावों के कार्यक्रम की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन राज्य में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं, विशेष रूप से ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में, जहां 28 सीटों में से 16 सीटों पर मतदान होना है.
न्यायमूर्ति शील नागू और न्यायमूर्ति राजीव कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने कहा, ‘बड़े पैमाने पर जनता के हित में, बल्कि राष्ट्र के हित में, हम विश्वास और उम्मीद करते हैं कि सुनवाई की अगली तारीख तक राज्य के राजनीतिक पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को केंद्र सरकार, राज्य सरकार और जिले के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा निर्धारित ‘कोविड-19 प्रोटोकॉल’ का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए, जो समय-समय पर किसी भी प्रकृति के समूह को नियमन से जुड़ा है.’
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया था, ‘राज्य के अधिकारी खुद पर अस्पष्ट दबाव के कारण अपने कर्तव्यों का सही तरीके से निर्वहन नहीं कर रहे हैं’ और अदालत से अनुरोध किया कि कोविड-19 मामलों की बढ़ती संख्या के कारण ऐसी सभाओं को तुरंत रोकने का आदेश जारी किया जाए.
कोर्ट में तस्वीरें पेश की गईं
पीठ ने कहा कि यह निर्विवादित है कि महामारी बढ़ रही है, और नोट किया कि उन राजनीतिक पदाधिकारियों के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं, जिन्हें प्रतिनिधित्व करने वाले लोगों का रोल मॉडल माना जाता है.
याचिकाकर्ता के वकील द्वारा बड़ी सभाओं को दर्शाने वाली तस्वीरों का उल्लेख करते हुए, अदालत ने कहा, ‘यदि दाखिल की गई तस्वीरों कथित रूप से हाल की सभाओं की हैं, तो राजनीतिक पदाधिकारी/प्रशासनिक अधिकारी गैर जिम्मेदाराना तरीके से कार्य करते नजर आते हैं.’
तीन अधिवक्ताओं को न्यायमित्र (एमिकस क्यूरी) नियुक्त करते हुए न्यायालय ने कहा कि उनसे अपेक्षा है कि इस बारे में वे पीठ के मुख्य रजिस्ट्रार (ग्वालियर) के माध्यम से तुरंत सूचित करें जिससे ‘किसी के द्वारा आदेश का उल्लंघन हो तो मामले को शुरुआती तारीख में उठाया जा सके’
28 सितंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में इस मामले को सूचीबद्ध करते हुए, अदालत ने मुख्य रजिस्ट्रार से जबलपुर में प्रिंसिपल सीट से उचित अनुमोदन लेने के बाद किसी भी एमिकस क्यूरी से कोई सूचना प्राप्त करने के तुरंत बाद मामले को सूचीबद्ध करने के लिए कहा. ग्वालियर और इंदौर में उच्च न्यायालय की बेंच हैं जबकि मुख्य सीट जबलपुर में स्थित है.
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