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Sunday, 29 September, 2024
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EU की संसद ने आंग सान सू ची को मानवाधिकार पुरस्कार विजेताओं के ग्रुप से बाहर किया, रोहिंग्याओं के दमन पर चुप्पी को बताया वजह

सत्ता में आने से पहले लंबे समय तक राजनीतिक बंदी रहीं सू ची की एक समय म्यामां के सैन्य शासन के खिलाफ अहिंसक संघर्ष के लिए प्रशंसा हुई थी और उन्हें 1991 का नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया था.

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ब्रसेल्स: यूरोपीय संसद ने बृहस्पतिवार को म्यामां की नेता आंग सान सू ची को अपने शीर्ष मानवाधिकार पुरस्कार के पूर्व विजेताओं के समूह से हटा दिया है और इसके लिए रोहिंग्या मुस्लिम जातीय समूह के दमन पर उनके कार्रवाई नहीं करने की वजह बताई गयी है.

सत्ता में आने से पहले लंबे समय तक राजनीतिक बंदी रहीं सू ची की एक समय म्यामां के सैन्य शासन के खिलाफ अहिंसक संघर्ष के लिए प्रशंसा हुई थी और उन्हें 1991 का नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया था.

लेकिन पिछले कुछ सालों में म्यामां में रोहिंग्या समुदाय के दमन के लिए उनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हुई है. 2017 में सेना की नृशंस उग्रवाद विरोधी कार्रवाई से बचने के लिए सात लाख से अधिक रोहिंग्या पड़ोसी बांग्लादेश चले गये थे.

ईयू की संसद ने एक बयान में कहा, ‘साखरोव पुरस्कार विजेताओं के समुदाय की सभी गतिविधियों से औपचारिक रूप से आंग सान सू ची को अलग करने का फैसला म्यामां में रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ जारी अपराधों को स्वीकार नहीं करने और उन पर कार्रवाई नहीं करने के ऐवज में लिया गया है.’

सू ची ने 1990 में साखरोव पुरस्कार जीता था लेकिन वह 23 साल बाद ही यह पुरस्कार प्राप्त कर सकीं.

इस समय वह म्यामां की स्टेट काउंसलर या वस्तुत: राष्ट्र प्रमुख हैं.

स्टेट काउंसलर के रूप में सू ची सेना के काम पर नजर नहीं रखतीं, लेकिन उन्होंने रोहिंग्या समुदाय के लोगों के खिलाफ सेना द्वारा नरसंहार की कार्रवाई किये जाने के आरोपों को बार-बार खारिज किया है.

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