नई दिल्ली: भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने ऑन-डिमांड टेस्ट की अनुमति देने के लिए पिछले सप्ताह अपनी कोविड-19 परीक्षण रणनीति में बदलाव किया है, जिसका मतलब है अब कोई भी अपना कोरोनोवायरस टेस्ट करा सकता है, भले ही उनके पास कोई प्रिस्क्रिप्शन हो या नहीं.
वॉक-इन परीक्षण की अनुमति केंद्र सरकार की तरफ से अब दी गई है लेकिन आईसीएमआर के इस अपडेट से पहले ही कई राज्यों ने प्रिस्क्रिप्शन वाले प्रावधान से खुद को अलग कर लिया था. इनमें गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ शामिल हैं.
इस बीच, दिल्ली और तेलंगाना सहित अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने आईसीएमआर की नई व्यवस्था के अनुरूप अपने नियमों में बदलाव किया है.
‘ऑन-डिमांड’ टेस्ट से संक्रमण की व्यापकता के बारे में स्पष्ट तस्वीर सामने लाने में मदद मिलने की उम्मीद है क्योंकि कोविड-19 के अधिकांश मरीजों को एसिम्प्टमैटिक माना जाता है. नई एडवाइजरी सरकार की तरफ से कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए टेस्ट का दायरा बढ़ाने पर जोर दिए जाने के बाद आई है.
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नई आईसीएमआर नीति
आईसीएमआर ने मामलों की संख्या बढ़ने के बीच शनिवार को अपनी नीति में संशोधन किया. भारत 41 लाख से अधिक मामलों के साथ सोमवार को अमेरिका के बाद दुनिया में दूसरा सबसे ज्यादा कोरोनोवायरस केस वाला देश बन गया. भारत की 70,626 की तुलना में 1.87 लाख लोगों की मौत के साथ अमेरिका ने 61.4 लाख मामले दर्ज किए थे.
सर्वोच्च चिकित्सा अनुसंधान एजेंसी ने कोविड-19 परीक्षण के लिए किसी मेडिकल प्रैक्टिशनर से प्रिस्क्रिप्शन लिखाने की जरूरत खत्म करने के लिए केंद्र सरकार की एडवायजरी में ‘टेस्टिंग ऑन डिमांड’ का नया प्रावधान जोड़ा है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान में कहा कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों को ‘आसान तरीके’ अपनाने पर निर्णय लेने की स्वतंत्रता दी गई है.
पहले के नियमों के तहत उन लोगों के ही टेस्ट का प्रावधान था जिसमें या तो फ्लू जैसे लक्षण हों या किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ कांटैक्ट में आए हों, इसके आधार पर ही डॉक्टर उनके टेस्ट के लिए पर्चा लिखकर दे सकता था.
यह संशोधन दिल्ली उच्च न्यायालय की तरफ से पिछले हफ्ते यह सवाल उठाए जाने के बीच हुआ है जिसमें उसने कहा था कि जिन लोगों में बीमारी के लक्षण नहीं दिखते, जो कोविड-19 मरीजों का एक बड़ा हिस्सा हो सकते हैं. वह टेस्ट क्यों नहीं करा सकते.
राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश क्या कर रहे
दिल्ली के अरविंद केजरीवाल सरकार ने मंगलवार शाम को घोषणा की कि किसी को भी टेस्ट कराने के लिए पर्चे की आवश्यकता नहीं होगी.
मुख्यमंत्री ने यह घोषणा दिल्ली हाई कोर्ट के यह कहने के कुछ ही घंटों बाद की कि राजधानी में कोविड-19 आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए प्रिस्क्रिप्शन की जरूरत नहीं है.
Delhi govt has increased testing multi-fold.
I have directed Health Minister this morning that Doctor’s prescription shud not be asked for testing. Anyone can get himself tested.
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) September 8, 2020
इस बीच, दिल्ली में कुछ सरकारी और निजी अस्पतालों ने सभी मरीजों के लिए टेस्ट अनिवार्य करना शुरू कर दिया है क्योंकि वे मामलों में हाल में आए उछाल और गैर-कोविड इलाज की जरूरत वाले लोगों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
उदाहरण के लिए एक सरकारी अस्पताल जीबी पंत में पंजीकरण काउंटर के पास एक अलग क्षेत्र निर्धारित किया गया है, जहां मरीजों का कोरोनावायरस के लिए टेस्ट किया जा सकता है.
उत्तर प्रदेश में शनिवार तक डॉक्टर परीक्षण के लिए प्रिस्क्रिप्शन मांग रहे थे. हालांकि, चिकित्सा स्वास्थ्य और शिक्षा के महानिदेशक डॉ. डी.एस. नेगी ने दिप्रिंट को बताया कि आईसीएमआर की नई एडवायजरी के मद्देनजर अब किसी भी तरह के प्रिस्क्रिप्शन को वे अनिवार्य नहीं बना सकते. उन्होंने कहा, ‘लेकिन टेस्ट से पहले किसी व्यक्ति के लिए यह बेहद जरूरी है कि वह कांटैक्ट हिस्ट्री समेत तमाम अहम जानकारी देने में सक्षम हो.’
इंदौर स्थित महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज की और राज्य सरकार की कोविड-19 टास्कफोर्स की सदस्य डीन डॉ. ज्योति बिंदल ने कहा कि आईसीएमआर के संशोधन से पहले मध्य प्रदेश में मरीजों से प्रिस्क्रिप्शन मांगे जा रहे थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.
तेलंगाना में भी रविवार को यह अनिवार्यता खत्म कर दी गई. तेलंगाना में जनस्वास्थ्य निदेशक डॉ. जी. श्रीनिवास ने कहा, ‘हम पहले से जोर नहीं दे रहे थे, लेकिन फिर भी, यह (प्रिस्क्रिप्शन) उन लोगों के लिए जरूरी था जो खुद टेस्ट कराना चाहते थे. हालांकि, अब वे बिना डॉक्टर के पर्चे के भी किसी भी केंद्र पर जांच करा सकते हैं.’
आईसीएमआर से पहले ही अनिवार्यता खत्म की
महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और गुजरात जैसे कुछ बड़े राज्यों ने आईसीएमआर की इस घोषणा से बहुत पहले प्रिस्क्रिप्शन की अनिवार्यता को खत्म कर दिया था.
महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई की सिविक एजेंसी बृहन्मुंबई महानगरपालिका ने 7 जुलाई को ही कहा था, ‘सिम्प्टमैटिक या एसिम्प्टमैटिक किसी भी तरह के मरीज के कोविड टेस्ट के लिए प्रिस्क्रिप्शन या सेल्फ-डिक्लरेशन की कोई जरूरत नहीं होगी.’ साथ ही घर से स्वाब कलेक्शन की भी अनुमति दी गई थी. इससे पहले, केवल सिम्प्टमैटिक मरीजों और डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के आधार पर टेस्ट की अनुमति थी. उसी महीने राज्य के बाकी हिस्सों में भी प्रिस्क्रिप्शन की जरूरत खत्म कर दी गई.
पंजाब में सरकारी और निजी अस्पतालों के लिए इसी तरह की घोषणा 19 अगस्त को ही कर दी गई थी. इसी तरह के दिशानिर्देश पंजाब की राजधानी और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में भी लागू हैं.
9 अगस्त को चंडीगढ़ प्रशासन ने कहा, ‘आईसीएमआर से मान्यता प्राप्त औऱ चंडीगढ़ में स्थित निजी प्रयोगशालाओं को पैसे देकर किसी चिकित्सक का पर्चा बनवाए बिना आरटी-पीसीआर परीक्षण के माध्यम से कोरोना टेस्ट करने की अनुमति है.’
राजस्थान के भीलवाड़ा में कोविड-19 कंटेनमेंट के प्रभारी डॉ. रोमेल सिंह ने बताया कि राज्य में शुरू में अपना टेस्ट कराने के इच्छुक लोगों से डॉक्टर के पर्चे की मांग की जा रही थी, लेकिन कहा कि यह अब अनिवार्य नहीं रह गया है.
डॉ. सिंह ने कहा, ‘महामारी फैलने से रोकने के लिए ज्यादा से ज्यादा परीक्षण कराने पर सरकार के जोर के बाद यह अनिवार्यता खत्म कर दी गई. क्योंकि ज्यादा से ज्यादा परीक्षण के लिए हमें लोगों के आगे आने की जरूरत है, नहीं तो कभी-कभार पर्चा बनवाने की प्रक्रिया अनावश्यक समय लेने वाली हो सकती है.
सरकारी सूत्रों ने दिप्रिंट से इस बात की पुष्टि की कि गुजरात में जुलाई के अंत से प्रिस्क्रिप्शन अनिवार्य नहीं हैं, जब राज्य ने क्विक एंटीजन-बेस्ड टेस्ट शुरू कराए थे.
असम में एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए बताया कि महामारी के शुरुआती चरण में प्रिस्क्रिप्शन जरूरी था, लेकिन कभी इसकी बाध्यता नहीं रही. हालांकि, कुछ अस्पतालों ने डॉक्टरों के पर्चे के आधार पर ही टेस्ट करना जारी रखा.
दक्षिणी राज्यों में से आंध्र प्रदेश में पिछले कुछ समय से प्रिस्क्रिप्शन की जरूरत नहीं है. राज्य के स्वास्थ्य सचिव जवाहर रेड्डी ने कहा, ‘सरकार की ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट की रणनीति के अनुरूप हम टेस्ट लगातार बढ़ा रहे हैं, ऐसे में जो कोई भी टेस्ट कराना चाहता है, वह लैब जाने और अपना टेस्ट कराने के लिए स्वतंत्र है.’
कर्नाटक में कोविड-19 अस्पतालों की निगरानी का जिम्मा संभाल रही विशेषज्ञ समिति के अध्यक्ष डॉ. सी.एन. मंजूनाथ ने कहा कि राज्य में टेस्ट के लिए प्रिस्क्रिप्शन की जरूरत नहीं हैं और पहले भी कभी ऐसी कोई शर्त नहीं थी.
उन्होने आगे कहा, ‘यद्यपि कुछ अस्पताल प्रिस्क्रिप्शन पर जोर दे रहे थे लेकिन यह टेस्ट की पूर्व शर्त नहीं थी. लोग किसी भी कोविड-19 परीक्षण केंद्र में जा सकते हैं और अपना टेस्ट करा सकते हैं.’
छत्तीसगढ़ में भी प्रिस्क्रिप्शन की जरूरत नहीं थी. कोविड-19 पर राज्य के कमान और नियंत्रण केंद्र के डाटा प्रभारी और प्रवक्ता डॉ. सुभाष पांडे ने कहा, ‘कोई भी व्यक्ति निर्धारित परीक्षण केंद्रों में जा सकता है और टेस्ट के लिए अपना नमूना दे सकता है.’ पिछले महीने से ही राज्य में फ्लू या खांसी से पीड़ित किसी भी व्यक्ति के लिए कोविड-19 टेस्ट अनिवार्य कर दिया गया था.
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(साथ में केरवी ग्रेवाल, पृथ्वीराज सिंह और रोहिनी स्वामी का इनपुट)
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