नई दिल्ली: पूर्व स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन को इंडिपेंडेंट पैनल फॉर पैंडेमिक प्रिपेरेडनेस एंड रिस्पांस का सदस्य नियुक्त किया गया है. ये वैश्विक पैनल कोविड-19 महामारी पर अंतर्राष्ट्रीय प्रक्रिया का मूल्यांकन करेगा और मई 2021 तक विश्व स्वास्थ्य सभा को एक रिपोर्ट पेश करेगा.
1983 बैच की आंध्र प्रदेश कैडर की आईएएस अधिकारी सूदन, जुलाई में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव के पद से सेवा निवृत्त हुईं थीं.
इस पैनल के कुछ अन्य सदस्य हैं इंटरनेशनल रेस्क्यू कमिटी के सीईओ और यूके के पूर्व विदेश सचिव डेविड मिलिबैंड, अर्थशास्त्री और मेक्सिको के पूर्व राष्ट्रपति अर्नेस्टो ज़ेडिलो और न्यूज़ीलैंड की पूर्व प्रधानमंत्री हेलेन क्लार्क.
जेनेवा में स्थित इसका सचिवालय पैनल की सहायता करेगा, जबकि इसकी बैठकें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए आयोजित की जाएंगी. पैनल के सदस्यों को कोई पारिश्रमिक नहीं मिलेगा. अगर हालात सही रहे तो इसकी आख़िरी बैठक जेनेवा में आयोजित की जाएगी.
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पैनल अपनी पहली मीटिंग 17 सितंबर 2020 को करेगा. उसके बाद, अपेक्षा की जाती है कि पैनल हितधारकों की व्यापक रेंज से, उनके साक्ष्य और विचार लेने का काम करेगा जिनमें विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देश, हेल्थ एक्सपर्ट्स, अर्थशास्त्री, महामारी के सामाजिक प्रभावों के विशेषज्ञ, सिविल सोसाइटी के नुमाइंदे और निजी क्षेत्र के अलावा, आम लोग शामिल हैं.
3 सितंबर को पैनल के सदस्यों के नामों का ऐलान करते हुए क्लार्क ने एक बयान में कहा, ‘इस साल के दौरान कोविड-19 पूरी दुनिया में फैला है और इसने दुनिया के हर इंसान के जीवन को किसी न किसी रूप में प्रभावित किया है. हम चाहते हैं कि इसके शुरुआती उत्थान, दुनिया भर में फैलाव, स्वास्थ्य, आर्थिक और सामाजिक प्रभावों के बारे में ज़्यादा से ज़्यादा जानें और ये भी जानें कि इसे कैसे नियंत्रित और कम किया जा सकता है’.
बयान में आगे कहा गया, ‘पैनल की सिफारिशों का उद्देश्य, महामारी के प्रभावी प्रबंधन में सहायता करना और ये देखना है कि भविष्य की महामारियों के लिए दुनिया की तैयारियों को कैसे मज़बूत किया जाए’.
‘सभी सरकारी मंज़ूरियां हासिल कीं’
दिप्रिंट की ओर से संपर्क करने पर, सूदन ने अपनी नियुक्ति पर कुछ भी बोलने से मना कर दिया. उनके नज़दीकी सूत्रों ने बताया, ‘हां करने से पहले उन्होंने सभी सरकारी मंज़ूरियां ले लीं थीं’.
एक सूत्र ने कहा, ‘और सभी मंज़ूरियां एक दिन में ही मिल गईं. इसमें शामिल एजेंसियों के आंकलन के आधार पर पैनल इस बात की जांच करेगा कि इस वैश्विक महामारी के प्रति अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया कैसी रही है’.
उन्होंने आगे कहा, ‘इस महामारी ने दिखा दिया है, कि इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समन्वय की ज़रूरत है और राष्ट्र जिस तरह से आपस में जुड़े हुए हैं, उसी से मौजूदा और भविष्य की महामारियों में, सरकारों के रिस्पॉन्स का ख़ाका तैयार किया जा सकता है’.
सूदन को अप्रैल में रिटायर होना था लेकिन महामारी की वजह से उन्हें तीन महीने का एक्सटेंशन दे दिया गया था. जुलाई में रिटायर होने तक वो कोविड के खिलाफ युद्ध की अगुवाई करती रहीं, लेकिन बहुत लो प्रोफाइल रहीं और महामारी पर किसी ब्रीफिंग को संबोधित नहीं किया. अपने रिटायरमेंट के कुछ दिन पहले तक उन्होंने कोई इंटरव्यू भी नहीं दिया था.
उनकी नियुक्ति पर बात करते हुए, स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिट से कहा कि ये बहुत ज़रूरी था कि ‘भारत से कोई प्रतिनिधि इस पैनल में हो और इस बात की एक अंतर्राष्ट्रीय मान्यता है कि हमारे शुरुआती फैसलों ने, बड़े पैमाने पर ज़िंदगियां नष्ट होने से बचा लीं’.
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