पटना: बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बुधवार को कहा कि केंद्र सरकार को बाजार से कर्ज लेकर कोरोना वायरस महामारी की वजह से जारी लॉकडाउन के दौरान जीएसटी के कम संग्रह के कारण राजस्व की कमी को देखते हुये राज्यों को मुआजवा देना चाहिये .
जीएसटी नेटवर्क के मंत्रियों के समूह के अध्यक्ष सुशील ने कहा कि केंद्र कम जीएसटी संग्रह के कारण राज्यों को मुआवजे देने के लिए कानूनी रूप से बाध्य नहीं है, लेकिन यह नैतिक रूप से ऐसा करने के लिए बाध्य है, क्योंकि केंद्र की तरफ से यह कहा गया था कि वह राज्यों को क्षतिपूर्ति करेगा.
उन्होंने कहा कि यह केंद्र को तय करना है कि वह राज्यों को क्षतिपूर्ति कैसे करना चाहता है.
सुशील ने कहा कि केंद्र को या तो बाजार से खुद से उधार लेना चाहिए या राज्यों की ओर से गारंटर बनना चाहिए ताकि वे ऋण ले सकें.
जीएसटी कमी की क्षतिपूर्ति के लिये राज्यों को बाजार से कर्ज लेने के लिये नहीं कहा जाना चाहिए: मित्रा
पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर कहा है कि राज्यों को जीएसटी राजस्व संग्रह में कमी को पूरा करने के लिये बाजार से कर्ज लेने के लिये नहीं कहा जाना चाहिए.
मित्रा ने मंगलवार को सीतारमण को लिखे पत्र में कहा, ‘केंद्र को उन उपकर से राज्यों को क्षतिपूर्ति दी जानी चहिए जो वह संग्रह करता है और इसका बंटवारा राज्यों को नहीं होता. जिस फार्मूले पर सहमति बनी है, उसके तहत अगर राजस्व में कोई कमी होती है, यह केंद्र की जिम्मेदारी है कि वह राज्यों को पूर्ण रूप से क्षतिपूर्ति राशि देने के लिये संसाधन जुटाये.’
उन्होंने कहा कि क्षतिपूर्ति भुगतान पर पीछे हटने का सवाल ही नही है. मित्रा ने कहा कि 14 प्रतिशत की दर का हर हाल में सम्मान होना चाहिए.
पत्र में उन्होंने लिखा है, ‘किसी भी हालत में राज्यों से बाजार से कर्ज लेने के लिये नहीं कहा जाना चाहिए क्योंकि इससे कर्ज भुगतान की देनदारी बढ़ेगी. पुन: इससे ऐसे समय राज्य को व्यय में कटौती करनी पड़ सकती है, जब अर्थव्यवस्था में मंदी की गंभीर प्रवृत्ति है. इस समय खर्च में कटौती वांछनीय नहीं है.’
जीएसटी परिषद की बृहस्पतिवार को होने वाली बैठक से पहले उन्होंने यह पत्र लिखा है. बैठक में राजस्व में गिरावट के बीच राज्यों को क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर चर्चा होगी.
जीएसटी कानून के तहत राज्यों को माल एवं सेवा कर के क्रियान्वयन से राजस्व में होने वाले किसी भी कमी को पहले पांच साल तक पूरा करने की गारंटी दी गयी है. जीएसटी एक जुलाई, 2017 से लागू हुआ. कमी का आकलन राज्यों के जीएसटी संग्रह में आधार वर्ष 2015-16 के तहत 14 प्रतिशत सालाना वृद्धि को आधार बनाकर किया जाता है.