कंगना रानौत और जाति का सारा विवाद एक किताब के बारे में किए गए ट्विट से शुरू हुआ. जबकि बात किताब पर होनी चाहिए थी. जैसा कि कहा जाता है कि लोग खत यानी चिट्ठी देखकर मजमून यानी अंदर क्या है ये पढ़ लेते हैं, वैसा ही अफ्रीकन अमेरिकन पत्रकार और लेखक इसाबेल विलकिरसन की किताब ‘Caste: The Origins of Our Discontents’ के बारे में भारत में हो रहा है. इस चर्चा के केंद्र में किताब नहीं, एक ट्वीट है.
ट्वीट में सिर्फ ये लिखा गया था कि इस किताब की दुनिया में काफी चर्चा हो रही है, लेकिन भारत में इसे लेकर चुप्पी है. इस ट्वीट में जाति व्यवस्था के पक्ष या विपक्ष में कोई टिप्पणी नहीं है. इस ट्वीट में आरक्षण शब्द का जिक्र तक नहीं है. लेकिन हिंदी फिल्मों की कलाकार कंगना रानौत ने तय किया कि इस ट्वीट को लेकर बात किताब पर या जाति की समस्या पर नहीं, आरक्षण के बारे में करनी है. उन टिप्पणियों को कंगना रानौत के ट्विटर हैंडल पर जाकर देखा जा सकता है.
Cast system has been rejected by modern Indians, in small towns every one knows it’s not acceptable anymore by law and order its nothing more than a sadistic pleasure for few, only our constitution is holding on to it in terms of reservations, Let Go Of It, Lets Talk About It ?
— Kangana Ranaut (@KanganaTeam) August 23, 2020
इन ट्वीट में कंगना ने मुख्य रूप से 6 विचार रखे हैं:
1. आधुनिक भारत में जातिवाद खत्म हो गया है. छोटे शहरों में भी जातिवाद नहीं है.
2. जातिवाद की समस्या अगर बनी हुई है तो इसकी वजह आरक्षण है, जिसका प्रावधान संविधान की वजह से है.
3. आरक्षण की व्यवस्था मेरिट और ज्ञान के खिलाफ है और इसकी वजह से भारत का श्रेष्ठ ज्ञान अमेरिका चला जा रहा है.
4. रिजर्वेशन भाई-भतीजावाद का ही दूसरा रूप है.
5. अमीर लोग, जो ऑडी कार चलाते हैं, उनके बच्चे भी रिजर्वेशन का लाभ उठा रहे है.
6. जाति का संबंध किसी की पहचान से नहीं है. ये व्यक्ति के गुण पर निर्भर है.
जाति की समस्या की जगह बातचीत आरक्षण पर
जाति पर चलने वाली किसी भी चर्चा को आरक्षण तक सीमित कर देना और जाति के कारण कुछ जातियों को मिलने वाले विशेषाधिकारों और बाकी जातियों के साथ जाति के आधार पर होने वाले उत्पीड़न, भेदभाव और भारत की विभिन्न संस्थाओं में सवर्ण जातियों के बेहिसाब वर्चस्व पर बात न करना वो रणनीति है, जिस पर सवर्ण जातियों के बुद्धिजीवी से लेकर आम लोग तक अक्सर अमल करते हैं.
जाति को लेकर सिर्फ आरक्षण की चर्चा करने की ट्रेनिंग सवर्ण परिवारों में अक्सर बचपन में ही दे दी जाती है. ऐसे बच्चों और बच्चियों के लिए समस्या जातिवाद नहीं, आरक्षण है, जबकि राष्ट्र निर्माताओ ने संविधान में आरक्षण का प्रावधान जाति समस्या के इलाज के तौर पर इसलिए किया है, ताकि तमाम समुदायों, खासकर सामाजिक रूप से वंचित समुदायों को राजकाज में हिस्सेदारी देकर उन्हें राष्ट्रनिर्माण का हिस्सा बनाया जा सके.
ऐसे बच्चे जब जाति की बात आने पर फौरन आरक्षण की बात करने लगते हैं और सारी समस्याओं की जड़ इसे ही बताने लगते हैं, तो दरअसल वे अपनी जानकारी में कोई झूठ नहीं बोल रहे होते हैं. दरअसल इस मसले पर उनको सिर्फ यही तर्क सिखाया जाता है. सिखाने वालों में माता-पिता, रिश्तेदार, दोस्त आदि होते हैं, जो भारतीय स्थितियों में अक्सर अपनी ही जाति या अपने ही जाति समूह के होते हैं. कंगना रानौत जाति के बारे में जो बोल रही हैं, वह इस मायने में सच है कि इसके अलावा कोई सच उनको आज तक किसी ने बताया ही नहीं है.
जाति व्यवस्था और विलकिरसन का तर्क
ऐसे लोगों का अक्सर तर्क होता है कि ‘जाति तो हमने बनाई नहीं है, न मेरे बाप-दादा ने बनाई है और हम या मेरा परिवार न तो दलितों का बलात्कार करता है, न उनको साथ छुआछूत बरतता है. ये तो बहुत पुरानी चीज है. इसलिए लिए वर्तमान पीढ़ी को जिम्मेदार ठहराना या उनसे रोजगार और नौकरियों के अवसर छीन कर किसी और जाति को दे देना कहां तक सही है.’
देश के तमाम अवसरों और नौकरियों पर अपना अधिकार मानना दरअसल एक सवर्ण ग्रंथी है, जिसकी वजह से सवर्ण समुदाय खुद को ज्यादा प्रतिभाशाली और मेरिट वाला मानता है और आरक्षण के खिलाफ खड़ा हो जाता है. ये तब है जबकि भारत की ज्यादातर संस्थाओं जैसे- उच्च न्यायपालिका, नौकरशाही, कॉरपोरेट जगत, मीडिया, कला और फिल्म आदि क्षेत्रों में अतिशय सवर्ण वर्चस्व पहले से है और इस बारे में आंकड़े मौजूद हैं.
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अब एक बार फिर उस किताब की बात, जहां से ये बहस शुरू हुई है. मेरा मानना है कि अगर कंगना रानौत ने इसाबेल विलकिरसन की ये किताब पढ़ी होती, तो जाति के बारे में वे इस तरह से बात शायद न कर पातीं.
विलकिरसन की किताब दरअसल सिर्फ भारतीय जाति व्यवस्था के बारे में नहीं है. उनका मुख्य उद्देश्य अमेरिकी नस्लवाद को समझने का एक नया नजरिया विकसित करना है और उसे क्रम में वे ये बताती है कि अमेरिकी नस्लवाद को जातिवाद और जाति व्यवस्था के नजरिए से बेहतर समझा जा सकता है.
वे एक पुरानी इमारत का उदाहरण देते हुए अमेरिकी नस्लवाद की व्याख्या करती हैं और कहती हैं – पहली नजर में ये घर ठीकठाक नजर आता है. लेकिन जब इंफ्रारेड तकनीक से घर की जांच की जाती है तो उसमें कई तरह की छिपी दरारें और टूटफूट नजर आती हैं. ये घर अब यहां रहने वालों के लिए सुरक्षित नहीं है. लेकिन कुछ लोग कहते हैं कि ‘ये घर इस हाल में कैसे पहुंचा, इससे मेरा कोई लेना देना नहीं है. मैं अतीत में किए गए अपराध या पाप के लिए कैसे जिम्मेदार हूं?’ वे भूल रहे हैं ये घर बुरे हाल में है तथा इसकी हालत और खराब हो रही है. यहां रह रहे सभी लोगों को इसकी मरम्मत में जुटना चाहिए.
जाति बीमारी है और आरक्षण इलाज है
भारत में रिजर्वेशन या वंचित तबकों के लिए चलाई जा रही योजनाओं के जरिए इस इमारत की मरम्मत का काम चल रहा है. कितनी मरम्मत हो पाई है, इसका आकलन अभी होना है, लेकिन ये कहकर कि आरक्षण से जाति व्यवस्था अब तक कमजोर नहीं हुई, मरम्मत के काम को रोक देने के समान होगा.
दरअसल जाति व्यवस्था की विशेषता ये है कि हमेशा नजर नहीं आती. एक एक अदृश्य विशेषाधिकारों का झोला है, जिसमें से उपयुक्त मौके पर कोई चीज निकालकर सवर्ण लोग अपने लिए इस्तेमाल कर लेते हैं और बाकी समय में ऐसा आभास दिलाते हैं, मानो ऐसा कोई झोला उनके पास है ही नहीं.
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विलकिरसन बताती हैं कि जाति भाषा नहीं, उसका व्याकरण यानी ग्रामर है. ये हमें तभी सिखा दी जाती है, जब हम बच्चे होते हैं. हो सकता है कि हमने व्याकरण की अलग से कोई किताब न पढ़ी हो, लेकिन व्याकरण पढ़े बगैर भी बच्चे बोलना सीख लेते हैं और उन्हें पता होता कि किस शब्द के बाद क्या और कैसे बोलकर बातचीत करनी है. हम बोलते वक्त व्याकरण के बारे में सोचते तक नहीं हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हमें व्याकरण नहीं आता. यही बात जाति व्यवस्था के बारे में लागू होती है. ये होती सब जगह है, लेकिन इसका होना अक्सर नजर नहीं आता. ऐसे विशेषाधिकार अमेरिका में श्वेत लोगों को हासिल हैं, जिनके बारे में नारीवादी लेखिका पेगी मेकिंटोस ने पूरी थीसिस लिखी है कि किस तरह श्वेत लोगों के पास विशेषाधिकारों की एक पोटली होती है, जिसका वे जब चाहे, इस्तेमाल कर लेते हैं.
हालांकि भारत में सवर्ण जातियों की विशेषाधिकारों की पोटली अमेरिका की तरह अदृश्य नहीं है. भारत में जातिवाद का अक्सर बेहद क्रूर और हिंसक तरीके से इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन खासकर विदेशों में बसे भारतीय और महानगरों में बसे लोग जाति को बारीक तरीके से अपने पक्ष में इस्तेमाल करते हैं. ऐसा कई बार अनजाने में किया जाता है, जिसकी वजह से सवर्णों में कई बार जातिवाद को लेकर कोई अपराध बोध भी नहीं होता.
विलकिरसन बताती हैं कि जाति का छिपा होना इसे ज्यादा खतरनाक और टिकाऊ बनाती है. वे कहती हैं कि नस्ल अगर चमड़ी है तो जाति हड्डी है. ये हमारे बीच के फर्क का आधार तत्व है. इसकी वजह से ही भेदभाव वाली व्यवस्था खड़ी है. ‘ये हवा की तरह है. जब इसकी रफ्तार ज्यादा हो तो ये आपको उड़ा ले जा सकती है. लेकिन सामान्य स्थितियों में ये होती तो है, लेकिन नजर नहीं आती.’ मिसाल के तौर पर जब भी कंगना को जरूरत पड़ी तो उन्होंने अपनी जाति- राजपूत की पहचान का इस्तेमाल कर लिया और बाकी समय में वे जातिमुक्त या सिर्फ भारतीय बन जाती है. कर्णी सेना ने मणिकर्णिका फिल्म रिलीज होने के समय जब विरोध किया तो कंगना ने अपनी राजपूत जाति को आगे कर दिया. अब वे कहती हैं कि वे सिर्फ भारतीय हैं.
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सवर्ण समुदाय जाति का ऐसा सलेक्टिव इस्तेमाल करता रहता है. मिसाल के तौर पर लगभग हर सवर्ण बुद्धिजीवी ने 2010-2011 में जाति जनगणना का विरोध किया या लगभग हर सवर्ण ने 2019 में सवर्ण आरक्षण का समर्थन किया और फिर वे आसानी से जातिमुक्त और सिर्फ भारतीय बन गए और कहने लगे कि जाति तो अब बीते दौर की बात है.
दरअसल सुविधा के अनुसार जातिमुक्त हो जाना सवर्णों के लिए ही मुमकिन है. सतीश देशपांडे सवर्णों की इस सुविधा का जिक्र करते हुए कहते हैं कि ‘सवर्ण जातियों के लोग अपने विशेषाधिकार को कारण खुद को जातिमुक्त बता पाते हैं, लेकिन वंचित समुदायों के लोगों को अपनी जाति की पहचान को सामने लाना पड़ता है. इस वजह से जब भी जाति की बात होती है, तो उसका मतलब वंचित जातियों से लगाया जाता. इसलिए बाकी जातियों के लोगों को एससी-एसटी या ओबीसी कटेगरी के अंदर रखा जाता है और सवर्ण जातियां जनरल कास्ट बन जाती हैं.’
विलकिरसन बताती हैं कि ‘जाति चुपचाप काम करती है. ये कठपुतली का खेल दिखाने वाले उस कलाकार की तरह है, जो परदे के पीछे रह कर कठपुतलियों को नचाता है. ये उस दवा की तरह है जो हमारी नसों में दोड़ती है. इस वजह से अन्याय को न्याय की तरह देखा जाता है, ऐसा माना जाता है कि सिस्टम के चलते रहने के लिए अत्याचार तो करना पड़ता है.” ये सब इसलिए ताकि वर्चस्वशाली वर्ग का दबदबा कायम रहे.’
धम्म दर्शन निगम बताते हैं कि इस वजह से सवर्ण लोग उन अत्याचारों की बात नहीं करते, जिनकी वजह से बाकी लोगों की जिंदगी तबाह हो जाती है. उन्हें लगता है कि अपने हाथों से मानव मल को साफ करना एक पेशा है और सीवर में होने वाली मौतों को उसी तरह देखना चाहिए जिस तरह से अन्य कई पेशों में खतरा होता है. जाति उत्पीड़न उनके लिए एक सामान्य चीज है, दलित-बहुजन राजनीति उनके लिए देश की सबसे बुरी बात है और रिजर्वेशन उनके हिसाब से राष्ट्रीय संपदा की लूट है.
कंगना रानौत को ये जानकर खुशी हो सकती हैं कि खुद को जातिमुक्त मानने वाली एक अच्छी-खासी शहरी और आधुनिक जमात देश में मौजूद है. 2011 में जब जाति को जनगणना में शामिल करने का मामला सामने आया तो इस जमात ने कहा कि – मेरी जाति हिंदुस्तानी. कंगना ऐसा कहने वाली अकेली सवर्ण नहीं हैं.
(लेखक पहले इंडिया टुडे हिंदी पत्रिका में मैनेजिंग एडिटर रह चुके हैं और इन्होंने मीडिया और सोशियोलॉजी पर किताबें भी लिखी हैं. व्यक्त विचार निजी हैं)
मैं इस लेख के लेखक को अच्छे से जानता हूं वे स्वयं अपनी निजी जिंदगी में तक जाति से आगे नही सोच पाते । श्रीमान गरीबी सबसे बड़ी जाति है लेकिन आप ओर आपका परिवार ने इससे अधिक सोचने की क्षमता ही नही तो क्या करे ?
आरक्षण इतना अधिक अच्छा है तो आजादी के 73 साल बाद भी आप यह क्यों नही मान रहे कि दलितों का विकास हो चुका है । यदि आरक्षण से उनका विकास हो चुका तो अब इसकी क्या जरूरत ओर यदि नही हुआ है तो 73 साल में इस व्यवस्था से कुछ नही हो पाया तो भविष्य में इससे कुछ होने वाला नही, इसे बंद करने की जरूरत है ।
लेकिन आपके अक्षम बच्चों को रेवडी मिलती रहे इस लिए इसे बदलना नही चाहते ।
Above 80%arks acquired student out from merit list due to general category and 65% marks acquired student selected due to specific cast category.
Then what is right in this . Talents are killing due to reservation system.
Reservation should completely withdraw .
Competition should open for every one merit basis.
Or तुम्हें क्या कहा जाए
क्या बात कर रहे हो??? असल मे आप लोगो ने अंधभक्ति का चस्मा पहन रखा है इसलिए आप लोगो को सब कुछ अच्छा ही लगेगा क्योंकि जो आप लोगो को आपके पूर्वजों ने बताया वो ही दिमाग मे बसा लिया। हिन्दू धर्म ऊँच नीच की बुनियाद पर टिका है, सँविधान के माध्यम से बाबा साहेब ने हिन्दू धर्म के जातिवाद के कलंक को काफी हद तक मिटाया लेकिन आज आधुनिक युग मे भी जाति का जहर सवर्ण समाज के दिमाग से निकला नही है। मैं पूछता हूँ कि किसने ऊँच नीच की व्यवस्था बनाई थी???अछूत लोग जानवरों से भी बदतर जिंदगी जीने को मजबूर थे, इसके लिए कौन जिम्मेदार थे???तुम्हारे पूर्वजों ने काल्पनिक ग्रँथ रचकर समाज को अंधविश्वास व अंधकार की तरफ धकेल दिया है। क्या आप लोग समाचार नही सुनते या पढ़ते????या अंधभक्ति का चश्मा लगा रखा है,,,,, कोई दिन ऐसा नही जाता जिस दिन दलितों का उत्पीड़न नही होता,,,,, Please study about NCRB report…….Your eyes will open to see the atrocities incidents rate……It has been increased in last six years at rapid rate…… एक जवान की सहादत के बाद जब उसका अन्तिम क्रियाक्रम सामुहिक शमशान घाट में किया जाता हैं तो उच्च वर्ग उस जवान की सहादत को भूलकर उसकी जाति पर आ जाता हैं और निम्न जाति का हवाला देकर उसके शव का अंतिम संस्कार नही करने देता,,,,,, ये है महान हिन्दू धर्म की विशेषता,,,,,,,,, जातिवाद का असली रूप देखना है तो जाइये राजस्थान, MP, गुजरात,,, बिहार,,UP,,,, दक्षिण भारत के राज्यों में,,,ऐसे तो जातिवाद का ज़हर पूरे देश मे ही फैलाकर गए है आपके पूर्वज लोग,,,,,,,लेकिन इन राज्यो में तो भयानक स्तिथि है, आंख खुल जाएगी आप लोगो की। अपनी जातिवादी सोच बदलो और इंसानियत को शर्मसार होने से बचाओ,,,,,, अब तो EWS के नाम पर 10% मिल गया अब क्यो रोना रोते हो आरक्षण का?? .?आरक्षण कोई ग़रीबी उन्मूलन कार्यक्रम नही था बल्कि सवर्णो द्वारा हज़ारो सालो से गुलाम बनाये गए वंचित समाज को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ना था। अब बहुजन समाज (Sc/st/obc) जाग चुका है और वो धर्म के नशे से बाहर आकर अपने अधिकारों व समुचित भागीदारी के लिए संघर्ष करेगा।
जय भीम जय भारत
73 साल से आपलोग इसी नफरत से मात खा रहे है और फिर भी अक्ल नही आ रही कुछ बाबा साहेब से ही सीख लेते तो भला हो जाता। किसी की जय करने से आप कुछ हासिल नही कर पाएंगे। आरक्षण के लिए आप खुद ही कह रहे हैं कि ये आपको 73 साल में सम्मान नहीं दिला पाया। हद है !
Right
जय श्री राम
महोदय आप सही कह रहे है परंतु जो हुआ उसके प्रतिशोध से क्या उन्नतिशील समाज का निर्माण हो सकता है। मित्र ये मेरा मानना है कि जो आरक्षण की व्यवस्था चल रही है इससे किसी को लाभ नहीं होने वाला है क्योंकि आप बताइए कि यदि भारत सरकार का कोई विभाग कोई नियुक्ति निकलता है जिसमे 50 सीट sc कास्ट के लिए आरक्षित है तो आपके देश के सबसे पिछड़े क्षेत्र का sc स्टूडेंट उसके योग्य होगा या वो sc स्टूडेंट जिसके माता पिता एक पोस्ट जैसे ias, ips पर काबिज है और देल्ही के टॉप कॉलेज से पढ़ा हुआ है उसका होगा।
यदि उस टॉप कॉलेज से पढ़े बच्चे का ही होगा तो फिर आरक्षण का जो वास्तविक हक़दार है अर्थात पिछड़े क्षेत्र का स्टूडेंट जिसके पास इतने संसाधन नहीं की वो देल्ही के टॉप कॉलेज के पढ़े बच्चों के समकक्ष खड़ा हो पायेगा फिर आरक्षण का लाभ कहाँ मिल रहा है? भाई साहब क्या ऐसे आरक्षण व्यवस्था से देश का या किसी जाति का विकास होगा यदि जो आरक्षण का लाभ ले चुका है उसके आने वाला generation ही लाभान्वित होता रहेगा। मित्र किसी को गली देने या किसी पर दोषारोपण करने से हम पिछड़े क्षेत्रो के सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगो को किसी प्रकार का लाभ प्रदान नहीं करा पाएंगे…..be progressive and do pregressive ….????
इसका वजह जाति व्यवस्था है जैसे एक जाति विशेष ही क्यों ब्राह्मण बन सकता है । कोई गैर ब्राह्मण जाति क्यों नही आजतक ब्राह्मण बन पाया इसका वजह क्या है ये जाति आरक्षण धर्म की ही देन है । कोई जन्म से ही बड़ा बन जाता है और कोई मेहनत कर के भी नीच समझा जाता है आज भी कुछ लोगों को मानशिकता नही बदली है जाति को लेकर वह उसी झूठी आन बान पे जी रहा है ।जाति ही खत्म कर दो जातीगत आरक्षण पुनः खत्म हो जाएगा ।
मेरा तो ये मानना है कि सारे आरक्षण को merge करके सिर्फ़ एक EWS कर देना चाहिए जिससे कि जो गरीब और वंचित तबके के लोग हैं उन्हें ही सिर्फ आरक्षण मिले। एक पिछड़ी जाति के IAS के बच्चों को भी जो कि एक सामान्य श्रेणी के 90% लोगों से ज्यादा सुख सुविधा पा रहा है उसे भी आरक्षण चाहिये। ये गलत है।
Absolutely right. Instade of the cast reservation, why not to give them free education, and let them gain the knowledge to compete with open candidates, for the jobs.
Babasaheb Ambedkar , had proved that intelligence is not related to cast. He never enjoyed the reservation system, but still he became a respected , educated persone.
Unfortunately , the reservation , at present is used not for progress of the down trident, but for their own political goals.
Yes you are correct i support you
मेरा तो मानना है जो जाति सूचक सब्द का प्रयोग करे उसे वोट ओर सरकारी सुविदा देनी बन्द कर देनी चाहिए तब धीरे धीरे जाति खत्म हो जाएगी जाति पूछने ओर बताने वाले को 7 साल जेल हो तब सही हो जाएगा सब
Bilkul Sahi BAAT..
Right.
बहुत बढ़िया …जय भीम
15% लोग सुधरने वाले नही है क्योंकि इसीमे उनको मलाई मिलती है They are the beneficiary of the manuwadi social sysestm.ऐसे सोशल सिस्टम को भारत का sc,st,obc अपने कँध्ये पे लके घुम रहा है उस्को फेक देना पडेगा.इसिमें समझ दारी है.85%sc st obc के अब बात समझ मे आ रही है .
Absolutely right, ?
Jai bhim jai bharat
Jay bhim jay mulniwasi
Agar reservation itna hi kharab hai to EWS ya PH ke naam per reservation kyon.Pvt medical aur engineering college mein paise k dam par suvidha lenewale merit ki baat karate hain.Jinlogon ne hajaron saal tak disaron ko adhikar se vanchit rakha aur khud apne liye reservation ka labh liya unhe merit par baat karate sharm nahi aati.Eklavy ka angutha katwane wale Karn ko jaati k aadhar par siksha se vanchit rakhane wale Barbarik ke merit se aatankit ho uska shishdan mangnewale Shambhuk k tapasya yani vidya arjan karne par uski hatya karnewale meri t ki baat karein shobha nahi deta.
आपने जो बाते कही वो सत प्रतिसत सही h। ये लोग अपने लिए जितने आरक्षण रखे हैं वो सबके सामने है।ऐसा कोई जगह नहीं h जहां इनका आरक्षण नहीं है।
ये दोगले किस्म के लोग सही को गलत और गलत को सही कह के जातिव्यवस्था को कायम रखे हैं। कंगना की बात 100% सही और इस लिक्खाड़ की बात 200% झूठ है
सही आरती उतारी आपने इस दोगले मक्कार की।
आपकी बात से बिल्कुल सटीक है
ओर मैं इससे सहमत हूँ
आपकी बात से बिल्कुल सटीक है
ओर मैं इससे सहमत हूँ
आपकी बात से बिल्कुल सटीक है
ओर मैं इससे सहमत हूँ
Sahi Kaha Aapne iss writer k liye jaatiwad se Aage Soch Nahi h
कृषि भूमि राष्ट्रीय संपत्ति है तब भी कुछ जातियों का मालिकाना हक क्यों है क्या ये आरक्षण नहीं । प्रतिनिधत्व सभी स्थानों पर होना चाहिए । राष्ट्र सभी लोगो से मिलकर बना है कृषि भूमि का कोयला फिल्ड की तरह पट्टा ट्रांसफर होना चाहिए ,ये ग़लत है कि कोई जन्मजात मालिक है और कोई मजदूर कभी हमें भी मालिक बनाओ सबका नम्बर चाहिए
Reservation should be there till inter-caste marriage is not a taboo in india. On one hand a genral caste will stand in a group and call themself “upper caste” and when it comes to reservation, they will start playing victim card. Not possible.
आजादी के 73 साल बाद भी आप जातिवाद को ख़तम क्यों नही करना चाहते।हमे आरक्षण की बिल्कुल जरूरत नहीं, बशर्ते की आप को जाति की जरूरत नहीं हो।
और रही बात हमारे बच्चों को अक्षम बताने की, तो ये जान लो की हम बड़े से बड़े exam में आप लोगों को मात देने लगे हैं और अभी तो शुरुआत है आगे आगे देखना होता है क्या।
आरक्षण कोई गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम नहीं है, इसके लिए तो और बहूत सी योजनाएं हैं, उनका ही सही से उपयोग कर लो जनाब।
Bhai sahab arakshan 5000 saal Tak chalaa jaati ke adhar par logo ko kaam baat diye gaye the tumhara vikash kaise nai ho paya?
आरक्षण हैं और रहेगा भी।
Srivastava ji aapne bilkul sahi kaha hai.india me hamesha general category walon ko galat hi batate hai ye gupta jaise log.hum log general category wale bahut mehnat karke acche number laate hain phir bhi selection nahi hota hai.mai last 2 year se ye jhel raha hun.mere friends jo obc aur sc wale they unka selection ho gya jabki mere number unse jyada they.jab sab caste ke log ek sath rehte hai sath me padte hain to caste system kahan reh gya.phir bhi reservation milta hai in sab ko aakhir kyun.
Bilkul sahi
भाई श्री वास्तव।
बात आरक्षण की आयी हैं तो बता दूँ की आरक्षण तब खत्म हो जब सभी वर्गों को शिक्षा मे सभी को बराबर का माहोल मिले।
आपके बच्चे प्राइवेट स्कूलों मे पढते हैं और आरक्षण वाले सरकारी स्कूलों में।
आपके बच्चे प्राइवेट स्कूलों के अलावा tution लेते हैं।
फिर बताओ आरक्षण वालों के बच्चे जिन्हे तुम्हारे बच्चों की बराबरी केसे करेँगे।
Kangana Ranaut is a woman of low intelligence. He has no knowledge of the structure of Hindu society. So she is unintelligent and talks stupidly. The reservation base of people belonging to scheduled castes and tribes is their social and educational backwardness. This does not affect the merit and superiority that people say casteism in Hindu society is over. This is in the same way that a blind person sees everything green in the month of Sawan.
कंगना ने बिलकुल सही कहा।इसमे गलत क्या है।सत्य तो आखिर सत्य होता है।सत्य को नकारने की स्वीकारना सीखना चाहिए।
मन्दिरों में 100% आरक्षण पर भी चर्चा होनी चाहिए।
और जाति खत्म होना चाहिए जिससे आरक्षण अपने आप समाप्त हो जाए।
आपको किसने रोका है खुद का मंदिर खोलने और जिसको चाहे 100% रिजर्वेशन देने के लिए।
समस्या ये है आप हिन्दू देवी देवताओं को गाली देते ह और चाहते हैं आपको मंदिर में रखा जाए।
नही दुबे जी,,,सत्य नही बल्कि 100% झूट कहा,,,,, क्योंकि कंगना की तरह ज्यादातर सवर्ण समाज ने अंधभक्ति का चश्मा पहन रखा है,,कंगना ने कहा कि जातिवाद अब भारत मे खत्म हो चुका है,,,, अंधे हो गए हो क्या??न्यूज़ नही सुनते हो क्या? ऐसा कोई दिन नही जाता जिस दिन दलित समाज का जाति उत्पीड़न नही होता,,,,,, अभी इसी महीने की बात करे तो पूरे देश मे दर्जनों मामले आ गए हैं सामने,,,,आजमगढ़ में दलित प्रधान की हत्या,,,,उत्तराखंड में ब्राह्मण परिवार के घर के पास दलित द्वारा जमीन खरीदने पर ब्राह्मणो द्वारा आपत्ति,,,,गाज़ियाबाद में भी इसी तरह का मामला आया,,, ये ही हिन्दू धर्म की महानता,,,,,,,,, लेकिन अब बहुजन धर्म की अफीम को लात मारकर अपनी भागीदारी के लिए संगठित हो रहे है। जय भीम जय भारत।
अब दलितों के साथ जितना भी उत्पीडन हो रहा है वह सब मुसलमानों द्वारा किया जा रहा है । जय भीम जय मीम कर मुसलमानों के साथ बहुत प्रेम बढ़ रहे हैं और उल्टा मुहँ की खा रहे हैं
बिलकुल सही
Kya yar kbhi to desh k bare me soch bhai tum khud k bare mt soch aur baba sahb ko bhi ek genral cast valy ne pdaya likaya tha smjy bhai
बिल्कुल सही
Absolutely wrong
Manuwadi to kisi ka bhala nahi chahta jaise tum ho
Reservation is our constitutional right.
जातिवाद की वजह से आरक्षण दिया गया है l न की आरक्षण कि वजह से जातिवाद । कभी किसी उच्च जाति के लोगो को जाति व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाते हुए या आन्दोलन करते हुए देखा है नही न क्योंकि उनके लिए सिर्फ आरक्षण सिरदर्द है और जाति व्यवस्था वरदान है इसलिए कभि भी उनके लिए जाति व्यवस्था खत्म नही होनी चाहिए। क्योंकि ये उच्च जाति का टैग देती है। सभी व्यक्ति अपने नाम के आगे जाति का ठप्पा लगाना छोड़ दें । फिर कहो कि आरक्षण खत्म कर दो ।। जय भीम जय भारत
Yeh aapki apni soch hai aap jaativaad hatane ki baat karte hain aur log jai bheem jai bheem bol bolkar jo savarnon ko gaali dete hain uska kya ..aur jis vyakti ko ek baar reservation mil gaya ab use dobara kyun milna chahiye
Jai bhim
कंगना रनौत तो सही में झांसी की रानी बन गयी है और समाज की हर बातों में दखल अंदाजी करनेवाली विद्वान ठेकेदार भी। उसने सुशांत सिंह राजपूत केस यथार्थ वादियां क्या कि, सब उसे विद्वान समझ बैठे है पर समाज व्यवस्था में उसने अपने वक्तव्य से मूर्खता और अनभिज्ञता का परिचय दिया हैं। भारतवर्ष के जनक दलित लोग ही हैं,जिन्हें द्रविड़ कहा गया आर्योंद्वारा। वर्णव्यवस्था ने सुख चैन आनंद से जीवन व्यतीत कर रहे इन लोगों से इनके जीवनप्रणाली पर हमला किया और इन्हें दास/ गुलाम बनाया।इनके औरतों को भी जमकर लूटा भी और संततियां पैदा कर शरिरसुख भी प्राप्त किया।वर्णसंकर का सुशोभित नाम दिया।दास्तां ऐसी की पशुओंसें भी बदतर हालत कर दिया- कमर में झाड़ू, मुंह पर लोटा,पैरौंमे घुंघरू बंधवा दिए। सोशल डिस्टंसिंग की ये मिसाल ५हजार साल पुरानी है। क्रमशः:-२पर
Saala h reservation Kon khta h hmme pta h195 lakr 120 Bale se har gye
Sarkari pdo pr sawarna ka hona unki yogyta h na ki reservation
आज जब सोशल डिसटेनसिंग से फायदा हो रहा है। तो तब भी रहा ही होगा। पर आपका दिमाग वहां तक सोच नहीं पायेगा।
तुलना बराबर के लोगों से की जाती है
बड़ा ही खेद है भारत की दुर्दशा देख कर हर कोई अपनी रोटी सेकने मै लगा है सब लोग बड़े ज्ञानी बनते हैं,,, सत्य को स्वीकार कोई नही करना चाहते,, जब वेद पुराण पढ़ते हैं तो सब मनु की संताने है मतलब 1 जात, इस्लाम मै अदम ओर हवा की, इसाई धर्म के अनुसार एडम और ईव की मतलब सब 1 ही पैड के पत्ते हैै लड़ाई ओर फर्क बस इतना है कि सवर्ण बोलते है मै ऊंची शाख का पत्ता हूं दलित नीची शाख पर सब सै बड़ा जो इस की जड़ है वो h पैसा ओर ताकत क्या आप को पता h दुबई के जो शैख h उन के लिए वाहांकाम करने वाला हर कोई नोकर h मतलब दलित चाहे आप कोई भी तीस मारखआन हो वहां बोलता h पैसा अब बात पॉवर की जब आप k upar ka koi officer chahe दलित हो आप को झक मारकर उस को सैल्यूट करना पड़ता है आप चाहे कितना भी ना चाहते हो ,,,तो ज्ञान की बात ये h जिस की लाठी थी उस की भैस थी अब वो की c ko bhi pakdwa Do सवर्ण ओर दलित ये व्यवस्था थी समाज को चलाने की पर कुछ पाखंडी लोगो ने खुद k lalach k liye is ka Satya Nash Kar Diya भगवान ने ये नही बनाई ,,आज विदेशी हम सै इस वजह सै आगे है अब भी समय है जग जाओ ओर मनुष्य बनो की c kirane ki दुकान के समान ना बनो क्यों की टैग लगी हर वस्तु बिकाऊ हो ती h चाहे वो कम या ज्यादा एमआरपी का क्यों ना हो ,,अब तो देश के बारे मै सोचो
Lagta hai ki tumhe reservation ka arth hi pta nhi he?
जो व्यक्ति एक बार नीच जाति में पैदा हो गया उसकी संतान तो हमेशा नीच जाति में ही पैदा होती है इसमें नही कहोगे की जनरल में हो जाये
आर्थिक आरक्षण से क्यो फटता है
मिल तो गया आर्थिक आरक्षण का भीख अब क्या चाहिये पूरा 100 percent reservation. जो 2000 साल से ले रहे थे ।
ये खुद जातिवादी लिक्खाड़ हैं इन्हें लेखक कहना भी गलत है।
क्या कुछ गलत कह दिया जो कहा वह सही तो कहा है आरक्षण के कारण ही आज पीछे है हमारा देश आरक्षण का आधार आर्थिक होना चाहिए चाहे वह किसी भी जाति या धर्म का हो या फिर आरक्षण को खत्म कर देना चाहिए घोड़े के पैरों में जंजीर बांधकर कब तक गधे को जीत आते रहोगे
अब तो सवर्ण को भी तो 10 % आरक्षण मिल गया देखते हैं देश कितना आगे निकलता है ।
रेस गधों का गधों से और घोड़ों का घोड़ों से होना चाहिए
गधो का घोडो के साथ नहीं
Aarkshan ke Karan nahi jaatiwad ke Karan h peeche humara desh
कंगना रनौत ने जो भी कहा सही कहा है आरक्षण का आधार या तो आर्थिक होना चाहिए जब बिल्कुल खत्म कर देना चाहिए कब तक घोड़े के पैरों में जंजीरे बांधकर गधे को जीत आते रहोगे इस आरक्षण के कारण ही प्रतिभाशाली लोग भारत में काम नहीं कर के विदेशों में जाने को मजबूर हो रहे हैं और इन भारत के नेताओं ने आरक्षण को अपना हथियार बना लिया है और कोई जो आरक्षण के खिलाफ आवाज उठाता है तो उसको दबाने की पूरी कोशिश की जाती है जो लोग 70 सालों से आरक्षण लेकर भी सक्षम नहीं हो पाए हैं अब क्या खाक सक्षम हो जाएंगे
Ye कंगना रनाउत हैै कोन सिनेमा मै काम करने वाली अदाकारा जो कि शब्दों के भी पैसे लेते हैं ,,,क्यों इतनी तवाजो दी जा रही है पब्लिसिटी का जमाना है इन k liye पुराने जमाने में भले लोग दूर रहा करते थे इस पेशे सै पर अब इसमें है पैसा ,,,कई दलितों k Nokar driver Mali sab सवर्ण मिल जाएं गै,
क्यूं की उन का घर जात सै नही पैसे पर चलता है,
अब मां लीजिए सब धनी हो जाए तो फिर ये काम कोन करे गा ,,,झाड़ू,पोचा बर्तन ये टू सब की बीवी या घर की महिलाएं करती h मतलब कि ये सब एससी ,ओर जो गैंगस्टर चोर डाकू सब स्वर्ण जो लड़े हथियार चलाए समय है सोच बदलने का जिस दिन देश के डाक्टर, न्ायाधीशगण, फौजी ने जात देख ना शुरू कर दिया सोचो क्या हो Ga 1 मनुष्य मै भगवान ने सब जात डाली है सोचो सुबह सै रात के बीच हम चारो वर्णों मै सै निकलते है ,,,अपनी साफसफाई हम खुद करते है तब हम शूद्र h नहा धो k Pooja path करते है तब ब्राह्मण है अपने काम काज पर जाते h तब वैश्य ओर जब की c अत्याचार या दूराचार के खिलाफ बोलते है तब क्षत्रीय है ,,, भारतीय बनो मनूज बनो ,,,जय भारत जय श्रीराम
कंगना रनौत ने जो भी कहा सही कहा इसमें गलत क्या कहा आरक्षण के कारण ही आज हमारा देश पीछे है और इन राजनेताओं ने इसको अपना राजनीतिक हथियार बना लिया है आरक्षण का आधार केवल आर्थिक होना चाहिए ना की जाति के आधार पर
किसी के घर नहीं सिखाया जाता है, जब जनरल वाले बच्चों। को ठोकर लगती है, और पता चलता है, की उनके साथ वाला अमीर लड़का उनसे कम नंबर पाकर मेरिट में आ गया
तब आती है, याद आरक्षण की , की ये कितना ख़तरनाक है
Ekdum sahi
I like this article, even agreed with almost all of them.
And also happy to see that someone is there in India who can explain reservation and castism so well.
Thanks to The Print also for give some space to this aticle
Bhai caste par nahi karna h toh amir garib par reservation karo vo bhi pas padhai k samay naukri m nhi.bahut saare sc amir h aur bahut general garib h.
Sc=special cast
General is just general normies.
Don’t know kangana is right or not about castism existence but i m sure about the sc being less talented than the general candidate who did not pass exam due to 1 marks
लोग हमेश आरक्षण के बारे में बात करते हैं , वो ये कभी बात नही करते कि देश को किस प्रकार से विकाश की राह पे ले जा सकते हैं , कैसे समाज मे जो वैमनस्यता है उसे खत्म करें।
सब बस आरक्षण पे बात करते हैं क्यों ही हर किसी को आरक्षण चाहिए , कोई ईमानदारी से बात करना नही चाहता ।
इस देश क्या nepotism खत्म हो गया है , क्या ये आरक्षण नही है। हमेशा किसी एक जाति का वर्चस्व ये आरक्षण नही है। ये सब बस कहने की बातें हैं । कोई सामाजिक न्याय पे बात करना ही नही चाहता
जाति तो खत्म हो गयी है समाज मे किन्तु आरखं की बजह से सबने टैग लगाए गए है
आरक्षण ही जाति को समूल खत्म नही होने दे रहा
Writer own wife was brahmin i believe, most dalit leaders in india married to so called savarna girls including ambedkar. M not denying need of reservation and neither denying discrimination against dalits soecially in rural areas but blaming all so called savarna class for kangana statement is third class argument.. look like writer motive is to bring more divide in society..
अगर उच्च पदों पर स्वर्ण जाति के लोग बैठे हैं तो उनकी काबिलियत है आरक्षण से नहीं बैठे हैं आरक्षण ही जातिवाद है।
Everybody has reservation in country, no point to discuss this, reservation is being diluted in India.
क्यों स्वर्ण लोग गरीब नही होते क्या ?
क्यों स्वर्ण लोग गरीब नही होते क्या ?
अपनी ठगी के लिए तालियां चाहने वाले मंडलजी से जैसी उम्मीद थी वैसा ही उन्होंने लिखा है। इन्हें आरक्षण पर बात भी करने से जो समस्या है वह वैसी ही है जैसे चोर को चोरी करते हुए दिख जाने से। जो कि आरक्षण है भी, किसी और के माल की चोरी।
मंडल जी के लेख के अनुसार “एक अदृश्य विशेषाधिकारों का झोला है, जिसमें से उपयुक्त मौके पर कोई चीज निकालकर सवर्ण लोग अपने लिए इस्तेमाल कर लेते हैं और बाकी समय में ऐसा आभास दिलाते हैं, मानो ऐसा कोई झोला उनके पास है ही नहीं”। यह लाइन अपनी जाति के नाम पर दूसरों के हक़ की चोरी करने वालों पर भी कितनी सटीक बैठती है।
मंडल जी के लेख के अनुसार “देश के तमाम अवसरों और नौकरियों पर अपना अधिकार मानना दरअसल एक सवर्ण ग्रंथी है”। हाँ और परीक्षा में 100 नंबरों को 40 से ज़्यादा मानना भी एक सवर्ण ग्रंथि है।मूर्ख सवर्णों को मेरिट लिस्ट बुरी लगती है तो उसे उल्टा पकड़ कर देखें।
Reservation must not be on basis of Caste.. Otherwise government is itself doing discrimination. It must be on basis of economical conditions.. Why son and daughter of a affluent reserved class needs reservation but not a poor general class. Those who selected in IPS exam on basis of caste.. does their children need reservation.. Do they have lack of resources?? Doctor, Officers.. do their children need reservation.. No Reservation is only for Affulunt people.. Those who really needs it never gets it.. Otherwise reservation is from last several decades.. But only who 1st time got the benefits of reservation grabs all opportunity… Those who never do hard work.. Doesn’t know the value.. This musttt be chnages
Bahut hi baised thoughts hai aapke, shame on you sir jI , you should be neutral and just report what is happening, tum ek bhi tark ko Kat nhi skte to reservation ko oppose krne walo ko sidha hi purani aur Samantvadi soch ka aur so called apni jati pe ghamand krne wlaa bta Dete ho , shame on you
Bilkul shi hai आरक्षण hat जाएगा तो सब hat जाएगा
जाति भी
Kangana ne galat nahi kaha sach bola caste se jyada reservation hatna jaruri hai
Jaatiwaadi agar bimari h aur aarkashan ilaaj to itne saalon mein bimaari khatm kyon nhi huyi. Aur ab to had ho chuki h ab aarkashan bimaari ban chuka h jiska general caste ke sath sath pura desh shikar ho rha h. Dekhiye sarkaari school aur hospital ka haal. General caste to 100 percent mark lene ke liye sangharsh kar rhi h aur aarkashan bhoji maze le rhe hain
Jati ke aadhar par age mein aarakshan kyun
Aur agar aarakshan dena hai to padhai mein do job,age , education , government facilities aur promotion aadi mein kyn dete ho
Waise ye editor bhi aarakshan waala hai
Isliye ise bahut dard hai
Ye AARAKHSAN waale sirf apna aaraskhan bachate Hai
Yahi hain sarkar ke LOOP holes
Are sarkar se aarakshan lena hai to MILITARY mein kyun nhi lete jahan chhati par goli khaani hoti hai
कंगना की बातों में गलत कुछ नहीं तेरे जैसे लोग समानता भी चाहते हैं और आरक्षण भी
After 70 yrs of reservations, If you are still not capable to compete with the generals, you’ll never be.
And why are you not talking about a creamy layer system in SC/ST categories?
Cause you don’t want to let go of the privilege??
Hypocrite.
Since she does not know the difference between cast and caste, why give importance to her opinion?
Manuvadi women your mind is stop and aap ki sochne Samanjhne ki Shakti khatam ho Gyi h
Arakshan hatega to jatiwad apne aap hi khatm ho jayeyega.kyu ki logon ko sirf or sirf arakshan ne baata hua hai.
आरक्षण हो जातिवाद को बढ़ावा दे रहा है। आजादी के बाद आरक्षण पाने के लिए 5000 नई जातियां पैदा हो गई। और फिर जनरल वालो के साथ अन्याय हो रहा है वो नहीं दिखाई देता आपको, भेदभाव के लिए तो एससी एसटी एक्ट है ना, फिर आरक्षण की क्या जरूरत, मेहनत करोगे तो सब मिल जाएगा। और कानून की बात का बहन मत बनाना, ऐसे तो कानून तीन तलाक का भी था, 370 भी था, जो को गलत थे इसलिए हटा दिए गए पर आरक्षण आप सबको सही लगता है। जो खुद की जाती का नाम बड़े गर्व से अपनी गाड़ियों पर लिखवा के रखते है वो ही आरक्षण की बात आए तो अपनी जाती को छोटा बताते है, क्या पाखंड चल रहा है।
आरक्षण हो जातिवाद को बढ़ावा दे रहा है। आजादी के बाद आरक्षण पाने के लिए 5000 नई जातियां पैदा हो गई। और फिर जनरल वालो के साथ अन्याय हो रहा है वो नहीं दिखाई देता आपको, भेदभाव के लिए तो एससी एसटी एक्ट है ना, फिर आरक्षण की क्या जरूरत, मेहनत करोगे तो सब मिल जाएगा। और कानून की बात का बहन मत बनाना, ऐसे तो कानून तीन तलाक का भी था, 370 भी था, जो को गलत थे इसलिए हटा दिए गए पर आरक्षण आप सबको सही लगता है। जो खुद की जाती का नाम बड़े गर्व से अपनी गाड़ियों पर लिखवा के रखते है वो ही आरक्षण की बात आए तो अपनी जाती को छोटा बताते है, क्या पाखंड चल रहा है।
शेखर जी, लोकतंत्र में वोट बैंक के लिए जाति व्यवस्था बनाए रखने में हर राजनीतिक दल किसी दूसरे से कम नहीं है। यह सत्य है कि आरक्षण समाप्त होना चाहिए लेकिन केवल नौकरियों में नहीं बल्कि मंदिर के पुजारियों और ट्रस्ट में भी। मुस्लिम और ईसाइयों को आरक्षण का कोई कारण नहीं है क्योंकि उनके धर्म में कोई भेदभाव नहीं है। केवल हिंदू अनुसूचित जाति और जनजाति को ही आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए और वह भी मात्र पंद्रह और साढ़े सात नहीं बल्कि उनकी आबादी के अनुपात में।
You are r8…also caste is totally removed from leaving certificate as well all the government and non government docs…every one should be treated as human and Indian only …any one can be pujari of any of the temple of pan India…..
Ms.Kangna Ranout, tell us all whether caste system must abolished and let all will live together as whole world united else as per your Sanghi mindset thinking ‘Reservations’ has to abolish,first talk on this issue because if you live and spare from such caste system then you can talk about all drugs and all,as per my opinion you are puppet of so called Hind* fundamentalist and all your thoughts are poision,so keep your mouth shut,because whatever your talking this freedom is given by Constitution and not by ‘Manumurti’ ,as it your not suppose to talk as like freedom you got,and get marry and wait for kids,just cook the food and make happy to your hubby.First read the Dr.Babasheb Ambedkar’s literature and then pass such comment.
तुम जैसे टुच्चे पत्रकारों को आज का दंश जो हम गरीब सवर्ण झेल रहे हैं, झेलना पड़ता तो तो बक बक नहीं करते। ये पुराने जातीय उत्पीड़न से सौ गुना बढ़कर है, जिस पर इस दशक में भी बीत रहा है वहीं जानता है।
Jatiwad zrur bimari h pr arkshan iska ilaj nhi reservation should b on economic basis taki hr gareeb apna yogdan bharat k nirman me de ske
कंगना ने सही तो कहा है आधुनिक युवा में जातिवाद नहीं है,लेकिन अपना संविधान इकलौता है जो जाति को ढो रहा है,संविधान में जाति के आधार पर कानून चला रहे है,संविधान में जाति के आधार पर संरक्षण चल रहा है,जाति के आधार मानकर संविधान सम्मत जाति प्रमाण पत्र बनाए जाते है, छः हजार जातियों का विकास आज संविधान में hi हैै रोज एक ना एक जाति बढ़ती ही जा रही है पहले अछूत और एससी संरक्षण में १२ अछूत जाती थी आज लगभग ३ हजार जाति हो गई है ,संविधान जाति खत्म करने के लिए बना था या वर्ग बनाकर जाति का विकास करने के लिए?
Aur bhi kuch jagah jativad hota hai…isliye reservation life time hona chiye..aur rahega bhi..jay..bhim..jay sanvidhan..jay bharat..
Ye news vale kuch bhi likh te h Kangana jii ne galat ni bola ye caste system hatna chaiye general caste vale mar rhe h or ye st sc obc vale aishh kr rhe h or ye sab gov ke krn horha h sab gov ko bas vote ka laga rehta h islia ye bimari faila ke rakhe h india me bhagavn ne caste ni banaya hum sab humans ko ek barabar banaya h to kyu ye caste laga kr business kiya ja rha h
सही कहा कंगना ने
Progressive and important ideas of our contry
Bilkul bkbas lekh h likhne vala bhi sayd reservation ki bjh se hi yaha tk phuncha h
We can’t expect anything better than this from a biased news platform like THE PRINT…i dont know why Google display such cheap news on my news section.
Your narrative is very wrong and you are propaganda is ,let not abolish the cast system in India .
There is no cast issue in society now
But reservation is making difference reservation is oxygen to the cast system in India
Hello,,all SC st OBC,, remain please,,,pure bharat mein ,,,OBC samaz se kewal 9 professor hai,,our wo v reservation k bajah se ,,baki sab sabarn samaz se hai,,our OBC se ,,supreme Court mein ek v judge nahi,pure k pure sabarn samaz se hai,, SC ST to aise v OBC k bina biklang hai,,,to SC ST OBC reservation k birodh karne se pehle,,,,ek baar jarur soche,,our han ,,jis v manubaadi ye bolta hai ,,samaz se jaati baat khatam ho chuka hai,,,to ye v bol ki Tere Khandaan mein se kitne dalit tumhare behn beti ko Sadi kar k damad bane,,,,fir agey baat Kar,,,,
एक विशिष्ट जाती को लेकर आपकी लेखनी आपकी व्यथित भावना प्रदर्शित करती है ।क्या आप इस बात से व सहमत है कि आजादी के बाद बहुत कुछ सुधार हुआ है हमारे समाज मे औऱ जो गरीब और वंचित तबके के लोग है वो आज भी वंचित ही है और जो सुविधाएं का लाभ उठा रहे बस उन्हें ही उसका लाभ मिल रहा तो ये आपके विचार से जो वंचित है वो सवर्ण रहे या कोई अन्य रहे तो आप इसे किस नजरिये से देखते है क्या यह भी आपके लिए एक स्वर्ण विचारधारा है या आप अपने विचार से बस हमारे समाज के बुराई को देखते है । किसी पर आरोप लगा कर उसे दोषी मानना और पूरे समाज का अपमान करना ये आपकी निजी सोच में एक भारी कमी और गहरे सडयंत्र को प्रदर्शित करता है।
The writer has completely misinterpreted the modern India take on reservation. We know that reservation is essential for the upliftment of people. Thats why we support reservation based on economic status.
The reservation based on caste is what we are against. This is because the reservation does not reach the poor people and the people who are really discriminated against. The benefits of reservation are taken by the so called “creamy layer”.
For proof you can the entrance exam results of any institute. Maximum amount of students who have got entry through the reserved seats are from well to do families. They have been educated in the best schools and have the same advantage as the general families.
The poor people for whom these provisions were put in place have hijacked by the creamy layer.
And the opposition to theremoval of caste based reservation is also done by creamy layer only.
The people who get discriminated against are also with Reservation based on Economic Status because they have a hope that they will finally start getting some benefits which they have been deprived of for such a long time.
Reservation introduce krne ka main aim society ke picchde varg ko pehchan dilana thi.
par ye picchde varg kon h kya ye pata krna zaroori nhi?
Aaj ka scenario ye h ki…kisi bhi bade reputated exam me ek general category ka student (jise proper resources nhi mil pate kyuki wo economically weak family se belong krta h) bahut better score krta h SC category ke us student ke against jiski family kaafi strong h economically
bt fir bhi wo seat allocate hoti h us SC student ko.
Toh kya wo general student ek chance deserve nhi krta apni family ko develop krne ka even if he has performed much better than many luxorious backward stamped economically strong poor performing candidates.
Aaj ke samay me reservation pe sirf politics hoti h.
Wo backward students km effort se pane ke baad us post ko defame hi krte h…
Reservation criteria should be reconsidered.
Reservation is matter of polytics not for benefit of backward people.
जब आरक्षण जाती आधारित होगा तो जातिवाद कैसे मिटेगा?
सीधी बात है आरक्षण का लाभ अमीर दलित उठा रहे है।
जब तक आरक्षण खत्म नही होगा हम जातिवाद खत्म होने नही देंगे।
कुछ लोग कहते हैं कि आरक्षण से देश बरबाद हो रहा हैं उन बुद्धजीवियो से मेरे कुछ सवाल है:-
1- देश की आज़ादी के बाद जितने भी घोटाले हुए उनमें से एक भी आपको आरक्षण वाला नहीं मिलेगा।
2- आजादी से लेकर आज तक जो घोटाले हुए उनमें से कोई भी जाच में दोषी नहीं निकला। जबकी घोटाले होना सत्य माना।
3- विदेशों में काला धन पूरा जनरल अमीरों का है एक भी आपको आरक्षण वाला नहीं मिलेगा।
4- देश के बैंको का पैसा लेकर विदेशों में भागकर बसने वाले सभी सवर्ण हिन्दु लोग हैं।
5- देश के शूद्रो को 5000 सालों तक शिक्षा सम्पत्ति नौकरियां से दूर किसने रखा तथा कथित सवर्णो ने।
6- देश के लोगों 4 वर्णो और 6000 जातियों में किसने बांटा मनुवादियो ने।
7- देश में जाति के आधार पर अछूत सछूत का जहर किसने बोया मनुवादियो ने।
8- देश के मंदिरो में 100% आरक्षण किसका हैं ब्राह्मणो का क्या बांकी लोग हिन्दु नहीं हैं जो पुजारी बन सके।
9- देश को गुलाम किसने बनाया राजाओं की आपसी फूट ने और राजाओं की गद्दारी ने।
Hum to aise v jaati baat khatam nahi karna chahte,,tu reservation kese khatam karega,,,
Thanks please for nice analysis.
कंगना रनौत के आरक्षण के दुरुपयोग पर विचार सटीक है। जातिवादी सोच, जातिवादी ने ता, आरक्षणी, लोग इस आरक्षण नीति का नाजायज फायदा उठा रहे हैं। प्रोमोशन में तो बिल्कुल आरक्षण नहीं होना चाहिए। यूपी, बिहार में करोना संकट में आरक्षित डॉ मरीजों को छोड़कर भाग खड़े हुए हैं। आरक्षण हर जगह है। आवास के आवंटन, दुकान के आवंटन, नौकरी, प्रो मोशन, आदि। बिना बारी के पदोन्नत अधिकारियों का स्वर्ण स्टाफ के प्रति व्यवहार भी गलत होता है,जिनको उन्होंने ने सुपरसीड किया होता है। सरकारी महकमे में उन्हें पता है कि उनका कोई बाल बांका भी नहीं कर सकता।
Bilkul galt kaha galt kangna ranot ne Abhi bhee jativad bahut hai rajsthan me Aur haryana me hai Aur Aaj bhee SC ST OBC kamjor varg hai Abhi tak unka vikash nhi huyaa savidhan bachao Jai bheem eske kahne se kya hota hai jb Aarkhashan hatne pr Aa gai na desh me dange hoge
Excellent post
Realistic and based on ground reality.
So called upper caste people discriminate and when there is no way around they started talking about reservation
They themselves get reservation (10%)and secure rank by getting lower mark than even STs.
There population is around 30% but secure undeclared reservation of 50% because of predominance of so called upper caste in higher judiciary,Beaurocracy.
They are about 90% in government colleges as professors.
They create havoc upon lower caste by hurting their self respect in day to day life.
They dominate the media so you can’t even get the news of dalit oppression.
But still casteism is in the blood of lower caste
But tell me from where did they learn casteism-
They learnt it from upper caste
This the harse reality…
Jai Hind
Exactly
इस तरह के घटिया तर्क सिर्फ the print से ही संभव हो सकते थे। आप हमारे अपेक्षा पर खरे उतरे है। जो दोगलापन आप जैसे लोग , मीडिया घराने दिखा ते हो इसमे आपका दोष नही अपितु आपके वामपंथी आकाओ का आदेश है।
कंगना ने एकदम सही और सटीक बात कही है। मैं सबको भाई मान भी लू तो ये संविधान मानने नही देता।
सवर्णो के लिए ‘general’ या ‘others’ इस्तेमाल होता है, एक ऐसा ठप्पा जो हट नहीं सकता।
वही SC-ST, OBC, जब मर्जी अपने कैटेगरी की सीट उठाते है, जब मर्जी general की।
PSC कैटेगरी के लोगो को जनरल पे सेलेक्ट करती है, और कैटेगरी की सीट को खाली छोड़ कर बैकलॉग से भर्ती है- मेरे पास प्रमाण है।
शिकवा केवल नेताओ से है जो vote bank के लिये merit को हासिये पर धकेलते है, – brain drain।
पासवान जी का पूरा परिवार पीढ़ी दर बार-बार रिजर्वेशन ले रहा है,
अगर सही मैं SC-ST, OBC का उत्थान करना है तो पासवान जी अपना रिजर्वेशन छोड़ कर अपनी जाति के दूसरे भाइयो को सीट जीतने का मौका दे, reservation should be once or twice for a person(not always) so that other people of same cast can take benefit to uprise
कंगना ने एकदम सही कहा है। आरक्षण की vjha se बच्चा बचपन से ही अपने आपको sc समझता है, खुद ही अपने को नीचा देखते है। 10 साल के लिए था, आज 73 हो गए, जनरल केटेगरी क्या इस देश की नहीं है। kb tk हमारे अधिकारों का हनन होगा, क्या गरीबी जाती देखकर आती है। bc वोट बैंक पालिटिक्स इसको खत्म नहीं होने देगी। जो 73 साल आरक्षण लेकर भी गरीब है तो उनको भगवान भी अमीर नहीं कर सकता। चुटिया बनाना बंद करो, हमको हमारे अधिकार चाहिए। जाहिल लोग आरक्षण से सिस्टम मे बैठकर हमारे समाज को खोखला कर रहे है।
Well, don’t you think that reservations on the basis of caste has made casteism even more rigid? The reservation should instead be based on the economic backwardness instead. Give the SC and ST free education, that would serve th to the best of their interest instead. Also, these reservations are only benefiting a few mind you. It is not reaching where it actually should. It is time to make changes in the laws and make them on economic background instead.
Don’t you think your scriptures made it more intense
I support Kangana Ranaut say about reservation. Reservation always give economic base not cast base.
Reservation always give economic base not cast base.
में रणधीर सिंह भूमि हीन हूं और में जर्नल केटेगरी में हूं
और में ठाकुर हूं राहू गा
जातपात खतमकर्ने से पहले हर गरीब श्रवण को sc st से ज्यादा आरछड़ दो
नहीं तो जड़ से खत्म कर दो
हम महनत मजदूरी कर के नोकरी पा सकते हो
लेकिन आरछन हमें
निराशा की ओर दकेल देता है
बॉर्डर पर सबसे ज्यादा यादव ओर जरनल bale मारे जाते है
न कि स्क
एक दिन sc बालों की बजाय से बहुत बड़ा तूफान
खड़ा करने की जरूरत गरीब जर्नल बालों को h
main bhi sochata hu reservation katam ho. But ak sart hain ki jitne bhi sawarn log hain unka 50% jamin sc/st/aur obc ko diya jay. Aur bhoom hin sawarn bhai ko bhi… Agar ye sart manjoor hain to main aaj hi apna caste certificate change karwa lunga.. No reservation no tension…. Bhoomi ki bat is liye kiye hain ki ye bhi Bhart ke nagrik hain to inko itna kam bhoomi kyo. Inka bhi itna hi hak hain jitna ki aap sabhi ka .. Jamin rahegi to ye apna gujara kar lenge naukari ki jaroort hi nahi. Jisko jroort hogi wo general me fight karega
ठाकुर साहब आप का राजपाट किस एससी ने छीना है ,आप काबिल बनो पैसा कमाओ , पढ़ो लिखो किस एससी ने आप को शिक्षा सै वंचित किया है ,सोचो इस आरक्षण की जरूरत क्यों पड़ीं कुछ तो बुरा किया था लोगों का सो बोए पेड बबूल का तो आम कहां से होय 1000 साल झेला h इनलोगो ने अब हमारी बारी है आर्मी 1अच्छा ऑप्शन h ज्वाइन कीजिए
वर्तमान में आरक्षण ही जातिवाद को बढ़ावा दे रहा है।
Totally wrong……जातिवाद की वजह से आरक्षण है ना कि आरक्षण की वजह से जातिवाद,,,,,70 सालो में ही रोना शुरू कर दिया,,,,,,और दलित समाज हज़ारो सालो से मनुवादियों का गुलाम रहा, उस पर भी कुछ बोलो,,,,अब तो ac के कमरे में बैठे बिठाए 10% (EWS) मिल गया,,,क्या अब भी पेट नही भरा,,,,, ब्राह्मणों ने झूठे वेद/ग्रँथ रचकर ,ऊँच नीच की व्यवस्था बनाकर व अंधविश्वास को बढ़ावा देकर इस देश को सैकड़ो साल पीछे कर दिया,,,,
तुम्हारी इसी नफरत ने तुम्हे अनंत काल के लिए आरक्षण पर आश्रित कर दिया है।
Your thinking will make you begger in future.
The way you said reservation is taught by upper caste to their children from beginning shows your mentality.even those who are upper in obc said caste base slang to lower cast.5 to 6 caste dominates in obc reservation while there are more than 5300 caste in them.St reservation is 50% dominated by a community in rajasthan go and check figures of upsc, ssc ,or any other group A,b,c jobs. In jharkhand, chattisgarh and Northeast majority St are denied of the uses of reservation or doesn’t get the full use of it.the rural poor sc,st are still denied by the one who have been “socially uplifted by the helf of reservation”.I urge you MR. Editor.please check my facts…The system is totally political biased in bihar,up political party uses reservation as tool to win election from mandal commission 1991,2006 in education,to ews and maratha quota. Mr editor… Please visit the interior parts of india in chattisgarh, jharkhand.the best way would be to provide them free and high class education till graduation free to all irrespective of class,caste, religion.
आरक्षण जाती धर्म के आधार पर नही देना चाहिये आर्थिक निकष पर देना चाहिये
Madam Arakchan se jyada khatarnak jati vaad hai or usse bhi jyada khatarnak Brahman bad hai
Casteism was created by Vedas,puran and Manusmruti and Constitution ended it. Kangana blame is based on poor knowledge about Indian History.
समझ में नहीं आ रहा ये कैसी पत्रकारिता है?
स्वर्णों के लिए इतनी नफरत भारी और झूट से डुबोया हुआ ये भाषा आपने कहा सीखा?
ये ज्ञान मुझे नही लगता आपने पढ़ाई कर के लाया है।
ये बस आपका नफरत फैलाने और आरक्षण की भूख ही ऐसी शब्द का इस्तेमाल करने को बोलता होगा।
मै खुद १२ कक्छा में था तब आरक्षण जैसी चीज सुनने को मिली और तभी जाती का भाषा समझ भी आया।
सवर्णो से इनकी नफरत ही है जो इन्हें अनंत काल तक आरक्षण की आवश्यकता रहेगी और सवर्ण श्रेष्ठ बना रहेगा और ये स्वयं जाति प्रथा को बल देते रहेंगे।
कंगना रानौत का कथन सटीक है। वास्तव में बीमारी तो आरक्षण है,यदि समाप्त हो जाते तो जाति व्यवस्था स्वत:क्षीण हो जायेगी,देश कुशल लोगों के हाथ में होगा,प्रगति करेगा।
मुश्किल यह है कि तटस्थ भाव से सोचने का माहौल नहीं रहने दिया जा रहा है। दलितों के मन में घृणा भरी जा रही है।यह उतना ही खतरनाक है जितना कभी दलितों से भेदभाव की भावना रही होगी। सवर्णों से उठकर सामाजिक व धार्मिक विभूतियों ने भूतकाल,में एवं वर्तमान में भी भेदभाव की मुखर आलोचना की जिसका उन्हें विरोध भी झेलना पड़ा ।दलित समाज से ऐसी कोई किरण नजर नहीं आ रही है कि वे इस पर निष्पक्ष विचार कर सकें । इसे सामाजिक समस्या न मानकर राजनीतिक हथियार बनाया जा रहा है ।इसी वजह से दलितों का एक हिस्सा ही उन्नत हो पाया। प्राचीन काल में अपनी आजीविका के कारण अछूत माने जाने वाले आज भी वहीं के वहीं हैं । कहीं कोई मरता या घायल होता या पिटता है तो उसके दलित होने को उभारना फैशन बन गया है चाहे उसके दलित होने का उस घटना से संबंध हो न हो । जहां वास्होतव में होता है वहां से फोकस खत्म हो जाता है।कई बार अत्याचार का कारण गरीबी होता है जाति नहीं । दलितों के समर्थ वर्ग के लोगों को खुद आगे बढ़कर आरक्षण को अपने निचले पायदान के लोगों के लिए छोड़ने की घोषणा कर देनी चाहिए।
Jai bhim
are murkho reservation nhi cast htane ki bat kro.jis time India me cast khatm hoga reservation khud khatm ho Jayega salo.??
कोई एससी-एसटी, किसी सवर्ण का शोषण तो नहीं करता।
कभी कोई एससी-एसटी, किसी सवर्ण का शोषण तो नहीं करता, जाति के नाम पर अपमानित तो नहीं करता, अत्याचार तो नहीं करता,
कभी कोई एससी-एसटी, किसी सवर्ण का शोषण तो नहीं करता, जाति के नाम पर अपमानित तो नहीं करता, अत्याचार तो नहीं करता।।
कंगना जैसे मानसिक रोगियों को जातिवाद का बढ़ावा देने वाले खुद सबसे बड़े जातिवादी कीड़े है।
कभी कोई एससी-एसटी, किसी सवर्ण का शोषण तो नहीं करता, जाति के नाम पर अपमानित तो नहीं करता, अत्याचार तो नहीं करता।।
कंगना जैसे मानसिक रोगियों को जातिवाद का बढ़ावा देने वाले ये खुद सबसे बड़े जातिवादी कीड़े है।
देश का सत्यानाश ही कंगना जैसे मानसिक रोगियों ने लिया है जिनके दिल और दिमाग में बस जातिवाद का जहर पनपा हुआ है।।
Jaati khatm kroge tu sab apne aap line ban jaiga jati ek hatiya h
Kangana n kya glt kha h, sb Shi to bola h glt aapki thinking h, jo bdlni chaiye aapko….
You also suffering from mental disease.
Es lekh ko likhane or liye bahut bahut dhanybad ji
कब तक हम एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते रहेंंगें।
समस्या तो सभी बताते है और अपने – अपने पक्ष में तर्क भी देते हैं , पर समाधान कोई नहीं बताता ।
देखा जाए तो जो कुछ एक समाज द्वारा दूसरे समाज के साथ किया गया वह सही नहीं था , पर जो हो गया उसे बदला नहीं जा सकता पर उसकी वजह से भविष्य भी दांव पर नहीं लगा सकते………
अतः मेरा मानना ना है कि भारत से जाति को हटा दिया जाए
जाति का जिक्र न तो किसी फार्म में न ही किसी धार्मिक स्थल , सामाजिक स्थल पर किया जाए……
उसके बाद गरीबों को आरक्षण दे दिया जाए……बिना यह जाने की वह किस जाति का है……….सब की जाति हिन्दू
सरनेम वयवस्था खतम , केवल नाम और पिता या माता का
नाम बस …………..सोच कर देखो भारत इतना मजबूत हो
जाएगा ……….
कंगना ने बिल्कुल सही कहा वास्तव में जिस तत्व पर बात होनी चाहिए उस तत्व को लोग इग्नोर करते हैं परंतु जिस तथ्य पर 50 साल पहले बात हो रही थी आज भी उसी तथ्य को लेकर बात किया जा रहा है वास्तव में पिछले 70 साल से आरक्षण से क्या फायदा मिला यह पूरा देश गवाह है इसी आरक्षण की वजह से आज गांधी परिवार की कांग्रेसमें प्रधानमंत्री के पद पर बैठा होता है आज आरक्षण की वजह से ही किसी एक्टर का लड़का एक्टर बनता है आज आरक्षण की वजह से ही डॉक्टर का लड़का डॉक्टर ही बनता था परंतु यह तथ्य आज के मॉडल सोसाइटी ने अस्वीकार कर दिया है आज ऐसी व्यवस्था बन रही है जहां पर नेता का लड़का नेता डॉक्टर का लड़का डॉक्टर एक्टर का लड़का एक्टर नहीं बन पा रहा है जिससे सामंतवादी विचारधारा के लोग अपनी पीड़ा सिर्फ समाज के छोटे गरीब को बहला-फुसलाकर अपना स्वार्थ सीधा करना चाहते हैं वास्तविकता यह है कि आरक्षण की व्यवस्था नहीं अमीर को अमीर बना दिया है और गरीब को गरीब बना दिया है गरीबों को हजार रुपए की सैलरी का टेंशन देकर उनकी महत्वाकांक्षा को रोक दिया गया है और जो 70 सालों से लाख रुपए कमा रहे हैं आज वह करोड़ों रुपए कमा कर सिर्फ राज करना जान रहे हैं।
या देश उन लोगों को कभी माफ नहीं करेगा।
Sc St wale ko equal Kar do bhedbhav end Kar do Aarakshan khatm kar do .Bhai abhi village me Etna bhedbhav hai . Jaise lagata hai bhedbhav kabhi end he nhi hoga
जाति यदि समाप्त करना है तो सबके जाति उपनाम हटा दिया जाना चाहिएजो गरीब हैं उनकी मदद करनी चाहिए मंदिरों में सभी जातियों के पुजारी होने चाहिए ताकि कोई किसी को बड़ा और छोटा ना समझें ये क्या कारण है कि मंदिरो में केवल ब्राम्हण ही पुजारी रहें
Sawarn log reservation ki mool bhavana ko samjte huye bhi nasamjh banane ki natak krte h q ki unhe is faida
Ye log janmjat zins hi dusprabhavut ho gya h nhi sudharne bale kabhi bhi samajik niya ki bat nhi kr sakte
दो में से एक व्यक्ति का स्वास्थ्य ठीक न हो तो उसे अस्पताल ले जाकर विशेष उपचार देते है ताकि वह ठीक हो है। कैसा हो उगर उसे ठीक होने के बावजूद सारी जिंदगी अस्पताल में बितानी पड़े? आरक्षर = अस्पताल, व्यक्ति=जातियां, स्वास्थ्य=सामाजिक स्थिति। यह मेरा विचार है।
मैं जन्म से हिंदू हूं। इस हिंदू धर्म में जातिवाद स्पष्ट है। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र जैसे आरक्षण हैं और मनुस्मृति और विभिन्न हिंदू धर्मग्रंथों के संदर्भ हैं। भारत में जातिवाद का कोई अंत नहीं होगा, एकमात्र कारण है – “मंदिर”। जनता को धोखा देने के सिवाय मंदिर का जनता के लिए कोई फायदा नहीं है। मंदिर बंद हो जाए, तो अपने आप जातिवाद बंद हो जाएगा।
Antarjatiya vivah ko manyata Di jaye. Jati virodh karne wale ko fasi Di jaye. Arachan khatam Karo.
Tere mar luga sale jaada kangana ji or unke family ko ulta bola rha hai
आरक्षण में बदलाव की आवश्यकता है आरक्षण सिर्फ 10 वर्ष के लिए था आज तक बढ़ा कर इसका दुरुपयोग किया जा रहा है जरूरतमंद आज भी आरक्षण से वंचित है अब आरक्षण केवल अर्थ आधारित होना चाहिए
#जातिगत_आरक्षण_हटाओ_आर्थिक_आरक्षण_लाओ
आरक्षण में बदलाव की आवश्यकता है आरक्षण सिर्फ 10 वर्ष के लिए था आज तक बढ़ा कर इसका दुरुपयोग किया जा रहा है जरूरतमंद आज भी आरक्षण से वंचित है अब आरक्षण केवल अर्थ आधारित होना चाहिए
#जातिगत_आरक्षण_हटाओ_आर्थिक_आरक्षण_लाओ
Reservation ka rule pasand aaye to batana
100%
OBC 30 %
ST 15%
SC 20 %
URR 10% 15 % population ke liye kafi h agar shale jyada mangoge to gaand me tail niklwana apni me se
25 % open competition isme ST SC OBC URR sabhi ke jayenge n ki 15 % wale
Par shalo ne
59% par kabja kar rakha hai jaise ye desh in shale ureshiano ki jagir ho
Jab naukari sarkari nahi rahegi to Reservation to apne aap khatam ho jayega
Is baat ko soch ke
Sarkar apne niji dalalo ko
Railway
Airport
Bank
Telecom
LIC
HPCL
Road
Bech rahi h kya iske khilaf aawaz utha sakte ho kya aap
Dalalo
Jab private ho jayega sab kuch
To
10 th fail unka Support ya rishtedar hi service kar payega
Inmein
St sc ka agar karega
To uske saath bhedbhav kiya jayega apamanjanak shabd bole jayega
Jo sadiyon se hota aa raha h
Tum madarchaud jaati Dharm yevam Reservation ke naam par apna andha gyan pel rahe ho
Reservation Samanta ka adhikar hai n ki bhedbhav ka
Jaise ab karne ja rahi hai sarkar
जातीगत आरक्षण खत्म करो जातिबद स्वम् ही खत्म हो जाएगा। और जाति का महत्व खुद ही खत्म हो जाएगा न तो जातियो के नाम पर न नोकरी मिले न ही टिकट ।
जब तक जातिवाद खत्म नहीं होगा
बेचारा भंगी भंगी रहेगा
चमार चमार रहेगा
और पंडित उसे उसी नजर से देखेंगे
चाहे कोई कितना ही आगे की सोचो
दुनिया की सोच नहीं बदलेगी
इसलिए आरक्षण काम से कम उनके खिलाफ होने वाले शोषण से कुछ हद तक
सरकारी संस्थानों में जा सकता है
वरना
जो खुद के संस्थान है जातिवाद वहां होता है
जिसे जॉब देनी है देगे
आरक्षण की वजह से सरकारी संस्थान इस छुआछूत से बचे हुए हैं
अब तो आर्थिक पिछड़ों को भी से दिया
फिर भी पता नहीं क्या मिर्ची लगी हुई है
बेचारे
जी रहे हैं जीने नहीं देते पूरा ही चाहिए उनसे 10%
ले तो लिए
दोषारोपण से कुछ नहीं होता
जमीनी हकीकत बहुत अलग है
बहुत भेदभाव होता है आज भी
कंगना कुछ पढ़ती लिखती तो Resarvation के बारे में जान पाती ,कंगना रनौत की जगह केवल एक दिन के लिए कंगना चमार या कंगना जाटव लिख दे कंगना को पता चल जाएगा कि भारत में जातिवाद कितना है
One nation one cast, is a salutations of reservation otherwise reservation will be continued
कंगना ने जो कुछ बोला वहीं उसकी मानसिकता बताती है कि कितना ज़हर भर देते है सवर्ण अपने बच्चो में असल में गलती कंगना की नहीं गलती उनके माता पिता की है वे जो कुछ भी बोल रही उन्हें बचपन में वहीं बताया गया खुद से अगर संविधान या बाबा साहब के बारे में पढ़ी लिखी होती तो ऐसा बोलती ही नहीं
कंगना जी को अगर इतना भी दिमाग़ रहता तो आरक्षण के बजाए जातिवाद को ख़तम करने के बात कहती
Sir please delete your surname which makes you superior…. A surname should be selected for all…. Then reservation will be financially…. One nation one name……. Sir pehle jativad ayatha fir aya reservation Jay Bharat….
Bilkul sahi baat boli h bhai aapne
आधुनिक भारत में जाति के आधार पर कहीं कोई भेदभाव नहीं होता है और न ही लोग जाति जैसी दकियानूसी चीजों को मानते हैं। लोग हर हाल में भारत को विकसित राष्ट्र बनाकर विश्व गुरू बनाना चाहते हैं। लेकिन फिर भी जाति आधारित आरक्षण को सरकार यदि समाप्त नहीं करती है तब भी आम जनता उसे बेअसर कर सकती है।
जिस प्रकार सरकारों ने सरकारी विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था को धीरे धीरे चौपट कर दिया और प्राइवेट स्कूलों को बढ़ावा दिया जाने लगा तो हम लोगों ने कभी इसका विरोध नहीं किया, कभी धरना प्रदर्शन नहीं किया बल्कि अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाना शुरू कर दिया। इस प्रकार से हमारे बच्चों को अशिक्षित या कम शिक्षित रखने की सरकार की योजना फेल हो गई।
इसी प्रकार से यदि अनारक्षित जातियों के लोग अपने लड़कों की शादियाँ आरक्षित जातियों की लड़कियों से करने लगें तो जो बच्चे होंगे उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा लेकिन यदि अनारक्षित जातियों के लोग अपनी लड़कियों की शादियाँ आरक्षित जातियों के लड़कों से करने लगें तो जो बच्चे होंगे उन्हें उस जाति से सम्बन्धित वर्ग में आरक्षण का लाभ मिलेगा। इस प्रकार धीरे धीरे जाति आधारित आरक्षण का लाभ सभी जातियों के सगे सम्बन्धियों को मिलने लगेगा तथा सामाजिक समरसता का निर्माण होकर भारत विश्व गुरू बन सकेगा।
Not acceptable
Brothers come with facts about reservations and sc st obc ratio in govt jobs bureaucracy etc..when there are competition majority seats go to general..if you think general ke sath dokha ho rha to sc st obc ke sath double dhokha ho rha..and people jo keh rhe ki jaatiwaad aarakshan se hai to tum jaise logo ki intelligence ko 21 toppon ki salami
Jitne log yahan income based reservation suggest karke khush ho rahe hain… Unki jaankaari ke liye bata du… Log 100₹ de kar fake income certificate banwa lete hai reservation me aane ke liye… Jise high court ne khud barkhast kiya… Aur aaj court ki tareekh laga rahe hain…
आरक्षण होना जरूरी है 73 साल बाद भी आज गरीबों की कोई नहीं सुनता आरक्षण की वजह से यह लोग राजनीति में रहेंगे तो अपने सवाल उठाते रहेंगे
आरक्षण मै भी हटाने के पक्ष में है लेकिन हर जगह द्रोणाचार्य बैठे है उसका क्या ?? जो जहां है वहीं जातिवाद कर रहा है कीसी को देश की चिंता नहीं है। यहां तक कि संविधान में कॉलेजियम सिस्टम से जज बन रहे है। पूरे भारत में जितने जज है वो सब 650 परिवारों से आते है। और भारत में कुल लगभग 20 करोड़ परिवार होंगे ही। आखिर इन 650 परिवार में कौन सा ज्ञान कुट कूट कर भरा है।
Arakshan to hatanahi chahiye iski wajah se brilliant bacche piche rahate hai sab jagah ka arakshan hata do bas
1% jobs 70% general category. What logic dumbo.
Iski rajniti me Ana h to Kya karegi
Koi mudda to chahiye ane ke liye
मैंने उपर बहुत लोगों के विचार पढ़ें। लेकिन क्या आपने कभी इस पर विचार किया कि आरक्षण की जरूरत क्यों है। और संविधान में यह व्यवस्था क्यों है।जो लोग ये समझते है।कि जातिवाद शहरों और कस्बों में नहीं है। मुझे तो पिछले कुछ सालों से ऐसा लगा है। जातिवाद कम न होकर और बढा है। वैसे हम कह तो आसानी देते लेकिन जातिवाद जैसा ज़हर जो झेलता हैं।वही उसको महसूस कर सकता है। आरक्षण तो आज नहीं तो कल खत्म हो ही जायेगा लेकिन जातिवाद का ज़हर हमारे भारत में फैला हुआ है। वह कब समाप्त होगा मेरा तो सबसे यह अनुरोध है। कि सब लोग अपने नाम के आगे जिसे लोग जाति सूचक नाम कहते हैं। जैसे कि शर्मा, गुप्ता, श्रीवास्तव,मिश्रा न लगा कर सब अपने नाम के आगे,” भारतीय “लगाये हो सकता है भारतीय लगाने से हमारे भारत देश मे जातिवाद का जहर कम हो वैसे अगर कगंना रणोत जी आज इतना बोल रही है तो वह भारतीय संविधान की ही देन है। — धन्यवाद
That’s good point. This was started by guru Gobind singh. He asked everyone to use sr name singh
आरक्षण जाति देख कर दिया जा रहा है तो क्यों पहले जाति को खत्म ना किया जाए? ?? आरक्षण खुद खत्म हो जाएगा।।
One of the best articles, have ever read.
Thanks Dilip Mandal.
नालीयाँ साफ करने, मंदिरों में पुजारी बनने का reservation पहले existence में आया, पहले यें reservation समाप्त करों जी। नौकरियों मे reservation तो सिरफ 70 साल पहले आया है़
Desh mai 15-20% general category ke log hai jinhen 50% se jayada seat mile hui hai fight karne ke liye jabki 85% jansankhya ( SC/ST/OBC) KO 49.5% seat meli hai fir bhi inhe dikkat hai sayad ye chahte hi nahi ki SC/ST/OBC ko naukari mile.
Inke dimag mai bachpan se hi aarakshan ke parti jahar bhara jaata hai
They are more than 50-70% in govt jobs with 15% population. No not on basis of merit but nepotism.
Kangana Ranawat has given her views frankly. Whether it is right or wrong it can be debated. But shaming the entire general category people ( Swarn) is highly deplorable and shows the prejudicial thinking of the writer.
Further, the reservation to the so called backward classes after 4 decades of independence pursuant to Mandal Commission is totaly political. The benifits of the reservation should go to the most deserving . Once you are in position to give good education to children the reservation should be discontinued and should be available to the others. It can’t be endless process.
दलितों का सबसे ज्यादा शोषण पिछड़े वर्ग के सामंतों ने किया है. पिछड़े वर्ग के आरक्षण के बल पर वे सवर्णों और अपने वर्ग में पिछड़ों का शोषण कर रहे हैं और अपना अलग जातिवाद चला रहे हैं. पिछड़े वर्ग में कुछ मजबूत जातियाँ अपने वर्ग का पूरा माल काट रही हैं.दलितों में भी एक सवर्ण वर्ग उभरकर आ गया है जो आरक्षण में अपने वर्ग के कमजोरों का शोषण कर रहा है.
आपने लिखा है कि सवर्ण आरक्षण का सभी सवर्णों ने समर्थन किया है.आपने शायद ठीक से सवर्णों को समझा नहीं है.
आज के आरक्षण का मतलब बस इतना है कि हम सामाजिक समरसता के विरोधी हैं और दूसरे-तीसरे दर्जे के लोगों के बल पर व्यवस्था और देश चलाना चाहते हैं और यह भी चाहते हैं कि ये दूसरे-तीसरे दर्जे के लोग अनंतकाल तक इसी तरह बने रहें.
कम योग्य लोग भ्रष्टाचार में भी बेहतर योगदान कर सकते हैं/करते हैं।.
जो मिला है वो है बाबा जी का ठुल्लू। पहले तो ये समझना है कि जातिगत आरक्षण सबसे गलत है और दूसरा ये की सवर्ण या ओ बी सी जैसी कोई जाति नही है ये दोनों समाज के समर्थ वर्ग हैं इन्हें तो आरक्षण मिलना ही नही चाहिए। हैं एस सी, एस टी वर्ग में आरक्षण की आवश्यकता है लेकिन दो स्तर पर जांच के बाद- यानि सीमित लेकिन अनिवार्य आरक्षण सिर्फ एस सी, एस टी के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को।
वर्तमान आरक्षण जातिगत है इसलिए जाति पर कोई भी चर्चा आरक्षण को छोड़कर करना सिर्फ मक्कारी है इन लोगों की।
कंगना की बात 100% सही है और इस लिक्खाड़ की बात 200% गलत।
Aise zehreele saanpon ke karan hi desh me vikas dheeme ho rha hai jo apne political ahendas ke chalte desh ke logo ke beech dushmani karwa rahe hain. Rahi baat reservation ki toh ye bhi sacch h ki reservation sirf kucch hi saalon ke liye laagoo kia tha lekin desh ki political parties ne vote bank ki raajneeti karne ke liye use badhate gye..aur ab jinko reservation mil rha hai use uski latt afeem ki tarah lag chuki hai logon ko sirf educational institutions hi nhi kaam krne ki jagah par b reservation ka sahara chahiye…agar reservation se itna hi fayda ho rha hai toh kyon aajtak koi raajnetik party ne koi data jari nhi kia aur kyon nhi aap jaise masihon ne iski maang ki…merit pr hi bacchon ka future depend karna chahiye pucchiye aaj ke youth se sirf nichli jati vale hi nhi upari jaati vle b manenge ki 12th class ke pehle kitne log jaante the ki unke sehpaatiyon ki jaati kya thi…inn sabhi sawalon ke jawab dhundiye aur jaake zamdeni hakikat se sarokar kijiye ye sab kachra apne aap man se nikal jayega..
This reservation system was decided for a limited term of 10 years, now it’s high time, one should be supported who is weaker but up to what extent? It should be abolished and should grant on economic basis
आरक्षण हट जाएगा तो जातिवाद अपने आप ही खत्म हो जाएगा कंगना रनौत बिल्कुल सही है क्योंकि सभी समान हो जाएंगे और कंपटीशन में भी सबको समान अवसर मिलेगा और अपनी काबिलियत के दम पर जॉब मिलेगी हर फील्ड में
जिस दिन जातिवाद खतम हो जाएगा आरक्षण अपने आप खतम हो जाएगा जब कोई जाति ही नहीं रहेगी तो आरक्षण कहा से मिलेगा । कंगना को इतना भी नहीं पता पहले जातिवाद आया की आरक्षण अगर जातिवाद न होता तो शायद आरक्षण भी न होता ।
और जो जनरल आज चिल्ला रहे है कि आर्थिक आधार पर आरक्षण होना चाहिए तो उनको भी मिल रहा है आर्थिक आधार पर 8 लाख इनकम एक साल के लिए बस सिविल सर्विसेज वालो की होती है मतलब जो भी जनरल आईएएस पीसीएस नहीं है और किसी जॉब में है सब गरीब ही है जो 50-60 बीघे जमीन जायदाद लिए बैठे है वो सब गरीब ही है
मुझे तो ये समझ नहीं आता आजतक किसी भी जनरल वाले ये नहीं बोला जातिवाद खतम करो जिस दिन जातिवाद खतम हो जाएगा आरक्षण तो अपने आप खतम हो जाएगा लेकिन ये लोग अगर जातिवाद खतम कर देंगे तो छुवा छूत किससे करेंगे अगर सब समान हो जाएंगे तो …. इसीलिए कोई भी जनरल कैंडिडेट जातिवाद खतम करने की बात नहीं करता ….
Cast lalu Rambilas jitanmanjhi.cast ke nam pr criticises nhi kiya jata .reservations to inko bhi do nichale payedan pr ho .ye ptrkar jo likha hai o ab such nhi rha .premchandra ke ek upnyash bhi jhuth lagta hai.damul film bhi imaging lagta hai .intercast marriage ho rha hai .kishi ko itna jayeda bdaw nhi ki kishi lagaye bhi nhi.cast stamp isliye lagate hai .cast population representative ke liye.
WRITER NE BILKUL SAHI BAT KAHI H ARAKSHAN HI JATIVAD BIMARI KA ILAJ H.
Kya arakshan anant kaal tak hona chahiye ? Kya yah vyavastha jatiwad ki posak nahi hai ? Mitro yah vicharniy hai.
Bhaiyo ye the print ek wampanthi portal h kuch time pehle isne savarno ke arthik aarakshan ki bhi burai ki thi ye bahut hi ghatiya portal h reservation wale kide apne baccho ko reservation Wale teacher ko hi padhaye or reservation wale doctor se ilaj karwaye tab pta chalega inko jatigat bhedbhav h to Kya reservation uska ilaj h nhi kyuki reservation ke karan reserved category ke log high post pa lete h or phir savarno ka shoshan karte h
मैं खुद इस रिजर्वेशन सिस्टम से तंग आ गयी हूँ ये अमानवीय है,,क्योंकि मै अपने experience से कह सकती हु की ये बहुत गलत है,मेरा दोस्त जो की ST समुदाय से है अपना घर ,पाप की सरकारी जॉब ,पैसे सब कुछ है और उसने clg में एडमिशन 55% पर लिया और मैंने बहुत पढ़ाई की और 85%लेकर उसी कोर्स में इस तरह से एडमिशन लिया मेरे लिए कोई आप्शन नही ,,ना ही हमारे पास अपना घर है ना नौकरी और ऐसा कितने ही लोगों के साथ है ,,ये राजनितिक तरीका है आज भी आरक्षण देने का ये मीणा, जाट,गूर्जर इत्यादि ऐसी जातियां है जो सिर्फ cast के बेस पर admission ले कर आती है क्योंकि इन्हें विशवास है की इन्हें नौकरी मिल ही जायेगी और हम इतनी मेहनत करने के बाद भी 1% से रह जाते है ,शिक्षा ही क्या हर जगह ये रिजर्वेशन अमानवीय राजनितिक स्थिति है ,,भारत तभी आगे नही निकल पा रहा ,,सवर्ण ही क्या दलित खुद ही जाति व्यवस्था तोडना नही चाहते ,,किसी भी चीज़ को बदलने के लिए उससे लड़ना पड़ता है जो की कोई लड़ना ही नही चाहता ,शिक्षा व्यवस्था खराब हो रही है इससे reservation के base पर जो टीचर्स बनते है वो सरजारी स्कूलों में केवल बैठे रहते है क्या यही है परिस्थितियों का खेल ,कल सवर्ण कर रहे थे तो आज पिछड़ा वर्ग जो संपन्न है जिसके बीच केवल गरीब पीस रहा है दिनों दिन
Maim ji
Reservation is our constitutional right
Or Aap ko me संविधान में वर्णित article 46 पढ़ने की नसीहत देता हूँ
Plz Samye lge to jarur पढियेगा
How aggression r posted by `the print ‘u r people who r villains of the beautiful society, and yes reservation is the reason due to which caste system alive till today
You peoples are the main reason behind caste system.
मै बस इतना कहूंगा भगवान बुद्ध की कमी महसूस होती है मुझे।।
Jai buddha
Kangna ji ,focus on film making…… politics and knowledge of constitution is out of your reach….
If so,St,obc reservation is going to end,so also end reservation on women,pH handicapped and ews…….so also reservation of preists in temples…..
Absolutely right ?
दिलीप सी मंडल सर ने बिलकुल सही बात कही है. आज जातिवाद और जातिवादी वर्चस्व Bollywood Sports Civil Service Judiciary से लेकर इंडिया के हरेक क्षेत्रों में महसूस की जा सकती है.
Reservation के कारण वंचित तबके का एक हिस्सा मैं स्ट्रीम में शामिल हो पाए है. इस वजह से जब भी जाति या जातिवाद की बात होती है तो ये सीधे तौर पर आरक्षण पर बोलने लगते है.
दूसरी तरफ, जातीय उत्पीड़न और भेदभाव पर ये चुप रहते है. सवर्णों की एक मात्र कोशिश वंचित समाज को जातिवाद के बेड़ियों में जकड रखना है.
कंगना रनौत की तरह ज्यादातर सवर्ण समाज ने अंधभक्ति का चश्मा पहन रखा है!
कंगना ने कहा कि जातिवाद अब भारत मे खत्म हो चुका है!
लेकिन हकीकत है कि ऐसा कोई दिन नही जाता जिस दिन दलित समाज का जाति उत्पीड़न नही होता!
अभी इसी महीने की बात करे तो पूरे देश मे दर्जनों मामले सामने आ गए हैं-
आजमगढ़ में दलित प्रधान की हत्या
उत्तराखंड में ब्राह्मण परिवार के घर के पास दलित द्वारा जमीन खरीदने पर ब्राह्मणो द्वारा आपत्ति
गाज़ियाबाद में भी इसी तरह का मामला आया! ये ही कथित हिन्दू धर्म या सनातन धर्म की महानता है.
बहुजनों को अफीम की लत के समान सवर्णों के जातिवाद को समझना होगा.
बिल्कुल सही कहा आपने
मैं पूर्नत्यः आप की बात से सहमत हूँ ?
Kangna Ranawat say anything in any matter , without any study, observations, thinking,so that she out from film industries.
Aarakshan ko samapt kar dena chahie chahie jisse hamara desh biksiy ho.
Reservation is our constitutional right
kangana mam aap jis constitution k baat kar rahi ho.usi constitution ne aapko bolne ka adhikaar diya hai.aaap history aur polity padhiye.womens ko koi freedom nhi tha kuch bhi karne ka .usi constitution k wajah se aap twitt kar paa rahi hai.wahi constitution ne aapko bolne k freedom diya .right o freedom
Absolutely right ?
Jai bhim jai bharat
My suggestion is to give money free education medicines houses and all other things which are required in daily life to the needy citygen of any nation but for God sake don’t give any reservations on caste basis in those activities which built the nations it should be on the basis of merit of every nation students who will develop the country whether he belongs to any caste .Now please nobody will comments and requested to accept this fact this is the question of nation not of any caste living in this country
Reservation is our constitutional right
Sahi kerti hai pehle iska background jaan le phir article likh ….Aarkshan hathaao desh bachao
Reservation is our constitutional right
आरक्षण गलत नही है, लेकिन ये सिर्फ उन लोगों के लिए होना चाहिए जिनको इसकी सच मे ज़रूरत है। आरक्षण लोगों की जाती के अनुसार नही बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति के आधार पर होना चाहिए । अभी यह भी देखा गया है कि बहुत से लोग जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी है, उन्हें भी आरक्षण का फायदा मिल रहा है। क्या सवर्ण जाती में गरीब लोग नही है? जातिवाद को भारत से खत्म करने का सबसे पहला कदम आरक्षण को जातियों के हिसाब से नही बल्कि लोगो की आर्थिक स्थिति के अनुसार देना होगा।
आरक्षण हटाना है तो सबसे पहले सरकारी कागजों में सै या फॉर्म भरते वक्त उस में से जात का कोलम हटाओ ,सिर्फ नाम हो सरकार खुद जात पात फैलाती है ,
सार्वजनिक स्थानों पर कोई भी कार्य का अनावरण हो उस मै व्यक्ति विशेष के पहचान रूपी शब्दों का इस्तमाल ना हो जे सै राजा महाराजा ,या पूर्व महाराजा इत्यादि धीरे धीरे सब ठीक हो जाए गा ,,,a से ही सब का नशा उतर जाए गा जे सै गाड़ियों पर सै लाल बत्ती हटी
जातिवाद है कहां। कहीं पर भी नहीं दिखाई देता। जातिवाद सिर्फ आरक्षण में ही दिखाई देता है। कंगना ने सही कहा है।इस लेखक की मानसिकता अच्छी नहीं है।
Sahi hai arakshan ko hatana chahiye arakshan ke karan Bharat ka sahi gyan bhahar nahi aa raha
जातिवाद से मत दूर मत भागो उसको हटाओ । कहने से कुछ नही होगा सब इंसान बराबर है । लेकिन जिन लोगो के विचार सीमित है उनको ही लोगो मे अंतर नज़र आता है । उदाहरण के लिए ठहरा हुआ पानी भी सड़ जाता है । समय के साथ परिवर्तन जरूरी है अगर हम अब भी ऊंच नीच देखते रहंगे तो इससे किसी को कुछ फायदा तो नही होगा पर विनाश जरूर होगा । ओर मरना तो एक दिन सबको ही है कोई अमर नही इस दुनिया मे । सीधी सी बात है इज़त दोगे तो इज़त मिलेगी । व्यवहार से ही आदमी के गुणों का पता चलता है । किसी आदमी को कास्ट के नाम पर नीचा दिखा के अपने ही पापो का बोझ बढ़ा रहे हो । किसी आदमी को जलील करके अपने आप पर गर्व करने वालो से बड़ा मूर्ख ओर अहंकारी आदमी कोई नही । अहंकार से कोई नही बच पाया । अहंकार से सबसे ज्यादा नास उसी का होता है जिसके अंदर ये होता है । जो गरीब है उनको आर्थिक सहायता दी जाए । पर पहले जातिवाद को हटा दो पूरी तरह में आपसे बस ये ही विनती करता हूँ । धन्यवाद । अगर किसी को मेरी बातों का बुरा लगे तो छमा चाहता हूं धन्यवाद।
जातिवाद से मत दूर मत भागो उसको हटाओ । कहने से कुछ नही होगा सब इंसान बराबर है । लेकिन जिन लोगो के विचार सीमित है उनको ही लोगो मे अंतर नज़र आता है । उदाहरण के लिए ठहरा हुआ पानी भी सड़ जाता है । समय के साथ परिवर्तन जरूरी है अगर हम अब भी ऊंच नीच देखते रहंगे तो इससे किसी को कुछ फायदा तो नही होगा पर विनाश जरूर होगा । ओर मरना तो एक दिन सबको ही है कोई अमर नही इस दुनिया मे । सीधी सी बात है इज़त दोगे तो इज़त मिलेगी । व्यवहार से ही आदमी के गुणों का पता चलता है । किसी आदमी को कास्ट के नाम पर नीचा दिखा के अपने ही पापो का बोझ बढ़ा रहे हो । किसी आदमी को जलील करके अपने आप पर गर्व करने वालो से बड़ा मूर्ख ओर अहंकारी आदमी कोई नही । अहंकार से कोई नही बच पाया । अहंकार से सबसे ज्यादा नास उसी का होता है जिसके अंदर ये होता है । जो गरीब है उनको आर्थिक सहायता दी जाए । पर पहले जातिवाद को हटा दो पूरी तरह में आपसे बस ये ही विनती करता हूँ । धन्यवाद । अगर किसी को मेरी बातों का बुरा लगे तो छमा चाहता हूं धन्यवाद।
Reservation is modern castism
सुहानी बहन सरकारी आकडो़ के अनुसार भारत देश में 26% यानी 35 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे है। गरीबी के आधार पर reservation की वकालत करनें वाले मेरे भाई कृपया बतायें क्या इतने लोगो को reservation देना सम्भव है?
Reservation या representation जैसा कि संविधान में कहा गया है। यह गरीबी उन्मूलन कारयकर्म नही हैं अपितु सामाजिक न्याय की योजना है। सरकारी नौकरी से गरीबी दूर होती तो आज अमीरों लिस्ट में भी कुछ सरकारी करमचारी होते।
गरीबों के लिये पहले से काफी योजनायें हैं, कृपया उनका लाभ उठायें या और नई योजनायें चलायें, किसने रोका है?
रही मेरिट की बात तो जब vacancies ही कम है तो सभी मेरिटधारी कै से नौकरी पा सकते है? कृपया कोई स्पष्ट करे। 100% वाला नौकरी पा लेगा फिर भी 99% वाला बाहर छूट जायेगा, फिर किसे दोष दोगें?
Humare waha casticim toh nahi sikhaya jaata bas sikhaya jaata hai. Gala kat jayein par saar na jhuke? Rajput hain ,aur isi se hum upar hai aur log reservation lete rhe wahi logo ko bata deta hain ki hum kal bhi unse upar the aur aaj bhi – DEVESH SINGH RAJPUT . &I SUPPORT KANGANA MAM.☀️?
Humare waha casticim toh nahi sikhaya jaata bas sikhaya jaata hai. Gala kat jayein par saar na jhuke? Rajput hain ,aur isi se hum upar hai aur log reservation lete rhe wahi logo ko bata deta hain ki hum kal bhi unse upar the aur aaj bhi – DEVESH SINGH RAJPUT . &I SUPPORT KANGANA MAM.☀️?.
Band karo reservation ye equality Kai again hai pakistan ki kasam?
Bhai me to bas ek hi baat bolna chahunga ki gadhe aur ghode ki race me ghode ke pair bandhkar gadhe ko race jitane se koi naam bahut uncha nahi ho jata. gadha , gadha rah jata hai or ghoda , ghoda hi rah jaayega. ( Matlab yadi koi dalit samaj ka bachha reservation / aarakshan lekar job leta hai to isse jaatiwad door door tak kahi khatam nahi hota balki use swarn samaj dwara or bhi heen bhawna se dekha jata hai. Or har baat me use yahi kaha jata hai ki wo to aarakshan ke balbute par aaya hai. me ek swarn samaj se belong karta hu or ye baat me achhe se jaanta hu.
Me to bas ek hi baat kahna chahunga ki hame ab jaati , dharm , majhab , uncha , neecha , swarn , dalit chhod kar ab ek saath milkar bharat mata ki sewa karni chahiye or hindustan ko world ka number 1 country banane ke liye sabko ek saath kaam karna chahiye fir chahe wo swarn ho ya dalit.
Me manta hu ki aarakshan apni jagah theek hai lekin kahi na kahi aarakshan bhi jaatigat vibhajan ka ek karan hai.
Or mere hisaab se CASTE RESERVATION / AARAKSHAN ko hatakar desh me sirf Gareeb ke liye aarakshan hona chahiye fir chahe wo kisi bhi dharm , jaati ya majhab ka ho. Kyoki agar dekha jaaye to kisi ias/ips officer ke bachho ko ya kisi ameer / rich person ke bachho ko aarakshan dena galat hai.
Warna wo din door nahi jab Aarakshan politics ka ek aham mudda ban jaayega. Or aarakshan ke naam par desh me dange or khoon kharaba hua karega. Or mere hisaab se hindustan me esa din dekhna kisi ko bhi pasand nahi hog fir wo chahe swarn varg ka ho ya dalit varg ka.
By – Ek sachha HINDUSTANI deshbhakt.
मैं भी सुहानी की बात से सहमत हूं ।कि आरक्षण सिर्फ और सिर्फ आथिर्क कंडीशन के हिसाब से ही देना चाहिए।
और वो भी सिर्फ पढ़ाई करने के लिए दिया जाए न कि नोकरी पाने के लिए।
नोकरी सिर्फ मेरिट के आधार पर मिलनी चाहिये।जो ज्यादा योग्य हो उसी को मिले।
Jaati hona galat nahi hai… Magar aaj ke samay me reservation policy me Badlaw ki mahta hai…
‘Jinko asliyat me Jaroorat hai..wo kahan hain?’ Jaruratmand ko aarkshan dena bhi nyaya hai…
But sampann ko adhik dena bharshtachar ko badhana hi to hai…
मैं बस ये चाहता हूं कि आपको आरक्षण खत्म करना है या नही करना है ये आप जानो, लेकिन अगर SC ST लोगों को प्रमाणपत्र मिला है तो ऊंची जाति वालों को भी ऊंची जाति का होने का प्रमाणपत्र दो।।
मंडल आयोग के अध्यक्ष बिन्देश्वरी मंडल बिहार के सहरसा जिले के हजारों एकड़ जमीन के मालिक थे।अपनी सभा में वे सिर्फ एक कुर्सी अपने लिए रखते थे।उसी समय से बिहार में एक कहावत चली आ रही है ,”रोम पोप का और सहरसा गोप का।”करता विडंबना है कि ऐसे आदमी की अध्यक्षता में आकर्षण की सिफारिश की गई और इसने अपनी जाति को भी आरक्षण के दायरे में रखा। दलितों,पीछड़ों के नाम पर कुछ खास संपन्न लोग आरक्षण की मलाई खा रहे हैं। इनको आरक्षण के दायरे से बाहर कर इस वर्ग के वास्तविक वंचितों को आरक्षण का लाभ देना चाहिए।
लेखक महोदय, आपने जो लिखा है उससे ये समझते देर नहीं लगती है कि आप कितने बड़े जातिवादी हैं और आरक्षण के पैरोकार। आपकी समझ पे तरस आता है। आपके नाम से ही पता चल गया कि आप आरक्षण के उपयोग कर्ता है। जो बातें अपनें लिखीं हैं वो स्वर्ण परिवारों में नहीं होती है बल्कि आप जैसे लोगों के परिवारों में होती है। आपको कितना भी आरक्षण मिल जाए पर आपका बौधिक विकास तो नही हीं हो पायेगा।
आरक्षण से किसी का बौद्धिक बिकास नहीं हो सकता, और ये अटल सत्य है।
Bilkul sahi bola kangana ne.
सामाजिक न्याय के लिए कमजोर वर्गों का जातिगत आरक्षण आवश्यक है।दलित और पिछड़ा वर्ग के लोगों को जब तक सामाजिक शैक्षणिक और आर्थिक समानता हासिल नहीं हो जाती है ,तब तक आरक्षण रहना चाहिए। आरक्षण शासन प्रशासन के विभिन्न क्षेत्रों में कमजोर वर्गों का प्रतिनिधित्व है।हिन्दू समाज में जाति और वर्ण व्यवस्था बहुत प्राचीन काल से है जो भेदभाव , ऊंच- नीच और असमानता पर आधारित है। इस प्रकार यह एक जन्म आधारित अन्यायपूर्ण सामाजिक व्यवस्था है। इसलिए आरक्षण विरोधी लोगों को आरक्षण का विरोध करने के पहले जन्म आधारित अन्यायपूर्ण सामाजिक व्यवस्था को समाप्त करने के लिए विधिक प्रयास करना चाहिए। अगर वह अपने इस कार्य में सफल हो जाते हैं तो कमजोर वर्गों का जातिगत आरक्षण स्वतः समाप्त हो जाएगा। कंगना राणावत को संभवतः हिंदू समाज की संरचना का पूरा ज्ञान नहीं है, इसी कारण उसके द्वारा बिना औचित्य के यह विवादास्पद बयान किसी निजी उद्देश्य से दिया गया है , जो कि निंदनीय है।