बीजिंग: चीन ने एकबार फिर दोहराया है कि वह आपसी राजनीतिक भरोसा बढ़ाने, अपने मतभेदों को उचित तरीके से सुलझाने और द्विपक्षीय संबंधों की रक्षा के लिए भारत के साथ मिलकर काम करना जारी रखेगा.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने नियमित संवाददाता सम्मेलन में यह टिप्पणी की. पश्चिमी मीडिया के एक पत्रकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान पर चीन की प्रतिक्रिया मांगी, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारतीय सैनिकों ने देश की संप्रभुता को चुनौती देने वालों को मुंहतोड़ जवाब दिया .
पीएम मोदी ने 74 वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा था कि ‘एलओसी से एलएसी तक’ देश की संप्रभुता को चुनौती देने वालों को सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया है .
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, ‘एलओसी (नियंत्रण रेखा) से एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) तक देश की संप्रभुता पर जिस किसी ने आंख उठाई उसे उसकी ही भाषा में जवाब दिया गया. ’
मोदी की यह टिप्पणी पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन के साथ सीमा विवाद और पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान के साथ एलओसी पर संघर्षविराम समझौते के उल्लंघन की बढती घटनाओं की पृष्ठभूमि में आयी .
एक सवाल पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ ने कहा, ‘हमने प्रधानमंत्री के संबोधन का संज्ञान लिया है.’
उन्होंने कहा, ‘हम करीबी पड़ोसी हैं, एक अरब से ज्यादा आबादी के साथ हम उभरते हुए देश हैं. इसलिए द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति ना केवल दोनों देशों के लोगों के हित में है बल्कि यह क्षेत्र और समूचे विश्व की स्थिरता, शांति और समृद्धि के हित में भी है.’
झाओ ने कहा, ‘दोनों पक्षों के लिए सही रास्ता एक दूसरे का सम्मान और समर्थन करना है क्योंकि यह हमारे दीर्घकालिक हितों को पूरा करता है .’
प्रवक्ता ने कहा, ‘इसलिए चीन आपसी राजनीतिक भरोसा बढ़ाने, मतभेदों को उचित तरीके से सुलझाने और व्यावहारिक सहयोग तथा दीर्घावधि में द्विपक्षीय संबंधों के हितों की रक्षा के लिए भारत के साथ मिलकर काम करना जारी रखेगा.’
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि भारत आतंकवाद और विस्तारवाद का प्रभावी रूप से मुकाबला कर रहा है.