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Saturday, 23 November, 2024
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राम मंदिर निर्माण पर ‘कई सौ करोड़’ की आ सकती है लागत, लेकिन ट्रस्ट के पास अभी सिर्फ 15 करोड़ रुपये

पूर्ववर्ती राम जन्मभूमि न्याय की तरफ से राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को 10 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए थे जबकि ट्रस्ट अन्य स्रोतों अब तक केवल 5 करोड़ रुपये ही जुटा पाया है.

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नई दिल्ली : अयोध्या में राम मंदिर, एक ऐसा मंदिर जिसे भारत के सबसे बड़े मंदिरों में से एक कहा जा रहा है, और जिसके निर्माण पर ‘कई सौ करोड़’ की लागत आने का अनुमान है, के निर्माण कार्य पर निगरानी के लिए केंद्र की तरफ से गठित ट्रस्ट राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र के कोष में मौजूदा समय में सिर्फ 15 करोड़ रुपये ही हैं.

राम मंदिर निर्माण के संबंध में अब तक कोई आधिकारिक अनुमान सार्वजनिक नहीं किया गया है.

ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरि ने दिप्रिंट को बताया कि मंदिर के लिए 1989 से चंदा जुटा रहे राम जन्मभूमि न्यास की तरफ से नए ट्रस्ट को 10 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए थे, जबकि फरवरी में गठित नए ट्रस्ट ने अब तक चंदे के जरिये 5 करोड़ रुपये जुटाए हैं.

गिरि ने कहा, ‘मौजूदा समय में ट्रस्ट के पास अपने खाते में 15 करोड़ रुपये हैं. हमारे चंदा जुटाने का अभियान कोविड-19 महामारी के कारण प्रभावित हो गया था. हम 5 अगस्त को भूमि पूजन समारोह के बाद इसे फिर शुरू करेंगे. राम मंदिर निर्माण के लिए धन की कोई कमी नहीं होगी. हर कोई इसके लिए योगदान देगा.’

मंदिर निर्माण की अनुमानित लागत के बारे में पूछे जाने पर गिरि ने कहा कि इस पर अभी कुछ अंतिम रूप से तय नहीं हुआ है. उन्होंने कहा, ‘लेकिन जिस पैमाने के मंदिर का निर्माण होना है इसकी लागत बड़ी आसानी से कई सौ करोड़ रुपये में पहुंच जाएगी.’

राम मंदिर आंदोलन की अगुवाई करने वाली विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने भूमि पूजन समारोह के बाद मंदिर निर्माण के लिए देशभर में व्यापक स्तर पर चंदा जुटाने का अभियान शुरू करने की योजना बनाई है.

दिप्रिंट ने 25 जुलाई को प्रकाशित खबर में बताया था कि विहिप के कार्यकर्ताओं ने पूरे भारत के 5 लाख गांवों में 10 करोड़ परिवारों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है और लोगों से मंदिर निर्माण के लिए 100 रुपये चंदा देने की अपील करने की योजना है.

भूमि पूजन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिस्सा लेंगे.


यह भी पढ़े: सोमनाथ, अक्षरधाम और अब राम मंदिर- 15 पीढ़ियों से मंदिर डिजाइन कर रहा है गुजरात का ये परिवार


‘राम मंदिर भारत में सबसे बड़े मंदिरों में से एक होगा’

30 साल पहले राम मंदिर का डिजाइन तैयार करने वाले वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा के बेटे आशीष सोमपुरा ने दिप्रिंट को बताया कि हालांकि मंदिर का डिजाइन पहले जैसा रहेगा, लेकिन इसका आकार थोड़ा बढ़ाया जाएगा ताकि और ज्यादा लोग इसमें आ सकें.

सोमपुरा ने कहा, ‘मंदिर की ऊंचाई अब 141 फीट से बढ़ाकर 161 फीट कर दी गई है, जबकि इसके कॉरपेट एरिया को 16,000 वर्ग फीट से बढ़ाकर 28,000 वर्ग फीट कर दिया गया है. यह भारत में अब तक बने सबसे बड़े मंदिरों में से एक होगा.’ सोमपुरा अब अपने भाई निखिल के साथ मंदिर निर्माण का काम देख रहे हैं.

सोमपुरा ने बताया कि हालांकि उनके पिता ने उम्र के कारण कहीं आना-जाना बंद कर दिया है, लेकिन संशोधित योजना को उन्होंने ही अंतिम रूप दिया था. सोमपुरा ने ट्रस्ट सदस्यों के समक्ष संशोधित योजना पेश की थी.

सोमपुरा ने कहा, ‘संशोधित योजना के अनुसार राम मंदिर में भूतल के अलावा दो और तल होंगे. मूल योजना में मंदिर को पहली मंजिल तक ही डिजाइन किया गया था. भूतल और पहली मंजिल आम लोगों के लिए खुली होगी, जबकि दूसरी मंजिल सिर्फ मंदिर के कर्मचारियों के लिए होगी.’

सोमपुरा ने आगे बताया कि मंदिर का निर्माण ‘बंसी पहाड़पुर’ नामक गुलाबी बलुआ पत्थर से किया जाएगा, जिसे राजस्थान के भरतपुर से अयोध्या पहुंचाया जाएगा.


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सोमपुरा को भूमि पूजन समारोह के लिए आमंत्रित किया गया है और वह 4 अगस्त को अयोध्या पहुंचेंगे. उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण पर कोई अनुमान बताना अभी जल्दबाजी होगी. उन्होंने कहा, ‘कोई अनुमान लगाने से पहले बहुत सारा ब्योरा जुटाना होगा. महामारी के कारण, हम मंदिर स्थल पर ज्यादा समय नहीं बिता सकते थे. इसलिए इन विवरणों पर कुछ भी काम भूमि पूजन समारोह पूरा होने के बाद ही करेंगे.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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1 टिप्पणी

  1. लेखक ने ऐसे ऐसे झूठे अनुमानों को अपने लेख में शामिल किया है जोगत में दास प्रथा थी, इस्लाम में तो यौन दासियों की भी इजाज़त है जैसा की आइ एस आइ एस (ISIS)वालों ने यजीदी बच्चियों को बनाया ,भारत में दास प्रथा कभी नहीं थी, दास प्रथा का कोई ख़ास ज़िक्र नहीं मिलता भले कोई भी वर्ण हो ।मगर वर्ण प्रथा थी जो अब समाप्ति की ओर है ।
    दूसरी बात यह है कि भारत में शिवाजी महाराज हों या चंद्रगुप्त मौर्य , यह दोनो भारत के सबसे बड़े हिंदू शासक माने जाते हैं। दोनो ही तथाकथित सवर्ण जाति में नहीं जन्मे थे मगर दोनो को महान राजा बनाने में ब्राह्मणो का हाथ था, चाणक्य और समर्थ गुरु रामदास। शिवाजी ने तो हिंदू राज्य की स्थापना भी की थी, रामायण और महाभारत लिखने वाले दोनो महर्षि भी ब्राह्मण नही थे ।
    दूसरी बात राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट में दलित सदस्य हैं जिनका नाम है- कामेश्वर चौपाल , ओ बाई सी – विनय कटियार , उमा भारती ,कल्याण सिंह हैं । लेखक का झूट यहाँ भी पकड़ा गया ।
    आख़िर मे सबसे बड़ी बात , राम मंदिर में बहुत से दलित पुरोहित भी होंगे, उनका प्रशिक्षण शुरू हो चुका है । जबकि लेखक ने झूठा दावा किया ।
    इस सब से स्पष्ट है , यह लेख हिंदू घ्रणा से पीड़ित मानसिकता वाले किसी व्यक्ति ने हिंदू घ्रणा को बढ़ाने और समाज में वैमनस्यता फैलाने के लिए अतार्किक , फ़ेक न्यूज़ से युक्त और तथ्यों से उलट लेख लिखा है, यह झूठ से भरपूर लेख है।
    ऐसे लेख लिखने वाले लोग कभी यह सवाल नहीं उठाते कि शिया की मस्जिद में सुन्नी को जाने की इजाज़त क्यों नहीं है??
    मुस्लिम महिलाओं को भारत में मस्जिद में नमाज़ पढ़ने की इजाज़त क्यों नहीं है??
    मदरसा में मोलवी छोटे छोटे शिष्यों बच्चों के साथ बलात्कार करते पकड़े जाते हैं।
    चर्च में पादरी बच्चों के साथ दुष्कर्म करते है । इन ज़रूरी बातों पर यह कभी लेख नहि लिखेंगे, इसमें इन्हें islamophobia दिखाई देगा मगर हिंदू धर्म के ख़िलाफ़ झूठ का प्रयोग कर कर के लेख लिखेंगे।
    सत्य तो यह है संघ में जातियों का नाम नहीं लिया जाता ,लोगों को सिर्फ़ प्रथम नाम से बुलाया जाता है जी लगाकर जैसे कमल जी. नरेंद्र जी।
    राष्ट्रीय स्वयमसेवक संघ में एक गीत भी प्रचलित है ,जिसकी पंक्तियाँ हैं :-
    “भूल से भी मुख से ज़ाति पंथ की ना बात हो , भाषा प्रांत के लिए कभी ना रक्तपात हो ।”
    जिसका अर्थ है, जाती, पंथ, का ज़िक्र तो कभी भूल से भी नहीं करना चाहिए और प्रांत के लिए नही, देश के लिए सोचना चाहिए।

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