नयी दिल्ली: भारत और चीनी सेना के कमांडर पूर्वी लद्दाख में पेगोंग सो जैसे टकराव वाली जगहों से पीछे हटने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने के लिए रविवार को नये सिरे से बातचीत करेंगे. सरकारी सूत्रों ने बताया कि यह बैठक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की तरफ़ मोलदो में तय बैठक की जगह पर सुबह 11 बजे से शुरू होगी.
सूत्रों ने बताया कि कोर कमांडर स्तर की पांचवे चरण की वार्ता में मुख्य ध्यान टकराव वाले स्थानों से सैनिकों के पूरी तरह पीछे हटने और दोनों सेनाओं के पीछे के अड्डों से बलों एवं हथियारों को हटाने के लिए एक रूपरेखा तैयार करने पर होगा. सैनिकों के पीछे हटने की औपचारिक प्रक्रिया छह जुलाई को शुरू हुई थी जब क्षेत्र में तनाव कम करने के तरीकों पर एक दिन पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच लगभग दो घंटे फोन पर बातचीत हुई.
चीनी सेना गलवान घाटी और टकराव वाले कुछ अन्य स्थानों से पहले ही पीछे हट चुकी है लेकिन भारत की मांग के अनुसार पेगोंग सो में फिंगर प्लाइंट से सैनिकों को वापस बुलाने की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है. भारत इस बात पर जोर देता रहा है कि चीन को फिंगर फोर और फिंगर एट के बीच वाले इलाकों से अपने सैनिकों को वापस बुलाना चाहिए.
दोनों पक्षों के बीच 24 जुलाई को, सीमा मुद्दे पर एक और चरण की कूटनीतिक वार्ता हुई थी. वार्ता के बाद, विदेश मंत्रालय ने कहा था कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए द्विपक्षीय समझौते एवं प्रोटोकॉल के तहत एलएसी के पास से सैनिकों का जल्द एवं पूरी तरह पीछे हटना जरूरी है.
सूत्रों ने कहा कि भारत ने चीन को एक कड़ा संदेश दे दिया है कि उसे पीछे हटने की प्रक्रिया को लागू करना ही होगा जैसा कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच कोर कमांडर स्तर की चौथे चरण की वार्ता में तय हुआ है.