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Friday, 22 November, 2024
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गाय के गोबर, गोमूत्र और साबुन से भारत बनेगा आत्मनिर्भर, राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने शुरू किया अभियान

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष डॉ. वल्लभभाई कथीरिया ने दिप्रिंट से कहा कि गांवों में किसानों के हर घर में कम से कम एक गाय हो. इस दिशा में काम कर रहे हैं.

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नईदिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान में अब गाय भी शामिल हो गई है. गायों के जरिए किसानों और गांवों को आत्मनिर्भर बनाने का दावा किया जा रहा है. राष्ट्रीय कामधेनु आयोग इस मामले में आगे आया है. आयोग का लक्ष्य है कि आने वाले दिनों में हर किसानों के घर में गायें पहुंचाई जाएं. गाय के गोबर, गोमूत्र, दूध के जरिए आत्मनिर्भर भारत तैयार किया जाए.

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष डॉ. वल्लभभाई कथीरिया ने दिप्रिंट से कहा, ‘गायों के जरिए आत्मनिर्भर भारत के लिए हम काम कर रहे हैं. इसके लिए हम किसानों और गौ सेवकों के बीच वेबिनार भी कर रहे हैं. गांव के लोग और किसान  कैसे गाय से आत्मनिर्भर हो सकते हैं इसे बताया जा रहा है.’

डॉ. वल्लभभाई कथीरिया ने गाय के जरिए कैसे भारत आत्मनिर्भर हो सकता है इस पर बात करते हुए दिप्रिंट से कहा, ‘गांवों में किसानों के हर घर में कम से कम एक गाय हों. हम इस दिशा में काम रहे हैं. जिसके पास ज्यादा जमीन है वह अपनी सुविधा के अनुरूप ज्यादा गाय रख सकता है. एक देसी गाय से एक दिन में सामान्यत: पांच से सात लीटर दूध मिल सकता है. इसमें से दो लीटर अपने पास रखें बाकि के तीन या चार लीटर बेचें. हम कोशिश कर रहे हैं कि देश में गाय रखने वाले लोगों को प्रति लीटर दूध पर 45 से 50 रुपए मिले. अभी उनकों 30 रुपए मिलते हैं. इससे किसानों की आमदानी में वृद्धि होगी.’

‘अगर कोई किसान ज्यादा गाय रखकर व्यवसाय करना चाहता है तो सरकार की तरफ से लोन और सब्सिडी की सुविधा भी दी जा रही है. इससे एक छोटा किसान दूध, छाछ, घी और अन्य सामाग्री बेचकर एक दिन में तीन से चार हजार रुपए दिन के कमा सकता है. गांव में छोटी बड़ी गौशाला खुलने से कई लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे. इसमें डॉक्टर गाय का इलाज कर सकेंगे. चारा बेचने वाली गौशाला में चारा बेच सकेंगे.’


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उन्होंने बताया, ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान के चलते हमने गोबर से गणेश मूर्ति बनाना शुरू किया है. पूरे देश में ये अभियान तेजी से चलाया जा रहा है. इसके माध्यम से हम गांवों की गरीब महिलाओं को रोजगार दिला रहे हैं. वे गौशालाओं में गोबर की मूर्ति समेत कई तरह के सामान बनाना बता रहे हैं. महिलाएं गोबर से करीब 50 सामानों का निर्माण कर रही हैं. इनमें गोबर के गमले से लेकर चॉबियों के छल्ले तक शामिल हैं.’

डॉ. कथीरिया आगे बताते हैं, ‘गाय के गोबर से आज हम बायो पेस्टीसाइड और बायो फर्टिलाइजर का निर्माण कर सकते हैं. इसके माध्यम से छोटे स्तर से लेकर कॉर्पोरेट तक काम कर सकते हैं. आज बड़ी-बड़ी गौशालाएं गायों के यूरिन और काऊ डंग का सही उपयोग किया है जो बड़ी मात्रा में बायो पेस्टीसाइड प्लांट और बायो फर्टिलाइजर का प्लांट तैयार किया जा सकता है. किसान भी इसे छोटे स्तर पर तैयार कर सकते हैं. वहीं छोटे-बड़े दोनों उद्यमी भी इसे आसानी से कर सकते हैं. उद्यमी बायो गैस और सीएनजी भी तैयार कर सकते हैं. केंद्र सरकार इसमें भी सब्सिडी और लोन की सुविधा दे रही है. गायों के गोबर और यूरिन का सही प्रयोग किया जाए तो यूरिया, बायो पेस्टीसाइड को इंपोर्ट करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.’

उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा गोमूत्र से औषधि बनाने के अलावा साबुन, शैंपू और फिनाइल बनाने का काम रहे हैं. इससे गांव के छोटे लोगों को रोजगार मिलता रहा है. महिलाओं के छोटे-छोटे स्वयं सहायता समूह इस दिशा में काम कर रहे हैं. वहीं इसके अलावा देश में गाय के प्रजनन कैसे बढ़ाया जाए इस दिशा में भी हम काम रहे हैं ताकि इस दिशा में भी आत्मनिर्भर हो सकें.’


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कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने दिप्रिंट से कहा, गाय का हमारी संस्कृति में बहुत महत्व है. गाय के गोबर, गोमूत्र का अपना एक औषधिय महत्व है. इसमें कोई भी दो राय नहीं, लेकिन गाय की आड़ में सरकार अपनी नाकामियां छिपाने की कोशिश कर रही है. अप्रैल माह में 12 करोड़ 20 लाख लोगों ने अपनी नौकरी गंवाई है. क्या इन सब कामों को करके इन लोगों की नौकरियां वापस आ सकेंगी. जिन लोगों ने रोजगार खोया है उनके रोजगार का सृजन कैसे होगा. आज गाय की याद क्यों आ रही है.’

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने गोवंश के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए ‘राष्ट्रीय कामधेनु आयोग’ का गठन किया है. आयोग के जरिए देश में गोवंश के संरक्षण, सुरक्षा और संवर्द्धन के साथ उनकी संख्या बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा. इसमें स्वदेशी गायों का संरक्षण भी शामिल है.

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