नई दिल्ली: नाम– चंदन कुमार, उम्र-22 साल, निवासी– भोजपुर- बिहार. भारत और चीन के सैनिकों के बीच 15-16 जून की दरिमियानी रात गलवान घाटी में हुई खूनी झड़प में देश के करीब 20 जवानों की मौत हो गई. बिहार के चंदन भी इनमें से एक थे.
इस खूनी झड़प में बिहार के पांच जवान और भी मारे गए हैं. इनमें समस्तीपुर जिले के 25 वर्षीय अमन कुमार सिंह, पटना के सुनील कुमार, सहरसा के कुंदन कुमार और वैशाली के 22 वर्षीय जय किशोर सिंह शामिल हैं.
चंदन की मौत से भोजपुर के गांव ज्ञानपुर में मातम का माहौल है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह भी है कि खुद चंदन के परिवार के 26 लोग भारत देश की सेवा में जुटे हुए हैं. और गांव के करीब 50 लोग किसी न किसी रूप में सेना से जुड़े हुए हैं. यही नहीं चंदन के पड़ोसी दीपक कुमार अभी भी लद्दाख में मौजूद हैं.
साल 2016 में आर्मी से रिटायर हुए चंदन के 43 वर्षीय चचेरे भाई सतेंद्र कुमार ने टेलीफोन से हुई बातचीत में दिप्रिंट को बताया, ‘चंदन के बाकी तीन भाई भी आर्मी में हैं. चंदन परिवार में सबसे छोटा था.’
दस मई को होनी थी शादी
उन्होंने आगे कहा, ‘चंदन की 10 मई को शादी होने वाली थी, लेकिन देशव्यापी लॉकडाउन के चलते तारीख को आगे बढ़ा दिया गया. वो 2017 में ही बिहार रेजिमेंट में भर्ती हुआ था. वो बताता था कि पिछले दो-तीन महीने से चीन के बॉर्डर पर माहौल तनावपूर्ण है लेकिन जून के महीने में कई बार हिंसक झड़प हुईं.’
वो कहते हैं, ‘चंदन अपनी सारी बातें मम्मी-पापा को भी बताता था जिससे मम्मी परेशान हो जातीं थीं, उसने दोनों से बात करनी कम कर दी लेकिन भाइयों से लगातार बात होती रहती थी.’
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एक भाई रहा है कारगिल युद्ध में शामिल
उनके चचेरे भाई कहते हैं, ‘उसने जब मां बॉर्डर के तनाव की बात बताई तो वो घबरा गईं तो उसने अपनी मां से कहा कि आप खुद घबराती हो और मुझे भी डराती हो. इसलिए उसने माता-पिता से बातचीत कम कर भाइयों को वहां के बारे में बताना शुरू कर दिया.’
चंदन के चचेरे भाई सतेंद्र कुमार ने दिप्रिंट को बताया, ‘मैंने करगिल युद्ध देखा हुआ है तो उसकी हिम्मत बढ़ाता था कि सैनिक के जीवन में ये सब होता रहता है. उसका सपना ही सेना में भर्ती होना था और बारहवीं के बाद फौज में जाने की जी जान से तैयारी भी शुरू कर दी थी.’
वो आगे जोड़ते हैं, ‘माता-पिता से आखिरी बार 2 जून को टेलिफोन पर बातचीत हुए थी लेकिन भाइयों से लगातार संपर्क में था. भाइयों से आखिरी बार शनिवार को बात हुई थी.’
‘चंदन के निधन की खबर उनके बड़े भाई देव कुमार को कल सुबह आठ बजे सबसे पहले मिली थी लेकिन उन्होंने कहा कि मां-पिताजी को थोड़ा रुककर बताते हैं. अभी बताना ठीक नहीं रहेगा. इसलिए हमने इंतजार किया और बाद में उन्हें बताया.’
चंदन के पिता बिहार में होम गार्ड की नौकरी करते थे लेकिन दस साल पहले बीमार रहने की वजह से रिटायरमेंट पर घर आ गए.
चंदन के दूसरे चाचा के लड़के के मुताबिक, ‘इस गांव के लगभग 50 लोग सेना में भर्ती हैं. गांव में चंदन की उम्र से भी कम उम्र के लड़के सेना में भर्ती हैं.’ उनके भाई अभी घर नहीं पहुंचे हैं तो पड़ोसी और चचेरे भाई ही सबको संभाल रहे हैं.
हालांकि अभी गांव में काफी गुस्सा और टेंशन का माहौल है. गांव वाले और परिवार वाले एक साथ सरकार से मांग कर रहे हैं कि चीन की इस हरकत का बदला लेना ही चाहिए और जवान जो बॉर्डर पर तैनात हैं उन्हें परिस्थिति के हिसाब से काम करने की छूट की बात की कह रहे हैं.
गांव के 50 और परिवार के 26 लोग सेना में
दिप्रिंट से बात करते हुए परिवार के एक सदस्य ने कहा कि चीन से निपटने के लिए सेना को और मजबूत किए जाने की जरूरत है.
चंदन के तीनों भाई भी आर्मी में हैं जो इस वक्त देश के अलग अलग हिस्सों में तैनात हैं. तीनों भाई ही रात तक घर पहुंच सकेंगे. परिवार उनकी राह देख रहा है और साथ ही चंदन को आखिरी बार देखने की आस में भी है. चंदन के शव को पांच बजे के आस-पास पटना लाया गया और उसके बाद बिहार रेजिमेंट के केंद्र दानापुर भेजा गया. रात तक पैतृक गांव ज्ञानपुर लाया जाएगा. हालांकि परिवार वाले कोरोना वायरस के चलते उनके घर भीड़ ना लगे इस बात को लेकर भी चिंता जाहिर कर रहे हैं.
सतेंद्र कुमार पिछले दिनों के घटनाक्रम पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं, ‘हम लोगों को तनाव की सूचना लगातार मिल रही थी. इसलिए भाइयों ने अपने अधिकारियों के मार्फत पता लगाने की कोशिश की.’
हालांकि भोजपुर के एक जिला अधिकारी नाम ना छापने की शर्त पर बताते हैं, ‘लगातार कई तरह की ख़बरें आ रही थीं. क्या सही है और क्या नहीं, इस बात का अंदेशा नहीं था. ऐसे में हम परिवारों से तुरंत कनेक्ट नहीं कर पाए.’
सतेंद्र बताते हैं कि फिलहाल गांव का रास्ता ठीक कराया जा रहा है ताकि वो जब आए और आखिरी सलामी के वक्त लोग आएं तो दिक्कत ना हो. आज ही डीएम और एसपी ने गांव का दौरा किया और रास्ते में एसपी की गाड़ी फंसने के बाद रास्ता ठीक कराने की बात कही.