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Thursday, 9 May, 2024
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गलवान में हुई झड़प में मारे गए सैनिकों में 2 झारखंड के, एक नहीं देख पाया बच्ची का चेहरा, दूसरे का परिवार कर्ज में है डूबा

गणेश हांसदा (21) पूर्वी सिंहभूम जिले के निवासी थे, परिवार दिहाड़ी मजदूर है और साहिबगंज जिले के मूल निवासी कुंदन कांत ओझा (26) किसान परिवार से थे. ये दोनों गलवान में हुई झड़प में मारे गए 20 सैनिकों में से हैं.

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रांची(झारखंड): गलवान घाटी में मंगलवार को भारत और चीन की सेना के बीच हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक मारे गए. इसमें दो सैनिक झारखंड के हैं. एक पूर्वी सिंहभूम जिले के कसाफलिया निवासी गणेश हांसदा और दूसरे साहेबगंज जिले के कुंदन कांत ओझा.

खबर मिलने के बाद से ही दोनों घरों में मातम पसरा हुआ है. कुंदन के परिजन किसान हैं तो गणेश के दिहाड़ी मजदूर हैं. दोनों ही अपने घरों में एकमात्र सरकारी नौकरी करने वाले थे.

वहीं कुंदन ओझा की पिछले साल ही शादी हुई थी. उनकी 17 दिन की एक दुधमुंही बच्ची है जो बीते एक जून को ही जन्मी है.

लद्दाख में थी पहली पोस्टिंग

कसाफलिया गांव में गणेश के घर में लोगों की भीड़ लगी हुई थी. सरकारी अधिकारी उनके परिजनों का हाल लेने पहुंचे.

उनके भाई दिनेश हांसदा ने दिप्रिंट को बताया, ‘घर में हम तीनों, यानी मां (कपरा हांसदा), बाप (सुगदा हांसदा) और मैं मजदूरी करते हैं. छोटा भाई सेना में था.’

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उन्होंने कहा, ‘उसके सैलरी से ही सालों का कर्ज अभी कुछ माह पहले चुकाए थे. अब परिवार के मजबूत होने की उम्मीद कर रहे थे. अब फिर से मजदूरी की राह पर आ जाएंगे. कुछ कीजिए सर हमलोगों के लिए. बहुत मेहनत किया था मेरा भाई सेना में जाने के लिए. दोनों भाई मजदूरी करके पढ़ाई किए थे.’

दिनेश हांसदा फिलहाल हिम्मत हार चुके हैं. वह कहते हैं, ‘दोनों भाई थर्ड डिविजन से मैट्रिक पास किए. वह बारहवीं में साइंस रख पढ़ाई करने लगा. हम आईटीआई करके रोजगार की तलाश में रहे. इधर भाई की नौकरी बीते 2018 में सेना में लग गई. हमलोग बहुत खुश हुए कि अब सारा कर्जा खत्म हो जाएगा.’

गणेश हांसदा का परिजन | फोटो: आनंद दत्ता

वह बताते हैं, ‘इस साल जनवरी में घर भी आया था. बहुत कर्ज चुकाया, कुछ बाकी रह गया था. लद्दाख उसकी पहली पोस्टिंग थी. लेकिन वहां जाने के बाद वह पैसा नहीं भेज पाया था. 20 दिन पहले आखिरी बार बात हुई थी. कहा था वह ठीक है, चिंता नहीं करने के लिए.’

दिनेश के मुताबिक, इधर बीते मंगलवार की शाम को सेना के कर्नल का फोन आया और जैसे ही उन्होंने बताया, मेरा हाथ पैर कांपने लगा. कर्नल साब ने कहा कि अभी मां-पिताजी को मत बताना, कल सुबह जानकारी देना. हम अपने कमरे में रोते हुए किसी तरह रात गुजार रहे थे.’

‘लेकिन रात दो बजे आकर हिम्मत हार गए और मां और पिताजी को गणेश के शहीद होने की सूचना दे दी. दिनेश इसके बाद बात नहीं कर पाए. उन्होंने फोन काट दिया.’


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पिता का मुंह नहीं देख सकी 17 दिन की बच्ची

साहेबगंज जिले के डिहारी गांव में कुंदन के घर के आसपास भी लोगों की भीड़ जमा थी. पिता रविशंकर ओझा (60) बदहवास हैं और केवल भारत माता की जय पुकार रहे हैं.

उनकी पत्नी नेहा को अभी पूरी जानकारी नहीं दी गई है. बस ये बताया गया है कि कुंदन की तबियत खराब है और वह घर लौट रहा है.

उनके चचेरे भाई मनोज ओझा ने दिप्रिंट को बताया कि कुंदन के शव के साथ सेना के एक सूबेदार मेजर हैं. उनसे लगातार बात हो रही है. सुबह हुई बातचीत में उस अधिकारी ने बताया कि गुरुवार को शव को पटना लाया जाएगा, फिर वहां से उनके घर ले जाया जाएगा.

मनोज के मुताबिक, कुंदन घर में सरकारी नौकरी करनेवाले एकमात्र सदस्य थे. उनके पिता और एक बड़े और एक छोटे भाई किसान हैं. पूरे परिवार की जिम्मेवारी इन्हीं के सर पर थी. वह सेना में 2011 को बहाल हुए थे.

उन्होंने यह भी बताया कि झारखंड सरकार की तरफ से बीडीओ और सीओ मंगलवार की रात मिलने आए थे. इसके अलावा और किसी ने बात नहीं की है.

स्थानीय पत्रकार ने बताया कि हमलोग बस देख रहे हैं. कोई बात करने की स्थिति में नहीं हैं.


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अभी तक केंद्र ने राज्य को नहीं दी है कोई जानकारी

इन सब के बीच झारखंड सरकार ने मारे गए सैनिकों के परिजनों के लिए खबर लिखे जाने तक किसी तरह की कोई घोषणा नहीं की है.

सीएमओ के सूत्र ने बताया कि चूंकि अभी तक आधिकारिक तौर पर भारत सरकार की तरफ से बताया नहीं गया है और न ही मारे हुए सभी सैनिकों की पहचान हो पाई है. जब केंद्र सरकार इसकी सूचना राज्य सरकार को देगी, तत्काल परिजनों को मिलने वाली सहायता की घोषणा कर दी जाएगी.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट करते हुए मारे गए सैनिकों के प्रति अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त की है. उन्होंने कहा, ‘जब-जब देश की सीमा, संप्रभुता पर हमला हुआ है, झारखंडी सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दे उसकी रक्षा की है.’

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि भारत-चीन सीमा में हिंसक गतिरोध के दौरान फिर एक झारखण्डी शेर गणेश हांसदा जी के शहीद होने की खबर सुनकर मन व्याकुल है. कल भी झारखण्डी वीर कुंदन ओझा जी के शहीद होने की खबर आई थी. देश की संप्रभुता की रक्षा में वीर झारखण्डी सपूतों का बलिदान सदियों तक याद रखा जाएगा.

पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने भी उन्हें नमन करते हुए इस दुख में परिजनों के साथ होने की बात कही है. उन्होंने कहा कि मेरी और पूरी पार्टी की संवेदना उनके परिजनों के साथ हैं.

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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