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Friday, 22 November, 2024
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भारत चीन में बढ़ते विवाद के बीच व्यापारी संगठन ने 3000 से अधिक चीनी उत्पादों पर रोक लगाने की मांग की

खुदरा कारोबार करने वाले व्यापारियों के मंच कन्फेडरशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने चीनी वस्तुओं के बहिष्कार करने का निर्णय लिया है. कैट ने 'भारतीय सामान-हमारा अभिमान' नाम से अभियान की शुरूआत की है.

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नई दिल्ली: भारतीय व्यापारी संघ ने भारत चीन के बीच चल रहे विवाद के बीच चीन से आने वाले कॉस्मेटिक, बैग, खिलौने, फर्निटर, जूते-चप्पल सहित कई ऐसे करीब 500 सामानों की लिस्ट तैयार की है जो अब भारत नहीं लेगा. और चीनी सामानों का बायकॉट भी करेगा.

भारतीय सामान हमारा अभिमान

भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में चल रहे गतिरोध के बीच तीन भारतीय सैनिकों पर किए गए हमले से पूरे देश में रोष का माहौल का है. इसके बाद से देश में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार को लेकर चर्चा का दौर शुरु हो गई है. इसी कड़ी में परंपरागत तरीके से खुदरा कारोबार करने वाले व्यापारियों के मंच कन्फेडरशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने चीनी वस्तुओं के बहिष्कार करने का निर्णय लिया है. कैट ने ‘भारतीय सामान-हमारा अभिमान’ नाम से अभियान की शुरूआत की है.

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने दिप्रिंट से कहा, ‘चीन को जब भी अवसर मिलता है तब वह भारत की सम्प्रभुता को चुनौती देता है.चीन का यह रवैया देश के हितो के विरुद्ध है. इन्हीं बातों ​को देशवासियों के ध्यान में लाने के लिए  कनफेडेरशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने चीनी सामान के बहिष्कार करने का निर्णय लिया है.’

उन्होंने आगे कहा, कैट ने भारतीय सामान के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ‘भारतीय सामान-हमारा अभिमान’ नाम से एक अभियान शुरु किया है. पहले चरण के अभियान के अंतर्गत हमने 500 से अधिक वस्तुओं की सूची जारी की है. इसके अंतर्गत 3 हजार से अधिक ऐसे सामान हैं जो चीन में बनते हैं और भारत आते हैं.’


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चीनी उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान कर कैट ने दिसम्बर 2021 तक भारत द्वारा चीन से आयात में 13 बिलियन डॉलर जो लगभग एक लाख करोड़ रुपये होता है, की कमी करने का लक्ष्य रखा है.

कैट की इस सूची में रोजमर्रा में आने वाली वस्तुएं जैसे खिलौने, फर्निशिंग फैब्रिक, टेक्सटाइल, बिल्डर हार्डवेयर, फुटवियर, गारमेंट, किचन का सामान, लगेज, हैंड बैग, कॉस्मेटिक्स, गिफ्ट आइटम, इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स, फैशन अपैरल,खाद्यान,घड़ियां, जैम और ज्वेलरी, वस्त्र, स्टेशनरी, कागज़, घरेलू वस्तुएं,फर्नीचर,लाइटिंग, हेल्थ प्रोडक्ट्स,पैकेजिंग प्रोडक्ट,ऑटो पार्ट्स, यार्न, फेंगशुई आइटम्स, दिवाली एवं होली का सामान, चश्में,टेपेस्ट्री मैटेरियल आदि शामिल हैं.

प्रवीन खंडेलवाल ने प्रिंट से कहा, ‘वर्तमान में भारत चीन से  लगभग लगभग 5 .25 लाख करोड़ अर्थात 70 बिलियन डॉलर का सामान आयात करता है.’

‘कैट ने प्रथम चरण में उन 3000 से अधिक वस्तुओं का चयन किया है जो भारत में भी बनती हैं लेकिन सस्ते के लालच में अब तक यह सामान चीन से आयात किया जा रहा था. इन वस्तुओं के निर्माण में किसी प्रकार की कोई टेक्नोलॉजी की आवश्यकता नहीं है इसलिए भारत में निर्मित वस्तुओं का प्रयोग चीनी वस्तुओं के स्थान पर बहुत आसानी से हो सकता है और भारत इन वस्तुओं के लिए चीन पर अपनी निर्भरता को भी कम कर सकता हैं.’

उन्होंने कहा, ‘आज अनेक वस्तुएं ऐसी हैं जिनका निर्माण देसी और विदेशी कंपनियां भारत में ही कर रही हैं. फिलहाल ऐसी वस्तुओं को बहिष्कार के दायरे से बाहर रखा गया है. चीन में निर्मित वस्तुएं भारत में आयात न हो, यह हमारे अभियान का उद्देश्य है.


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तकनीक का बहिष्कार अभी नहीं

हालांकि भारतीय व्यापार संघ तकनीकी महत्व की वस्तुओं का फिलहाल वहिष्कार करने नहीं जा रहा है. खंडेलवाल ने कहा, ‘इस बहिष्कार में हर प्रकार की चीनी एप्लिकेशन तो शामिल हैं लेकिन तकनीकी के महत्व वाली वस्तुओं को इसमें शामिल नहीं किया गया है.’

उन्होंने इसकी वजह बताते हुए कहा,  ‘जब तक इस प्रकार की टेक्नोलॉजी का विकल्प भारत में विकसित नहीं हो जाता या भारत के किसी मित्र राष्ट्र द्वारा निर्मित नहीं होता तब तक इस प्रकार की टेक्नोलॉजी वाली वस्तुओं के उपयोग के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं है.’

कैट जल्द ही इस मामले को केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के सामने रखेगा. वहीं इस तरह वस्तुओं को भारत में निर्मित करने के लिए सरकार देश के लघु उद्योग, स्टार्टअप और अन्य उद्यमियों को हर प्रकार की सहायता प्रदान करने का आग्रह भी करेगा.

गौरतलब है कि पीएम मोदी भी लोगों से ‘लोकल फॉर वोकल’ और आएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी स्वदेशी सामनों को अपनाने की बात पर जोर दे चुके है. पीएम के आह्वान के बाद गृह मंत्रालय ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की कैंटीन में अब सिर्फ स्वदेशी उत्पादों की ही बिक्री करने का निर्णय लिया है.

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