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Friday, 22 November, 2024
होमदेश‘एक पॉलिसी, एक पोर्टल’- एससी ने दिल्ली, यूपी, हरियाणा को अंतर्राज्यीय आवाजाही प्लान बनाने का दिया एक हफ्ते का समय

‘एक पॉलिसी, एक पोर्टल’- एससी ने दिल्ली, यूपी, हरियाणा को अंतर्राज्यीय आवाजाही प्लान बनाने का दिया एक हफ्ते का समय

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा है कि लॉकडाउन के दौरान, एनसीआर के भीतर अंतर्राज्यीय आवाजाही के लिए, संबंधित राज्यों की बैठक बुलाकर, एक कॉमन प्रोग्राम तैयार करें.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सरकारों से कहा कि देशव्यापी लॉकडाउन के बीच दिल्ली-एनसीआर के भीतर आवाजाही के लिए, केंद्रीय प्रशासन के साथ बैठक कर ‘एक पॉलिसी, एक रास्ता, या एक पोर्टल’ की संभावना पर ग़ौर करें.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, संजय किशन कॉल, और एमआर शाह की बेंच ने कहा, कि ये फैसला एक हफ्ते के भीतर ले लिया जाना चाहिए.

कोर्ट गुड़गांव निवासी रोहित भल्ला की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो अनिंदिता मित्रा और अमन भल्ला के ज़रिए, पिछले हफ्ते दाख़िल की गई थी. याचिका में मांग की गई थी कि दिल्ली-एनसीआर को एक क्षेत्र माना जाए, और नोएडा, ग़ाज़ियाबाद, गुरुग्राम और सोनीपत के साथ दिल्ली की सीमाओं को खोल देना चाहिए.

अपने प्रतिनिधि, सीनियर एडवोकेट मुकुल तलवार के ज़रिए, याचिकाकर्ता ने कहा कि यूपी और हरियाणा का, ‘बिना जायज़ अपवादों के, बॉर्डर्स सील करने का आदेश’ एनसीआर में आने वाले क्षेत्रों में उन गतिविधियों पर पाबंदी लगाना, जिनकी इजाज़त दी गई है, एक असंवैधानिक क़दम है.


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इसलिए याचिका में हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के उन फैसलों को चुनौती दी गई, जिनमें उन कामों के लिए भी लोगों की आवाजाही रोकी जा रही है, जिनकी इजाज़त दी गई है. साथ ही अलग-अलग राज्यों के सरकारी पोर्टल पर जा कर, आवाजाही के लिए पास हासिल करने की ज़रूरत को भी चुनौती दी गई है.

पिछले महीने हुई सुनवाई में कोर्ट ने, याचिका पर केंद्र सरकार का जवाब मांगा था.

बृहस्पतिवार को, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अंतर्राज्यीय आवाजाही पर फैसला, राज्य सरकारों को लेना होगा.

इस बात को ध्यान में रखते हुए, कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि संबंधित सरकारों की एक बैठक बुलाएं, और एनसीआर में अंतर्राज्यीय आवाजाही के लिए, एक कॉमन प्रोग्राम और पोर्टल तैयार करें.

नागरिक ‘असहाय’ महसूस कर रहे: याचिका

याचिका में प्रकाश डाला गया कि सीमाएं सील होने की वजह से, नागरिकों को व्यावहारिक दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा है, और साथ ही औद्योगिक काम-काज भी बाधित हो रहा है, क्योंकि उद्योगों में काम कर रहे लोगों को, बॉर्डर पार करना होता है.

याचिका में कहा गया है, ‘एनसीआर के निवासी जिनके परिवार के सदस्य या चाहने वाले, एनसीआर के अंदर ही सीमा के पार रहते हैं, उन्हें मेडिकल इमरजेंसी, अस्पताल या हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स तक पहुंचने, या ज़रूरी कामों के लिए, दो राज्यों के बॉर्डर पार करने में बहुत परेशान किया जा रहा है.’

एक विकल्प के तौर पर, याचिका में मांग की गई थी कि जिन गतिविधियों की इजाज़त दी गई है, उनके लिए एनसीआर के अंदर मूवमेंट पास जारी किए जाने के लिए, ‘एक कॉमन पोर्टल/तंत्र’ बनाया जाए. याचिका में कहा गया कि फिलहाल ऐसे पास हासिल करने में आमतौर से दो दिन लग रहे हैं.

याचिका के अनुसार इसके कारण नोएडा या गुड़गांव के वो लोग बहुत ‘असहाय’ महसूस कर रहे हैं, जिन्हें अपने किसी मरने वाले, या बहुत बीमार रिश्तेदार को देखने दिल्ली जाना है.


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कोविड मामलों का ‘दिल्ली कनेक्शन’

पिछले महीने दाख़िल याचिका के अपने जवाब में, हरियाणा सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया था कि दिल्ली के अंदर कोविड-19 के केस हरियाणा से 10 गुना अधिक हैं, और इनमें अधिकतर मामले ‘दिल्ली कनेक्शन की वजह से हैं’.

यूपी सरकार ने भी पिछले हफ्ते दाख़िल अपने जवाब में कहा था कि दिल्ली में कोविड के कुल मामले 11,000 से कुछ अधिक हैं, जबकि नोएडा में केवल 293 हैं. उसने बताया कि नोएडा के मुक़ाबले दिल्ली में, कुल मामले 37 गुना ज़्यादा हैं.

दोनों राज्यों ने इस बात पर भी रोशनी डाली, कि 17 मई को जारी गृह मंत्रालय की गाइडलाइन्स में, राज्यों व केंद्र-शासित क्षेत्रों को इज़ाज़त दी गई है, ‘स्थिति के अपने आकलन के आधार पर’ वो कुछ गतिविधियों को रोक सकते हैं, या उन पर पाबंदियां लगा सकते हैं.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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