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Friday, 29 March, 2024
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कोविड-19 टेस्ट निगेटिव आने के बाद लोगों को क्वारेंटाइन सेंटर्स में बंद रखना आर्टिकल 21 का उल्लंघन है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि क्वारेंटाइन सेंटर्स के प्रभावी कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए हर जिले में 3 सदस्यीय समिति का गठित की जाएं.

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नई दिल्ली: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फैसला दिया है कि जिन लोगों ने अपनी क्वारेंटाइन अवधि पूरी कर ली है और जिनका कोविड-19 टेस्ट निगेटिव आया है, उन्हें क्वारेंटाइन सेंटर्स में बंद कर नहीं रखा जा सकता है, यह कहते हुए कि यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.

शनिवार को, न्यायमूर्ति शशि कांत गुप्ता और न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की पीठ ने कहा, ‘व्यक्तियों, जिन्होंने अपनी क्वारेंटाइन अवधि पूरी कर ली है और टेस्ट निगेटिव आया है, उनकी इच्छा के खिलाफ क्वारेंटाइन केंद्रों में उन्हें हिरासत में नहीं रखा जा सकता है. यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता के उल्लंघन होगा.’

अदालत 13 मई को वकील शाद अनवर द्वारा भेजे गए एक पत्र के आधार पर पंजीकृत एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें तबलीग़ी जमात के सदस्यों की रिहाई की मांग की गई थी, जो उत्तर प्रदेश में 5 मार्च से क्वारेंटाइन हैं.

यह नोट किया गया कि प्रवासी श्रमिकों सहित कई लोग राज्य में क्वारेंटाइन केंद्रों में रखे गए हैं.


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अदालत ने आदेश दिया, ‘उपरोक्त बातों के मद्देनजर, हम राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देते हैं कि जिन व्यक्तियों ने अपनी क्वारेंटाइन अवधि पूरी कर ली है, उन्हें क्वारेंटाइन केंद्रों से तुरंत मुक्त किया जाए, बशर्ते कि उनका टेस्ट निगेटिव आया हो और उन्हें मुक्त करने में कोई कानूनी बाधा न हो.’

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पीठ ने हर जिले में ‘अच्छे से चलने वाले, बड़े और ज्याद प्रभावी क्वारेंटाइन सेंटर्स’ सुनिश्चित करने के लिए 3 सदस्यीय समिति के गठन का भी निर्देश दिया है.

इस समिति ने कहा, यह सुनिश्चित करना चाहिए कि केंद्र ‘अच्छे से बने हों, नियंत्रित और प्रशासन की देख-रेख में हों और लोगों द्वारा सामना की जाने वाली कठिनाइयों और समस्याओं के मद्देनजर जो लोग क्वारेंटाइन में हैं उन्हें मदद, सहारा, मार्गदर्शन दि जा सके, और यह सुनिश्चित करें कि व्यक्ति, जिन्होंने अपनी क्वारेंटाइन अवधि पूरी कर ली है, उन्हें तुरंत मुक्त किया जाए, बशर्ते उनका क्वारेंटाइन अवधि पूरी करने के बाद टेस्ट निगेटिव आया हो और उन्हें मुक्त करने में कोई कानूनी बाधा न हो.’

सभी 3001 तबलीग़ी जमात के सदस्य मुक्त किए जा चुके हैं: यूपी सरकार

अपनी याचिका में, अनवर ने आरोप लगाया था कि आवश्यक क्वारेंटाइन अवधि समाप्त होने के बावजूद, अधिकारियों ने केंद्रों से तबलीग़ी जमात के सदस्यों को रिहा नहीं किया था. इसमें उन्होंने कहा था, अनुच्छेद 21 के तहत उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया गया है.

अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष गोयल ने शुक्रवार को जवाब दिया था कि उत्तर प्रदेश से अपने गृह राज्यों को जाने के लिए परिवहन की अनुपलब्धता के कारण कुछ लोग अभी भी क्वारेंटाइन केंद्रों में हैं.

तब राज्य सरकार को जमात सदस्यों के बारे में अदालत को सूचित करने के लिए निर्देशित किया गया था जो अभी भी क्वारेंटाइन थे और जो क्वारेंटाइन अवधि पूरी करने के बाद रिहा कर दिए गए थे.

जवाब में, अधिकारियों ने शनिवार को एक विस्तृत चार्ट प्रस्तुत किया था, जिसमें कहा गया था कि कुल 3,001 भारतीय और 325 विदेशी, जो तबलीग़ी जमात के सदस्य थे, को क्वारेंटाइन किया गया था.


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जवाब के अनुसार, सभी 3,001 सदस्यों को क्वारेंटाइन केंद्रों से मुक्त कर दिया गया था, लेकिन उनमें से 21 को जेलों में बंद कर दिया गया था.

अदालत ने इसे स्वीकार कर लिया और कहा, ‘इस प्रकार, मनीष गोयल द्वारा दिए गए बयान को ध्यान में रखते हुए, प्राप्त निर्देशों के आधार पर बार में अतिरिक्त महाधिवक्ता से पता चला और उनके द्वारा हमें इस आदेश के पहले भाग में, जिक्र करते हुए विस्तृत चार्ट पेश किया गया. हम इस संबंध में राज्य की बात को स्वीकार करते हैं.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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