नई दिल्ली: उत्तराखंड के हरिद्वार में होने वाले कुंभ 2021 को लेकर अब संत समाज में मतभेद सामने आए हैं. संतों की संस्था अखिल भारतीय दशनाम संन्यासी परम आदर्श आचार्य महामंडलेश्वर समिति ने 2021 में होने वाले कुंभ को टालने की बात की है. समिति का कहना है कि कोरोना के चलते यह कुंभ अब वर्ष 2022 में होनो चाहिए. इसके अलावा समिति ने देशभर के सभी प्रमुख संत और सरकार को पत्र लिखकर यह सुझाव दिया है. कुंभ 2022 को लेकर इसके लिए मुहिम भी शुरू की गई है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत नरेंद्र गिरी ने इस मुहिम को औचित्यहीन करार दिया है.
अखिल भारतीय दशनाम संन्यासी परम आदर्श आचार्य महामंडलेश्वर समिति के उपाध्यक्ष स्वामी महेश्वरानंद पुरी की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया कि हरिद्वार में कुंभ की तैयारियां शुरू हो गई हैं लेकिन इस बार विधाता ने प्रयास को विफल कर दिया है. कोरोनावायरस के चलते सभी प्रकार तैयारियों पर रोक लग गई है. इसके चलते 2021 में होने वाले कुंभ पर्व का आयोजन अकल्पनीय है. केंद्र और राज्य सरकार, सभी अखाड़ा, धार्मिक-सांस्कृतिक और सामाजिक संगठनों का कर्तव्य है कि सभी सर्वसम्मति से 2022 में कुंभ पर्व को मनाने का निश्चय करें.
समिति के उपाध्यक्ष स्वामी महेश्वरानंद पुरी ने दिप्रिंट हिंदी से कह, हमने केवल एक प्रस्ताव दिया है. इस पर विचार मंथन होना चाहिए. अभी जो हालत है वह जल्दी सुधरने वाले नहीं है. काम जिस गति से होगा वह समय से पूरा हो जाए यह भी अभी तय नहीं है. कुंभ में करोड़ों का खर्चों आता है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु दान-पुण्य करते हैं. लाखों लोगों के भंडारे होते हैं. लेकिन ऐसे में कौन रुपए देने के लिए तैयार होगा. अगर सरकार को समय मिलेगा तो वह अपना पूरा काम कर सकेगी. वास्तिवक धरातल पर अभी कुछ भी संभव नहीं है.
दिप्रिंट हिंदी से चर्चा में श्रीमहंत नरेंद्र गिरी ने कहा, ‘कुंभ के आयोजन का एक पौराणिक गणित है. उसके हिसाब से ही कुंभ 2021 में होगा. अभी बहुत समय है. इसकी तैयारी में सभी लोग लगे हुए हैं. सरकार समय तक तैयारी कर लेगी. हम जल्द ही प्रदेश सरकार और स्थानीय प्रशासन के साथ बैठक करेंगे. इसमें हरिद्वार महाकुंभ के संदर्भ में कई फैसले भी लेंगे. अभी समय है अगर कोरोना का खतरा आगे भी रहता है तो महाकुंभ का स्वरूप बदल सकता है.’
शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने दिप्रिंट हिंदी से कहा, ‘अभी फिलहाल थोड़ी कठिन चुनौती है. कुंभ की तैयारी तेजी से चल रही है. अभी आगे के काम के लिए बैठकों का दौर जारी है.’
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कोरोना के चलते कुंभ के कामों में आई रुकावटें
कोरोना के संकट ने हरिद्वार में चल रहे कुंभ की तैयारियों को बुरी तरह से प्रभावित किया है. दोबारा इन कामों को गति देना सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा. प्रवासी मजदूरों के वापस अपने घर लौटने के चलते रुके हुए कामों को गति देने में परेशानी का सामना करना पड़ेगा.
फिलहाल कुंभ में अभी 7 माह का वक्त बचा है. ऐसे में जिस तरह के हालत हैं कुंभ मेला कैसा होगा इसमें क्या-क्या सावधानियां रखनी होंगी इसको लेकर चिंता कम नहीं हो रही है. राज्य सरकार ने यहां होने वाले कामों के लिए 1200 करोड़ रुपए की योजना तैयार की है. जिस पर काम शुरू हो गया है. वहीं केंद्र सरकार की तरफ से भी 375 करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं.
गौरतलब है कि कुंभ मेले का आयोजन 12 वर्ष में होता है. यह हरिद्वार, इलाहाबाद (प्रयागराज), नासिक और उज्जैन में 12 वर्षों के अंतराल पर आता है. 6 वर्षों के अंतराल पर अर्धकुंभ का आयोजन होता है. 2010 में हुए हरिद्वार महाकुंभ मेले में देश विदेश से 8 करोड़ श्रद्धालु आए थे. इसमें छह सौ करोड़ का खर्च किए गए थे. वहीं 2021 में प्रस्तावित इस कुंभ मेले में 15 करोड़ से ज्यादा लोगों की आने की संभावना है.