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Friday, 22 November, 2024
होमदेशगेहूं खरीद के अपने लक्ष्य से काफी पीछे यूपी, एमएसपी के नीचे मंडियों में अपनी फसल बेचने को मजबूर हैं किसान

गेहूं खरीद के अपने लक्ष्य से काफी पीछे यूपी, एमएसपी के नीचे मंडियों में अपनी फसल बेचने को मजबूर हैं किसान

24 मई तक, एमपी ने अपने लक्ष्य को पार कर लिया है और पंजाब ने अपना लगभग पूरा कर लिया है, वहीं यूपी ने अपने 55 लाख मीट्रिक टन के लक्ष्य का केवल 37% खरीद पाया है.

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नई दिल्ली: 2020 की रबी फसल की खरीद का सीज़न समाप्त हो रहा है, और अधिकांश राज्यों ने किसानों से गेहूं खरीदने की प्रक्रिया लगभग पूरी कर ली है. लेकिन उत्तर प्रदेश में यह नहीं हो सका है तब जब, देश में गेहूं का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है.

15 अप्रैल से 24 मई के बीच, यूपी ने 20.39 लाख मीट्रिक टन (LMT) गेहूं की खरीद की, जो 363 LMT के कुल अनुमानित उत्पादन का सिर्फ 5.6 प्रतिशत है. यह भी केंद्र सरकार द्वारा राज्य के लिए निर्धारित 55 एलएमटी के खरीद लक्ष्य का लगभग 37 प्रतिशत है. यह लक्ष्य अपने आप में कुल अनुमानित उत्पादन का लगभग 15 प्रतिशत था.

इसकी तुलना पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश से करें, जिसने 24 मई तक 113.8 एलएमटी की खरीद की है, जो उसके 100 एलएमटी की खरीद लक्ष्य से अधिक है.

पिछले साल भी उत्तर प्रदेश का यही लक्ष्य था 55 एलएमटी लेकिन 37 एलएमटी गेहूं की ही खरीद हुई थी.

राज्य के खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि धीमी शुरुआत के बाद खरीद में तेजी आई है.

अधिकारी ने यह भी कहा कि ‘पहले जूट के बोरों की कमी की वजह से खरीद में देरी हुई थी लेकिन अब प्लास्टिक बैग के लिए अनुमति मिलने के बाद इसकी खरीद में तेजी आई है. अभी तक लगभग चार लाख किसानों से 20 लाख मिट्रिक टन गेहूं की खरीद की जा चुकी है. ‘

‘राज्य में 5,947 खरीद केंद्रों के माध्यम से गेहूं की खरीद की जा रही है. उन्होंने आगे बताया कि कुल 6,39,314 किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए पंजीकरण कराया है.


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मंडियों में एमएसपी से नीचे गेहूं बेचने पर मजबूर

हालांकि, किसानों का कहना है कि गेहूं की धीमी खरीदारी उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य के नीचे मंडी में बेचने को मजबूर कर रही है. गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य 1925 प्रति क्विंटल निर्धारित है जो पिछले साल 1840 की तुलना में थोड़ा अधिक है.

शामली जिले के बाहवरी गांव में गेहूं की खेती करने वाले पुष्पक सिंह ने दिप्रिंट से कहा, ‘खरीद की प्रक्रिया बहुत धीमी है और अधिकारी क्वालिटी के नाम पर खरीद को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं. इसी वजह से हो रही देरी के कारण, मैंने 100 किलो गेहूं व्यापारी को 1850 प्रति क्विंटल के हिसाब से बेचा है. ‘

वह आगे कहते हैं, ट्रांसपोर्टेशन और कई मजदूरों को दी जाने वाली मजदूरी बचाने के लिए, कई किसान मंडी में अपना गेहूं 1800 से 1850 प्रति क्विंटल की दर से बेच रहे हैं.
बरहलगंज, गोरखपुर के किसान संदीप कुमार भी गेहूं किसान हैं और वह अपरने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों की समस्याओं पर सहमति जताते हैं.

कुमार ने आगे कहा, ‘बड़ी संख्या में किसान अपना रजिस्ट्रेशन कराने में नाकामयाब रहे हैं, और यदि हमें टोकन मिल भी जाता है तो गेहूं बेचने के लिए वहां दिन भर लंबी लाइनों में लगना पड़ता है. उसके बाद कई बार क्वालिटी(गुणवत्ता) के नाम
पर चमक और सिकुड़न के नाम पर खरीदने से मना कर देते हैं.’

वह आगे कहते हैं, ‘एकबार गेहूं मना हो जाने के बाद, हम उसे वापस ट्रैक्टर से वापस लाते हैं जिसके लिए हमें दोगुना ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा उठाना पड़ता है. उसके अलावा जब हम वहां इंतजार कर रहे होते हैं तब भी हमारे कई खर्च होते हैं. इसलिए बेहतर है कि एमएसपी से कम दाम पर आप अपना गेहूं दूसरे व्यापारियों या फिर स्थानीय ग्राहकों को ही बेच दें.


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दूसरे राज्यों की स्थिति

भारत में, 24 मई तक कुल गेहूं की खरीद 341.56 LMT थी, जो पिछले साल से 341.31 LMT का आंकड़ा है। सरकार की नोडल एजेंसी, भारतीय खाद्य निगम, द्वारा निर्धारित अखिल भारतीय खरीद लक्ष्य 407 LMT है।

पूरे भारत में 24 मई तक कुल गेहूं की खरीद 341.56 एलएमटी हुई थी, जो पिछले वर्षा की 341.31 एलएमटी के आस-पास का आंकड़ा है. सरकार की नोडल एजेंसी, भारतीय खाद्य निगम द्वारा निर्धारित अखिल भारतीय खरीद का लक्ष्य 407 एलएमटी है.

जबकि मध्यप्रदेश अपनी खरीद के लक्ष्य से आगे निकल चुका है. दूसरे राज्य भी उत्तर प्रदेश से बेहतर कर रहे हैं. उदाहरण के लिए पंजाब की अगर बात करें तो उसने भी 125.84 एलएमटी गेहूं खरीद चुका है जो 135 एलएमटी का 93.22 फीसदी है. जबकि हरियाणा 70.65 एलएमटी, यानी अपने लक्ष्य का 74.37 फीसदी खरीद चुका है. इसका लक्ष्य 95 एलएमटी है.

कृषि मंत्रालय के अनुमान के अनुसार, इस वर्ष गेहूं के उत्पादन का अनुमान 1.070 एलएमटी का था जो पिछले साल 1030 एलएमटी की तुलना में थोड़ा अधिक था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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