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Friday, 22 November, 2024
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सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में गिर रही है कोविड की विकास दर, फिर भी बाक़ी राज्यों से खबर अच्छी नहीं

जबकि कोरोना की धीमी विकास दर उत्साहजनक है, लॉकडाउन के प्रतिबंधों में ढिलाई के बाद देश में कोविड -19 मामलों की संख्या बढ़ सकती है.

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नई दिल्ली: चेन्नई स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ मैथेमेटिकल के शोधकर्ताओं के नवीनतम विश्लेषण के अनुसार, भारत में सबसे अधिक सक्रिय कोरोनोवायरस मामलों वाले राज्य, जैसे महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में नए संक्रमण के विकास की दर में तेजी से गिरावट दिखाई दे रही है.

आईएमएससी की शोधकर्ता सीताभ्रा सिन्हा जो भारत में कोविड-19 की प्रगति पर नजर बनाए हुए हैं, का कहना है कि इस बीच, बिहार, ओडिशा और कर्नाटक जैसे राज्यों में तेजी से संक्रमण के विकास दर में वृद्धि देखी गई है.

शुरू में वैज्ञानिकों ने भारत में कोरोनावायरस के ग्रोथ पैटर्न को मीट्रिक ‘R0’ (आरओ) के माध्यम से अध्ययन किया था, अब वे ‘R’ (आर) के माध्यम से उसका विश्लेषण कर रहे हैं. R और R0 दोनों यह दर्शाता है कि एक मरीज कितने लोगों को संक्रमित कर सकता है. लेकिन वे विभिन्न उद्देश्यों को भी पूरा करते हैं. महामारी की शुरुआत में ही R0 की गणना की जाती है, जब ऐसा माना जाता है कि पूरी आबादी बीमारी के लिए अतिसंवेदनशील है.

सिन्हा ने दिप्रिंट को बताया कि R, जो समय के साथ बदलता है, उस दौरान इस तथ्य को ध्यान में रखना पड़ता है कि कुछ व्यक्ति बीमारी से सुरक्षित हैं, या तो उन्होंने अपनी इम्यूनिटी को मजबूती से विकसित किया है या सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य उपायों को अपनाया है.

भारत के लिए, इस सप्ताह R की वैल्यू घटकर 1.22 हो गई है. महामारी की शुरुआत में, 4 मार्च और 6 अप्रैल के बीच, R0 और भारत में इसकी बेसिक प्रजनन संख्या (बेसिक रिप्रोडक्शन नंबर) 1.83 थी.


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R की वैल्यू 1 पर पहुंची 

महाराष्ट्र देश का सबसे अधिक कोविड-19 से प्रभावित राज्य है और शुक्रवार तक यहां के 41,642 पुष्ट मामलों की (11,726 इलाज / छुट्टी / विस्थापित और 1,454 मौतें) पुष्टि हो चुकी है.

लाल और हरी रेखाएं क्रमशः 1.49 और 1.27 की प्रजनन संख्या के साथ सक्रिय मामलों में वृद्धि का संकेत देती हैं/एमएससी

हालांकि, राज्य का ग्रोथ कर्व पूरे देश के बहुत तेजी से बढ़ता हुआ दिख रहा है – लेकिन पिछले पांच हफ्तों में यह लगातार कम होता जा रहा है.

बहुत तेजी से बढ़ती हुई तब कही जाती है जब एक मात्रा लगातार गुणांक के अनुपात के साथ बढ़ती है. इसका मतलब यह है कि जैसे-जैसे संक्रमित मामलों की संख्या बढ़ती है, वैसे-वैसे नए मामलों की संख्या भी बढ़ती जाती है.

13-26 अप्रैल तक महाराष्ट्र के लिए R 1.49 था जो 23 अप्रैल और 15 मई के बीच में गिरकर 1.34 हो गया है.

उसके बाद 12 मई और 19 मई के बीच यह 1.27 से भी नीचे आ गया है, सिन्हा ने कहा कि वे राज्य जहां शुरुआत में तेजी से बड़ी संख्या में संक्रमण के मामले आए थे वहां विकास दर में कमी दिखाई देने लगी है.

सिन्हा आगे कहते हैं, उदाहारण के तौर पर उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में R 1 के करीब पहुंच रहा है. इसका मतलब यह नहीं है कि एक्टिव मामलें स्थिर हो रहे हैं इसका सिर्फ यह मतलब है कि यह ग्रोथ एक्सपोनेनशियल नहीं है.

गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान के लिए r की वैल्यू गिरकर 1.1 और 1.2 के बीच पहुंच गई है. महामारी को पूरी तरह से जकड़ने(खत्म) करने के लिए आर 1 से नीचे चला जाना चाहिए.

अप्रैल और मई के बीच, तमिलनाडु ने चेन्नई के कोयम्बेडु थोक बाजार से जुड़े कोविड -19 के मामलों में बढ़ोतरी देखी थी जिसे लॉकडाउन के दौरान खुला रखा गया था.

29 अप्रैल और 4 मई के बीच, राज्य का आर 1.83 पर था, जो आगे 30 अप्रैल और 7 मई के बीच बढ़कर 2.01 हो गया. हालांकि, अब राज्य सब एक्सपोनेनशियल ग्रोथ ( गिरावट) दिखा रहा है.

उन्होंने कहा, ‘एक बार विकास दर जब बहुत धीमी हो जाती है, तो आर का एक मजबूत अनुमान देने के लिए मेरी पद्धति का उपयोग कारगर साबित नहीं होती है,’ उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली में भी सब एक्सपोनेनशियल ग्रोथ देखी जा रही है.

हालांकि, कम प्रजनन संख्या उत्साहजनक है, महामारी फिर से बढ़नी शुरू हो सकती है यदि लोगों पर लगे कड़े प्रतिबंध हटा लिए जाएं क्योंकि तब R का मूल्य 1 से अधिक रहता है.


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अलग ट्रेंड

सिन्हा ने कहा, बिहार, ओडिशा और कर्नाटक में अलग तरह का ट्रेंड देखने को मिला है, इन राज्यों में हाल ही में विकास दर में तेजी देखी गई है. इन राज्यों में आर 1.5 से अधिक है.

कुछ राज्यों में, उन्होंने कहा कि रुझानों में जबरदस्त उतार-चढ़ाव भी देखे गए थे उदाहरण के लिए, 20 अप्रैल और 23 अप्रैल के बीच, बिहार का R वैल्यू 2.01 था. हालांकि बाद के सप्ताह में यहां तेजी से गोता लगाया (लगभग 1 पर पहुंच गया), लेकिन अब बिहार में आर 1.5 से अधिक है.

सिन्हा ने कहा, ‘शुरुआत में, मैंने बिहार को बाहर रखा था लेकिन बाद में अचानक देखने को मिला कि यहां संक्रमण तेजी से नीचे जा रहा है और फिर तेजी से बढ़ने लगा.

‘यह या तो इसलिए हो सकता है कि यहां के कुछ जगहों पर मामले रिपोर्ट ही नहीं किए गए हों या फिर यह भी हो सकता है कि यहां प्रवासी मजदूरों के साथ संख्या अचानक बढ़ने लगी हों. ‘

राज्य इस महीने शुरू की गई विशेष श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनों के माध्यम से दो लाख से अधिक प्रवासी श्रमिकों को वापस लाना चाहता है, लेकिन राज्य में फिलहाल प्रतिदिन 2000 से कम ही जांच की जा रही है. इसी तरह पश्चिम बंगाल में 15 से 28 अप्रैल के बीच R का अनुमान 1.51 था. 28 अप्रैल और 1 मई के बीच यह घटकर 1.14 हो गया और फिर 4 मई से 10 मई के बीच बढ़कर 1.34 हो गया.

बिहार और पश्चिम बंगाल दोनों राज्यों में सबसे कम टेस्ट किए जा रहे हैं. जिसतरह से लॉकडाउन प्रतिबंधों में छूट और अंतरराज्यीय यात्रा धीरे-धीरे फिर से शुरू हो रही है ऐसा अनुमान है कि इन राज्यों का R वैल्यू तेजी से बढ़ेगा लेकिन कोई भी बदलाव 10 से 14 दिनों के बाद ही देखने को मिलेगा.

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