नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को उधार देने की सीमा बढ़ा दी है, साथ ही कुछ शर्तें रखी हैं. भारत सरकार ने पैकेज दिया है. जिसमें करीब चार लाख 28 हज़ार करोड़ उधार देने का प्रावधान है. भारत में राज्य अपने जीडीपी (ग्रास स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट) का 3 प्रतिशत कर्ज ले सकते हैं, लेकिन अब 5 प्रतिशत ले सकते हैं.
सरकार ने कुछ प्रावधान रखें हैं. जिसमें केंद्र सरकार ने कहा है कि किसानों को डीबीटी के माध्यम से मदद की जानी चाहिए, आधार कार्ड से राशन कार्ड को जोड़ा जाना चाहिए जिससे देश भर में राशन कार्ड को जोड़ा जा सके, प्रॉपर्टी टैक्स को बढ़ाया जाना चाहिए, पानी और स्वच्छता पर चार्ज लगाया जाना चाहिए और राज्यों को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को आसान बनाना चाहिए.
केंद्र की चार शर्ते
केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के सामने कुछ शर्ते रखीं हैं जिसमें चार शर्ते महत्वपूर्ण हैं.इसमें से एक है राज्य सरकारें किसानों को बिजली मुफ्त में देती हैं, केंद्र का कहना है बिजली मुफ्त दीजिए लेकिन डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से दीजिए. जिससे किसान जान पाएंगे कि वह कितना खर्च कर रहे हैं.
दूसरा आधार कार्ड से राशन कार्ड से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं जो एक देश एक राशन कार्ड में अहम भूमिका निभा सकता है. इससे गांव में रह रहा परिवार तो राशन ले ही सकता है जरूरत पड़ने पर उस परिवार का इंसान जो काम के सिलसिले में दूसरे राज्यों में काम कर रहा है वह भी उस राशन कार्ड का इस्तेमाल अपने आधार कार्ड से कर सकता है.
तीसरा सरकार प्रॉपर्टी टैक्स को बढ़ाए जाने की मांग की है. वहीं चौथी शर्त, पानी और स्वच्छता पर चार्ज लगाया जाना चाहिए और राज्यों को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को आसान बनाना चाहिए.
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सरकार की इन शर्तों का कई राज्य विरोध कर रहे हैं जिसमें केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य शामिल हैं. तेलंगाना और पश्चिम बंगाल ऐसे राज्य हैं जहां हर चीज फ्री में बांटी जाती है. केंद्र सरकार चाहती है कि अगर पैसे जो उधार ले रहे हैं, वह उसका सही से उपयोग करें, इससे राज्यों को फायदा होगा राज्यों को उधार लेकर बांटना नहीं चाहिए.
यूपीए के कार्यकाल में एक स्कीम चलायी गयी थी, जिसका नाम जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण योजना था जिससे बहुत से राज्यों को फायदा हुआ. महाराष्ट्र ने इस स्कीम का फायदा देरी से उठाया जिससे उसको बाद में फायदा हुआ था.
सार्वजनिक क्षेत्रों को बेचना सरकार के लिए कितना लाभकारी
जैसे ही सार्वजनिक क्षेत्रों की कंपनियों का जब निजीकरण होता है तब उनकी कीमत बढ़ जाती है, जब तक कंपनियां सरकार के पास रहती है तब तक घाटे में रहती है. उदाहरण के लिए सरकार के सभी बैंको की कीमत एचडीएफसी से कम है.
पूर्वी और दक्षिणी राज्यों में मज़दूरों की अलग समस्या है. पूर्वी राज्यों से मज़दूर जाते हैं और दक्षिणी राज्य उनका उपयोग करते हैं. हिंदी भाषी राज्यों में मज़दूर जाते हैं. कर्नाटक, गुजरात , महाराष्ट्र , तेलंगाना, पंजाब ये सभी राज्य रोजगार देते हैं. हिंदी भाषी राज्य दुर्दशा झेल रहे हैं. उनके यहां पर नेता धर्म, जाति के नाम पर उलझे हुए हैं. अपने लोगों के लिए रोजगार की व्यवस्था के बारे में नहीं सोचते हैं.
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नीतीश कुमार की सरकार ने 15 साल से बिहार में रोजगार के लिए क्या किया है. तटीय राज्य आगे बढ़े हैं उसमें में भी पूर्वी तटीय राज्य जैसे बंगाल, ओडिशा ज्यादा आगे नहीं बढ़े हैं.