नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार संपत्ति के पंजीकरण के लिए आधार और पैन को अनिवार्य करने की योजना बना रही है. जमीन के फ्रॉड और बेनामी लेनदारी पर लगाम लगाने के लिए ऐसा किया जाएगा. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.
इस मामले की जानकारी रखने वाले सरकारी अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले भूमि संसाधन विभाग (डीओएलआर) रजिस्ट्रेशन (संशोधन) बिल लेकर आने वाला है जब कभी भी आने वाले समय में संसद का सत्र शुरू होगा.
बिल में संपत्ति के पंजीकरण को आधार से जोड़ने का प्रस्ताव है और अगर किसी के पास आधार नहीं है तो किसी अन्य दस्तावेज जैसे की पैन या ड्राइविंग लाइसेंस से सत्यापन कराया जा सकता है.
एक अधिकारी ने कहा, ‘रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 के सेक्शन 32 को संशोधित करने के लिए इसे संसद में पेश किया जाएगा जैसे ही सदन शुरू होता है.’
केंद्रीय कैबिनेट ने 2013 में ही बिल के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी थी. उस समय यूपीए की सरकार सत्ता में थी. लेकिन राज्यों के प्रतिरोध के कारण इसे सदन में नहीं लाया जा सका था.
अधिकारी ने कहा, ‘जब एनडीए सरकार 2014 में सत्ता में आई, तो उसने भी इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाया और राज्यों को इसपर एक करने के लिए कई बार बात की. अब करीब-करीब राज्य सरकारें इस मुद्दे पर केंद्र के साथ है.’
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ड्राफ्ट बिल को दो बार ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएन) के पास भेजा गया. अंतिम जीओएम जिसे ये भेजी गई उसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कर रहे थे. इसने ड्राफ्ट बिल की समीक्षा की और पिछले साल सरकार को अपनी रिपोर्ट दी.
कानूनी समर्थन
कुछ राज्य सरकारें और केंद्रशासित प्रदेश जिनमें महाराष्ट्र, चंडीगढ़, हरियाणा, यूपी, गुजरात, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश ने संपत्ति पंजीकरण के लिए आधार और पैन सत्यापन की मंजूरी दे दी है लेकिन लोगों की इजाजत लेने के बाद. यह 2018 में डीओएलआर की एडवायिजरी के बाद किया गया.
एक दूसरे अधिकारी ने कहा, ‘लेकिन पंजीकरण अधिनियम में संशोधन होने के बाद इसे कानूनी समर्थन मिलेगा. यह न केवल संपत्ति की धोखाधड़ी की जांच करेगा, बल्कि क्योंकि सभी दस्तावेज ऑनलाइन होंगे तो किसी को दस्तावेज ले जाने की आवश्यकता नहीं होगी.’
यह कदम लंबे समय से लंबित भूमि सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार के जोर के अनुरूप है. 12 मई को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘आत्मनिर्भर’ भारत के लिए फिर से चार क्षेत्रों- भूमि, श्रम, तरलता (लिक्विडिटी) और कानूनों में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया था.
दूसरे अधिकारी ने कहा, ‘ये प्रोपर्टी लेनदारी में पारदर्शिता लाएगा. एक अध्ययन जो हमने कमीशन किया था, उसके अनुसार देश में तकरीबन 1.3 लाख संपत्ति विवाद लंबित हैं.’
सभी भूमि रिकॉर्ड्स का डिजिटाइजेशन होगा
सुधारों के साथ-साथ सरकार भूमि रिकॉर्ड्स को डिजिटाइज करने की दिशा में भी काम कर रही है.
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अब तक सरकार ने ग्रामीण भारत में 6.55 लाख भूमि रिकॉर्ड्स को डिजिटाइज किया है. उक्त दूसरे अधिकारी ने कहा, ‘हमने 2023-24 तक डिजिटाइजेशन प्रक्रिया को पूरा करने का लक्ष्य रखा है.’
जबकि डीओएलआर ग्रामीण क्षेत्रों में सभी भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल करेगा, इसने शहरी क्षेत्रों में प्रक्रिया को पूरा करने के लिए आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय से कहा है.
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