रायपुर: एक ओर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच जहां श्रमिकों की मदद के नाम पर राजनीतिक श्रेय लेने की होड़ लगी हुई है, वहीं दूसरी तरफ मसूरी में फंसे 50 से भी ज्यादा छत्तीसगढ़ के मजदूरों की सुध लेने वाला कोई नही है. मजदूरों का कहना है कि बार-बार मिन्नतें करने पर भी स्थानीय प्रशासन मदद करने को तैयार नही है और निजी बस मालिक 1.36 लाख रुपए मांग रहा है.
स्थानीय प्रशासन का कहना है कि मजदूरों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होने दी जा रही है. दिप्रिंट द्वारा सम्पर्क किये जाने पर कंस्ट्रक्शन का काम करने वाले इन श्रमिकों ने बताया कि लॉकडाउन के चलते मसूरी में वे पिछले कई दिनों से फंसे हुए हैं. काम बंद होने से बेरोजगार हुए श्रमिकों का कहना है कि राशन की व्यवस्था उन्हें स्वयं करना पड़ रहा है जिससे उनके पैसे खत्म होने वाले हैं और उनकी परेशानियों बढ़ती जा रही हैं.
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छत्तीसगढ़ के जसपुर और सरगुजा जिले के रहने वाले इन मजदूरों में से एक सुरेंद्र कुमार ने दिप्रिंट से बात करते हुए बताया कि ‘हम 53 श्रमिक यहां पर करीब 2 महीने से फसे हुए हैं. कई बार कोशिश करने के बाद भी हमारी बात सुनने वाला कोई नहीं है. पुलिस थाने और एसडीएम कार्यालय के कई चक्कर लगा चुके हैं, अधिकारी यही कहते हैं कि इंतजाम कर रहें लेकिन अभी तक कुछ भी नही हुआ है. हमारा पास भी नही बना है. हमारे पास काम नहीं है और राशन पानी खत्म हो गया है. मजदूरी करके जो कुछ कमाया था राशन खरीदने में खत्म होता जा रहा है. हमारी मदद कर दीजिए.’
सुरेंद्र का कहना है कि उसने और उसके साथियों ने अपने हालात की जानकारी वीडियो बनाकर सोशल मीडिया के माध्यम से छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड दोनों सरकार के अधिकारियों को देने का प्रयास किया था लेकिन उससे भी कोई फायदा नही हुआ.
एक अन्य मजदूर वीरेंद्र कुजूर ने हमसे बताया, ‘कई दिनों से फंसे होने के कारण जब हम स्थानीय पुलिस से थाने में मदद के लिए गए तो उन्होंने हमसे कहा अपने आधार कार्ड जमा कर दो, नाम पता देखकर घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी. हमने वैसा ही किया लेकिन अभी तक कुछ नही हुआ. समझ में नही आ रहा घर कैसे जाएंगे.’
एक अन्य मजदूर विक्रम खेस ने बताया कि उन्हें एक बार निःशुल्क राशन दिया गया, उसके बाद पुलिस वालों ने राशन देने से मना कर दिया. खेस के अनुसार, ‘लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में ठेकेदार ने एक बार हम पर दया करके राशन दिया था. कुछ लोगों को पुलिस थाने से भी मिला था. लेकिन अब हमें राशन देने से मना कर दिया गया है. राशन के लिए जब पुलिस थाना गए तो वहां दोबारा आने के लिए मना कर दिया गया.’
विक्रम और उसके एक साथी प्रदीप का कहना है, ‘छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जारी किए गए हेल्पलाइन नंबर पर जब हमारे साथियों ने संपर्क किया तो वहां से भी मदद की कोई उम्मीद नहीं जगी. हेल्पलाइन से जवाब आया कि अभी राज्य सरकार द्वारा हमारी मदद के लिए कोई गाड़ी मुहैया कराने की व्यवस्था नही की गई है, जब होगी तो मसूरी थाने में सूचित कर दिया जाएगा.’
बता दें कि दिप्रिंट ने छ्त्तीसगढ़ सरकार द्वारा दिए गए इन हेल्पलाइन नंबरों में जब बात करने का प्रयास किया गया तो सभी नम्बर या तो बंद मिले या फिर लगातार बिज़ी होने का जवाब मिला.
निजी बस ऑपरेटर ने मांगा 1.36 लाख रुपए किराया
सुरेंद्र आगे कहते हैं, ‘आप ही बताइए हमारे पास क्या रास्ता है. हम या तो भगवान के सहारे मसूरी से पैदल ही चल दें या फिर कोई निजी बस किराए पर लें. किराए की बस के लिए बात किया तो बस मालिक ने 1.36 लाख रुपए मांगा है. अब हमारे पास 1.36 लाख रुपए की व्यवस्था करने या फिर पैदल जाने के सिवाय कोई चारा नही है. निजी बस के लिए पैसों की व्यवस्था कर्ज लेकर करना पड़ेगा. फिर कर्ज कैसे लौटाएंगे. हमारा धैर्य टूट रहा है. यहां से निकलने का जल्द कुछ इंतजाम नही हुआ तो हम सब पैदल ही चले जाएंगे. रास्ते में हो सकता है कि उत्तर प्रदेश सरकार या कोई और मददगार मिल जाए.’
मसूरी प्रशासन ने नकारा राशन न मिलने की बात
हमने जब मसूरी एसडीएम वरुण चौधरी से इन मजदूरों के लिए राशन की व्यवस्था और प्रशासन द्वारा परिवहन का साधन मुहैया कराने की जानकारी चाही तो उनका कहना था ‘राशन मुहैया न कराए जाने की बात गलत है. मसूरी में किसी मजदूर के पास राशन की कमी नहीं है. जिनके पास राशन कार्ड नहीं है उनको राशन पुलिस थाने या गैरसरकारी संस्थान या फिर अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से दिया जा रहा है. हो सकता है कुछ लोग ऐसी बातें करके शासन के ऊपर बेवजह दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हों क्योंकि लॉकडाउन के दौरान ऐसे कुछ वाकये हुए हैं.’
चौधरी ने आगे बताया, ‘मजदूरों को छत्तीसगढ़ तक ले जाने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने को कहा गया है. प्रवासी मजदूरों के लिए वाहन मुहैया कराया जा सकता है लेकिन इसके लिए कम से कम 30-35 श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन होना अनिवार्य है जो अभी तक नही हुआ है.’
मसूरी एसडीएम का कहना था कि उनका ‘छत्तीसगढ़ शासन से भी समन्वय स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है. इस दिशा में बातें हुई हैं लेकिन स्थायी व्यवस्था नहीं बन पाई है.’
हरिद्वार से छत्तीसगढ़ के लिए ट्रेन चलाने का प्रयास
हमने जब छत्तीसगढ़ सरकार से मसूरी में फंसे हुए मजदूरों को वापस लाने की कार्यवाही के विषय में छत्तीसगढ़ सरकार से जानना चाहा तो श्रम विभाग के सचिव सोनमणि बोरा ने बताया, ‘दूसरे राज्यों में फंसे हुए प्रदेश के सभी प्रवासी श्रमिकों की वापसी के लिए निरंतर प्रयास जारी है. हमारा प्रयास है कि सभी श्रमिकों को उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाया जाय. केंद्र सरकार और रेल विभाग से हरिद्वार से एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने के लिए निरंतर बात चल रही है.’
बोरा का कहना है की ‘हरिद्वार से श्रमिक स्पेशल ट्रेन का प्लान जल्द ही फाइनल कर लिया जाएगा. उत्तराखण्ड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उस क्षेत्र में फंसे सभी श्रमिक श्रम विभाग द्वारा दिए गए लिंक में अपना रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन करा सकते हैं. सभी को ट्रेन के माध्यम से वापस लाया जाएगा.’