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Friday, 22 November, 2024
होमदेशचाहत से देसी, ज़रूरत में स्वदेशी और मजबूरी में विदेशी: संघ परिवार का भारत के लिए आर्थिक मंत्र

चाहत से देसी, ज़रूरत में स्वदेशी और मजबूरी में विदेशी: संघ परिवार का भारत के लिए आर्थिक मंत्र

देश में 700 से ज्यादा एमएसएमई सेक्टर के क्लस्टर है. इन सारे क्लस्टर के माध्यम से देश में उद्योगों का विकास किया जा सकता है जिससे रोजगार के अवसर बनेंगे और अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा.

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नई दिल्ली: आरएसएस प्रमुख मोहन भावगत के स्वदेशी सामानों को अपनाने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने भी लोगों से ‘लोकल फॉर वोकल’ की बात पर जोर दिया है. पीएम के इस आह्वान के बाद संघ और उसके समर्थक संस्थाएं अब लोगों ने लोगों से स्वदेशी वस्तुएं अपनाने पर जोर दे रही है. स्वदेशी जागरण मंच ने गृह मंत्रालय की तर्ज पर रक्षा मंत्रालय की आर्मी कैंटीन और अन्य मंत्रलाय में भी स्वदेशी लागू करने की बात कही है. लोगों को स्वदेशी अपनाने के लिए घर-घर प्रचार करने से लेकर सोशल मीडिया और व्हाट्सएप पर स्वदेशी और विदेशी वस्तुओं की सूची भेजकर अपने अभियान से जोड़ने का काम शुरु कर दिया है.

स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक अश्विनी महाजन ने दिप्रिंट से कहा, ‘पीएम मोदी के भाषण का हम स्वागत करते है. स्वदेशी जागरण मंच वर्षों से कह रहा है कि देश का विकास तेजी से तभी होगा जब वह स्थानीय स्तर के आधार पर होगा.’

वह आगे कहते हैं, ‘पिछले 70 वर्षों में हमने अपने लोगों पर कभी विश्वास नहीं किया. हम एफडीआई और विदेश निवेश पर आधारित हो गए. आज ऐसी स्थिति आ गई है कि बाहर से सामान देश में नहीं आ सकता है. इतने वर्षों से हम विदेशी वस्तुओं पर निर्भर थे. बाजार पर बाहरी कंपनियों ने कब्जा कर लिया. इससे देश में रोजगार के अवसर पूरी तरह से समाप्त हो गए.’

रक्षा मंत्रालय की आर्मी कैंटीन में भी लागू हो स्वदेशी

महाजन ने दिप्रिंट को बताया, ‘पीएम के वोकल फॉर लोकल के आग्रह के बाद व्यापक प्रभाव देखने को मिलेगा. गृह मंत्रालय ने भी कहा है कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की कैंटीन पर अब सिर्फ स्वदेशी उत्पादों की ही बिक्री होगी. अगर इसी तरह रक्षा मंत्रालय और अन्य मंत्रालय में भी ऐसा होता है तो अच्छा होगा. हमें बाहर से सामान मंगवाने की ज़रुरत नहीं है कि अब हम सब भारत में ही निर्माण कर सकते है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘देश में 700 से ज्यादा एमएसएमई सेक्टर के क्लस्टर है. इन सारे क्लस्टर के माध्यम से हम देश में उद्योगों का विकास करेंगे. जिससे रोजगार के अवसर निर्माण होंगे. इससे अर्थव्यवस्था को बहुत बल मिलेगा. रोजगार का सृजन होना, छोटे बड़े उद्योगों का विकास के साथ-साथ कृषि के क्षेत्र में भी बहुत विकास देखने को मिलेगा.


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महाजन ने आगे कहा, ‘स्वदेशी वस्तुओं को स्वीकार करने की बात हम कई दिनों से लोगों को कह रहे हैं. यह बात सभी लोगों के मन भी में भी है. हम चाहते हैं की स्थानीय उत्पादों को भी आर्थिक सहयोग,मार्केट और तकनी​क मिले. इसके लिए देश के करीब 700 औद्योगिक क्लस्टर से चर्चा कर हम सामाधान करेंगे. इन्हें हम तकनीक, आर्थिक सहयता संबंधित सहयोग करेंगे.

‘इसमें स्वदेशी जागरण मंच सहित संघ के आर्थिक क्षेत्र में काम करने वाले संगठन भी आगे आकर काम करेंगे. हम सरकार का पूरा सहयोग करेंगे और सरकार का सहयोग भी लेंगे भी. स्वदेशी को लेकर हमारा कैंपेन कई दिनों से चल रहा है.अब हम जल्द जल्द लोगों को स्वदेशी अपनाने के लिए घर-घर प्रचार करेंगे. इसके अलावा सोशल मीडिया और व्हाट्सएप से लोगों को जोड़ेंगे.यह काम हमारा शुरु भी हो गया है.’

उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार का ‘वोकल फॉर लोकल’ का कदम मेक इन इंडिया का दूसरा रूप नहीं है. बल्कि यह उससे बेहतर है. मेक इन इंडिया में विदेशी कंपनियां भारत में आकर उद्योग लगाने पर काम करती हैं. जबकि ‘वोकल फॉर लोकल’ में स्वदेशी के साथ ही स्थानीय प्रोडक्टस पर फोकस किया जाएगा. हमारा नारा और हमारा सपना ‘चाहत से देसी, जरूरत में स्वदेशी और मजबूरी में विदेशी’ का अब आगे बढ़ता दिखाई दे रहा है.’

संघ शुरू करेगा जनजागरुकता अभियान

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने के अनुरोध पर दिप्रिंट से कहा,’ स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने का आग्रह संघ का शुरू से ही करता रहा है. हाल ही में संघ प्रमुख ने भी स्वदेशी अपनाने को लेकर स्वयंसेवकों से आग्रह किया था.स्वदेशी हर देश के लिए हर समय बहुत आवश्यक होता है.’

‘स्वदेशी की बात करने का मतलब यह नहीं है कि विदेशों से व्यापार संबंध समाप्त कर लेना, ऐसा बिल्कुल नहीं है. भारत के कई देशों से व्यापारिक संबंध रहे हैं. लेकिन जो हमारे देश में बन सकता है या उपलब्ध है उसका इस्तेमाल अब हम करेंगे. संघ समाज में स्वदेशी अपनाने को लेकर एक जनजागरुकता अभियान शुरु करेंगा.’

आर्थिक सलाहाकार आरडी चौधरी ने दिप्रिंट से कहा, ‘लोकल फॉर वोकल का प्रयास अच्छा है. लेकिन इसके लिए थोड़ा समय लगेगा. इसका पूरा असर लंबे समय बाद अर्थव्यवस्था पर नजर आएगा. हम आत्मनिर्भर देश बनकर खड़े होंगे.

यह कहा था संघ प्रमुख मोहन भागवत ने

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने 26 अप्रैल को अपने आनलाइन उद्बोधन में स्वदेशी सामानों को अपनाने का जिक्र किया था. संघ प्रमुख ने जोर देकर कहा था कि कोरोनावायरस के संकट को अवसर बनाकर हमें नया भारत को गढ़ना है. क्वालिटी वाले स्वदेशी उत्पादक बनाने पर हमें जोर देना है.

‘हम सभी को स्वदेशी आचरण को अपनाना होगा. स्वदेशी वस्तुओं का उत्पादन गुणवत्ता में बिल्कुल उन्नीस ना हो. कारीगर, उत्पादक सभी को यह सोचना होगा. समाज और देश को स्वदेशी को अपनाना होगा. विदेशों पर अवलंबन नहीं होगा. हम लोग अपने यहां बनी वस्तुओं का उपयोग करेंगे. अगर उसके बगैर जीवन नहीं चलता है तो उसे अपनी शर्तों पर चलाएंगे.

 पीएम मोदी ने कहा है

पीएम ने मोदी ने मंगलवार रात को अपने संबोधन में कहा था कि कोरोना ने हमें लोकल मार्केट की चेन का महत्व भी समझा दिया है. स्थानीय बाजार केवल जरुरत नहीं ​बल्कि हम सबकी जिम्मेदारी है. ‘लोकल को हमें अपने जीवन का मंत्र बनाना ही होगा.’

‘आपको जो ‘ग्लोबल ब्रांड्स’ दिखते हैं, वो भी कभी ‘लोकल’ थे. लेकिन जब वहां के लोगों ने उन्हें अपनाया और उनका प्रचार ​शुरु किया तो वो ‘प्रोडक्टस लोकल से ग्लोबल’ बन गए.’

पीएम मोदी ने इस दौरान भारत में बनने वाली चीजों को आगे बढ़ाने की गुजारिश करते हुए कहा, ‘आज से हर भारतवासी को लोकल के लिए ‘वोकल’ बनना है. आज से हर भारतवासी को न सिर्फ लोकल प्रोडक्ट खरीदने हैं बल्कि उन पर गर्व भी करना है.’

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