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Friday, 22 November, 2024
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कोविड के खिलाफ मोदी सरकार की रणनीति ने कैसा काम किया, अभी तक किए गए 10 लाख से अधिक टेस्ट में है जवाब

डबलिंग रेट से लेकर सकारात्मकता और इनफेक्शन दरों तक, दस लाख नमूनों के आंकड़ों से कुछ अंदाज़ा होता है कि इस बीमारी से निपटने में भारत कैसा कर रहा है.

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नई दिल्ली: भारत ने इस सप्ताह के अंत तक, 10 लाख कोविड-19 टेस्ट पूरे कर लिए, और इसके साथ ही इस मील के पत्थर को पार करने वाले, 10 देशों के क्लब में शामिल हो गया है. भारत ने जब अपना 10 लाखवां टेस्ट पूरा किया, तो इन देशों के मुक़ाबले, भारत में रिपोर्ट किए गए मामलों की संख्या सबसे कम थी.

अभी तक 52,952 मामलों में से 15,260 के ठीक होने के साथ ही, भारत ने अपने रिकवरी रेट को भी लगातार सुधारते हुए, 28 प्रतिशत तक पहुंचा दिया है. इसका मतलब है कि रिपोर्ट किए गए सभी मामलों में से एक चौथाई से अधिक ठीक हो रहे हैं.


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मुख्य आंकड़ों का एक शीघ्र अनुमान ये है

इंडिया की सकारात्मकता दर, यानी हर 100 में पॉज़िटिव पाए गए परीक्षणों की संख्या, 23 अप्रैल के 4.4 प्रतिशत से घटकर, 5 मई को 3.8 प्रतिशत पर आ गई थी. ये संख्या जितनी कम होगी, पॉज़िटिव मामलों की संख्या भी उतनी ही कम होगी.

भारत के 736 ज़िलों में से सिर्फ 130 (17 प्रतिशत) रेड ज़ोन में हैं, यानी पिछले 21 दिन में वहां सक्रिय संक्रमण की संख्या ऊंची रही है. 284 ज़िले (38 प्रतिशत) ऑरेंज ज़ोन में हैं, जिसका मतलब है कि वहां केस तो सामने आए हैं, लेकिन उनकी संख्या में कोई ख़ास इज़ाफ़ा नहीं हुआ है. 319 ज़िले (43 प्रतिशत) ग्रीन ज़ोन में हैं, ऐसा क्षेत्र जिसमें पिछले 21 दिन में कोई नया केस सामने नहीं आया.

भारत में मामलों के डबलिंग होने की रफ्तार- वो समय जिसमें मौजूदा मामलों की संख्या दोगुनी हो जाती है- लॉकडाउन से पहले 3.4 दिन से बढ़कर अब 12 दिन हो गई है, जिसका मतलब है कि इन्फेक्शन अब धीमी गति से फैल रहा है. इस रफ्तार से मई के अंत तक, भारत में 1.86 लाख केस हो जाएंगे.

इस समय पर नरेंद्र मोदी सरकार ने लड़खड़ाते क़दमों के साथ लॉकडाउन को खोलना शुरू किया है, जिसमें देश के बहुत से हिस्सों में, उनके ज़ोन के रंग के हिसाब से, सामान्य गतिविधियां शुरू करने की इज़ाज़त दी गई है.

लेकिन, एक राज्य से दूसरे राज्य में, यहां तक कि राज्य के अंदर ज़िलों के बीच भी, इसमें काफी अंतर हैं.

कोविड के मामले में बिहार की मदद कर रही नॉन-प्रॉफिट संस्था केयर इंडिया में काम कर रहे महामारी विज्ञानी के तन्मय महापात्रा ने कहा, कि केवल रंग के हिसाब से किसी ज़ोन के लिए निर्णय कर लेना एक ग़लती होगी, और ग्रीन ज़ोन में भी सतर्कता में ढिलाई नहीं बरती जा सकती.

अगर ये ज़ोन निगरानी नहीं बनाए रखते, तो मामलों की संख्या और इन्फेक्शन में फिर उछाल आ सकता है.

केस की सकारात्मकता दर क्या कहती है

दिल्ली के सभी जिले रेड ज़ोन में हैं, और यहां सकारात्मकता दर सबसे अधिक है. ये दर पक्के मामलों और टेस्ट किए गए नमूनों की संख्या का अनुपात है.

हर 100 परीक्षणों में से, औसतन 7.81 पॉज़िटिव निकलते हैं. महाराष्ट्र में ये दर 7.71 और गुजरात में 6.78 है.

भारत में औसत केस सकारात्मकता दर लगभग 3.84 है.

महाराष्ट्र के 36 में से 14 ज़िले रेड ज़ोन में हैं, जबकि गुजरात में 9 रेड ज़ोन, 19 ऑरेंज ज़ोन, और 5 ग्रीन ज़ोन में हैं.

महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली में पक्के मामलों की संख्या सबसे अधिक है.

दो क्षेत्र जिनमें परीक्षण दर सबसे अधिक है वो हैं- लद्दाख़ और अंडमान निकोबार द्वीप. संयोग से यहां पर केस सकारात्मकता दर भी अपेक्षाकृत कम है, जो क्रमश: 1.68 और 0.88 है.

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च इन वायरोलॉजी के पूर्व प्रमुख टी जेकब जॉन समझाते हैं, कि सम्पर्क परीक्षण की रणनीति सबसे अच्छा काम उन क्षेत्रों में कर रही है, जहां बीमारी के मामलों की आवृत्ति बहुत ऊंची है.

लेकिन जिन राज्यों में केस कम हैं, वहां सभी मामलों की शिनाख़्त के लिए, सादा सम्पर्क परीक्षण काफी नहीं रहेगा.

चूंकि अभी तक, ये स्पष्ट नहीं है कि कितनी प्रतिशत आबादी वास्तव में संक्रमित है, इसलिए केस सकारात्मकता दर से अनुमान लगाया जा सकता है, कि कितने लोगों का टेस्ट कराया जाना है.

जॉन ने ये भी कहा कि भारत में अधिकांश रूप से उन्हीं लोगों का टेस्ट किया जा रहा है, जिनके वायरस के सम्पर्क में आने का ख़तरा अधिक है, इसलिए यहां केस सकारात्मकता दर, मौजूदा 3.84 से काफी ऊंची होनी चाहिए.

पूर्वी राज्यों में ग्रीन ज़ोन अधिक हैं

अगर आप भारत के जिलों का नक़्शा बनाएं, तो ग्रीन ज़ोन देश के पूर्वी हिस्से में ज्यादा दिखाई पड़ेंगे. ये भी, कि लगभग सभी उत्तर-पूर्वी राज्य ग्रीन ज़ोन में हैं. बड़े राज्यों- छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड के, 50 प्रतिशत से अधिक जिले ग्रीन ज़ोन में हैं.

दूसरे राज्य जिनमें फिलहाल ग्रीन ज़ोन जिलों की संख्या अधिक है, वो हैं हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और गोवा.

सभी राज्यों के विश्लेषण से पता चलता है कि उत्तर-पूर्वी राज्यों में सकारात्मकता दर 0 से 0.55 प्रतिशत है, जो 3.84 प्रतिशत की राष्ट्रीय दर से काफी कम है.

उत्तर-पूर्व के असम, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिज़ोरम और नागालैंड में अभी तक कुल 20 हज़ार नमूने टेस्ट किए जा चुके हैं. इनमें सबसे अधिक 11000 असम में हैं.

अभी तक जिलों को पक्के मामलों के हिसाब से, रेड, ऑरेंज और ग्रीन ज़ोन में बांटा गया है, जिसमें अधिकतर लक्षण वाले केस शामिल होते हैं.

अब इनमें गैर-लक्ष्णात्मक मामले भी शामिल होने चाहिए, यानी वो संक्रमित लोग जिनमें कोई लक्षण दिखाई नहीं पड़ते.

महामारी के खिलाफ किए गए उपायों में सुधार के लिए, भारत सरकार ने सामुदायिक स्तर पर स्क्रीनिंग बढ़ाने की ख़ातिर, एंटीबॉडी के तीव्र परीक्षण की योजना बनाई थी लेकिन एंटीबॉडी किट्स के गैर-भरोसेमंद होने के कारण, इसे अमल में नहीं लाया जा सका.

महापात्र के मुताबिक़ सरकार को अब कोई ऐसी रणनीति तैयार करनी होगी, जिससे आरटी-पीसीआर टेस्ट के ज़रिए लोगों की जांच करनी होगी, जिससे कोविड-19 की पक्के तौर पर पुष्टि हो सकती है.

उन्होंने कहा, ‘एक ऐसा नमूना तैयार होना चाहिए, जो महामारी-विज्ञान की रणनीति पर आधारित हो, जिससे गैर-लक्ष्णात्मक लोगों की नियमित निगरानी हो सके, और आबादी के बीच वायरस के वास्तविक फैलाव का पता चल सके’.

उन्होंने ये भी कहा कि इसका मतलब ये होगा, कि ऐसे लोगों की जांच अधिक की जाए, जिन्हें सम्पर्क में आने का ज़्यादा ख़तरा है, जैसे स्वास्थ्यकर्मी, पुलिसकर्मी, और ट्रांसपोर्ट तथा सफाई के काम में लगे लोग.


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10 दूसरे देशों से तुलना

अभी तक 8,005,589 टेस्ट करने के साथ, अमेरिका दुनिया के किसी भी दूसरे देश से आगे है. अमेरिका में कोरोनावायरस के पक्के केस भी सबसे अधिक हैं, और इन्फेक्शन से 74,809 लोगों की जान जा चुकी है.

दूसरे देश जो 10 लाख से आगे बढ़ चुके हैं, वो हैं फ्रांस,(1,100,228), टर्की (1,234,724), यूएई (1,200,000) और यूके (1,448,010).

इनमें से यूएई को छोड़कर, जिसमें 16,240 से अधिक पक्के मामले हैं, बाक़ी सभी देशों में 100,000 से अधिक पक्के केस हैं.

लेकिन, 10 लाख टेस्ट का आंकड़ा पार कर चुके इन 10 देशों के बीच, भारत में हर 10 लाख की आबादी पर, टेस्ट की दर सबसे कम है.

7 मई तक, भारत ने प्रति 10 लाख लोगों पर 984 टेस्ट किए हैं. इसकी तुलना में, स्पेन ने हर 10 लाख लोगों पर 41,000 से अधिक, और इटली ने प्रति 10 लास 36,000 टेस्ट किए हैं.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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