नई दिल्ली: कोविड-19 के इलाज के लिए हरियाणा और उत्तर प्रदेश से दिल्ली सफ़र करने वाले डॉक्टरों को इन राज्यों की सरकारों और आम लोगों के बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है. इसके ख़िलाफ़ अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली के रेज़िडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (आरडीए) ने केंद्र सरकार से लिखित में कार्रवाई की मांग की है.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, हरियाणा सरकार ने हाल ही में तुगलकी फरमान जारी करते हुए ज़रूरी सेवा में आने वाले डॉक्टरों से लेकर पत्रकारों तक की दिल्ली में एंट्री बैन कर दी. इसके लिए दिल्ली से सटे कुछ रास्तों को खुदवा तक दिया गया. ऐसे ही एक लिखित आदेश में गाज़ियाबाद के नगर आयुक्त ने दिल्ली के अस्पतालों में काम करने वालों को दिल्ली में ही काम करने को कहा है.
5 मई को जारी किए गए इस पत्र में उन्होंने सभी रेज़िडेंट वेलफ़ेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) से कहा, ‘आपसे अपेक्षा है कि जो डॉक्टर/पैरामेडिक स्टाफ़ दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में अपनी सेवा प्रदान कर रहे हैं, उनको सहानुभूति के साथ परामर्श दें कि कोविड-19 से और लोगों को संक्रमित होने से बचाने के लिए ये लोग कुछ समय तक (यानी) लॉकडाउन की अवधि तक दिल्ली से ही अपनी सेवाएं दें.’
सभी रेज़िडेंट वेलफ़ेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) से ऐसा करने की अपील के लिए गाज़ियाबाद के नगर आयुक्त दिनेश चंद्र ने यहां के मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा कही गई बातों का हवाला दिया है. उन्होंने ये भी कहा कि पार्षद और आरडब्ल्यूए मिलकर इसे ज़्यादा से ज़्यादा प्रचारित करें. हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद गाज़ियाबाद के सीएमओ ने एक शुद्धि पत्र जारी किया है.
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शुद्धि पत्र में गोल-मोल भाषा का इस्तेमाल करते हुए लिखा गया है कि गाज़ियाबाद में रहकर दिल्ली में काम करने जाने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को जो कहा गया था उसका आशय किसी की भावना को ठेंस पहुंचाना नहीं था. ये भी कहा गया है कि इसका पालन करने के लिए किसी को मजबूर नहीं किया जा सकता है.
एम्स आरडीए की गृह मंत्रालय से अपील
ऐसे ही विरोधाभासी फ़ैसलों के बीच एम्स आरडीए ने गृह मंत्रालय से अपील करते हुए कहा, ‘एनसीआर (दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश और हरियाणा के इलाक़े) में रहने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को रहने के ठिकाने और सफ़र में दिक्कत हो रही है. आरडब्ल्यूए नोटिस जारी करके स्वास्थ्यकर्मियों के प्रवेश पर रोक लगा रहे हैं.’
ये भी लिखा गया है कि सफ़र के लिए डॉक्टरों को गाज़ियाबाद, नोएडा और हरियाणा में पास के लिए अप्लाई करने में भी दिक्कत हो रही है. इसी के साथ मांग की गई है कि केंद्र सरकार को एक आदेश पास करना चाहिए जिसके जरिए स्वास्थ्यकर्मी अपना पहचान पत्र दिखा कर सफ़र कर सकें.
पत्र में केंद्र सरकार से अपील करते हुए लिखा है, ‘आपसे अनुरोध है कि राज्य सरकारों से कहें कि वो स्वास्थ्यकर्मियों का बहिष्कार बंद करें.’ अनुरोध करते हुए ये भी कहा गया है कि केंद्र सरकार एक आदेश पास करते हुए स्वास्थ्यकर्मियों के लिए सहज सफ़र और रहने की व्यवस्था सुनिश्चित करे’.
सफदरजंग के डॉक्टरों का बुरा हाल
हरियाणा द्वारा दिल्ली आने-जाने पर प्रतिबंध लगाए जाने के फ़ैसले से भी दिल्ली के स्वास्थ्यकर्मी बुरी तरह प्रभावित हुए थे. इसी प्रभाव से त्रस्त सफ़दरजंग अस्पताल के आरडीए ने 30 अप्रैल के एक ट्वीट में लिखा, ‘सफ़दरजंग के करीब 30 प्रतिशत डॉक्टर एनसीआर क्षेत्र से आते हैं.’
About 35% healthcare workers coming to Safdarjung Hospital reside in NCR region. Prohibiting them to do their duties by sealing off borders for them too poses greater challenges for frontline workers fighting the pandemic. Pls help @PMOIndia @MORTHIndia @MoHFW_INDIA @SJHDELHI
— RDA Safdarjung Hospital (@RDA_SJH) April 30, 2020
ट्वीट में आगे कहा गया कि बॉर्डर सील करके स्वास्थ्यकर्मियों को उनकी ड्यूटी करने से रोकना इस महामारी में पहली कतार में खड़े होकर लड़ रहे लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाएगा. ऐसे में डॉक्टरों की उम्मीद थी कि एनसीआर क्षेत्र में उनके लिए सहूलियतें बढ़ाई जाएंगी लेकिन यहां बिल्कुल उल्टा हो रहा है.
Go Back and #StayHome to Delhi Doctors at borders of Haryana and UP. Central Govt is not able negotiate with even BJP ruled states. @AmitShah @narendramodi @drharshvardhan pic.twitter.com/j9Me6svB9y
— Srinivas M.D (AIIMS) ? (@srinivasaiims) May 8, 2020
संभवत: इन्हीं सबसे त्रस्त होकर एम्स आरडीए के सेक्रेटरी डॉक्टर श्रीनिवास ने अपने ताज़ा ट्वीट में कहा, ‘दिल्ली के बॉर्डर से सटे हरियाणा और उत्तर प्रदेश के डॉक्टर वापस जाएं और घर पर रहें. केंद्र सरकार भाजपा शासित राज्यों को भी मनाने में सक्षम नहीं है.’
सफ़दरजंग आरडीए के प्रेसिडेंट डॉक्टर मनीष ने दिप्रिंट से कहा, ‘गुड़गांव से सफ़र करने वाले हमारे स्वास्थ्यकर्मियों के लिए ये गंभीर समस्या बनी हुई है. अभी तक इसका कोई हल नहीं निकला. इसकी वजह से स्टाफ़ की कमी हो रही है और हमें दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा है.’