नई दिल्ली: केंद्र ने एक बड़े कदम के तहत प्रस्ताव किया है कि अगर आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों को भ्रष्टाचार और आपराधिक मामलों में अदालतों द्वारा दोषी ठहराया जाता है तो उनके निलंबन आदेशों की समीक्षा नहीं करने की अनुमति देने के लिए नियमों में बदलाव किया जाएगा.
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने इस संबंध में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अधिकारियों के लिए अखिल भारतीय सेवाओं (अनुशासन और अपील) नियम, 1969 में संशोधन करने का निर्णय लिया है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मौजूदा नियमों में एक खंड शामिल करने का फैसला किया गया है. इसके तहत आपराधिक और भ्रष्टाचार के आरोपों में अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने पर अंतिम आदेश पारित होने तक कोई समीक्षा नहीं की जाएगी.
उन्होंने कहा कि कार्मिक मंत्रालय ने सेवा नियमों में एक बड़ा बदलाव करने का फैसला किया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भारतीय सेवाओं के सभी भ्रष्ट अधिकारियों को सरकार में वापस आने की अनुमति नहीं मिले.
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उन्होंने कहा कि ‘प्रस्ताव के अनुसार, ऐसे अधिकारियों के मामलों की समीक्षा समिति द्वारा समीक्षा नहीं की जाएगी यदि वे अदालतों द्वारा दोषी ठहराए गए हैं. इसका अर्थ है कि ऐसे बाबुओं को अनिश्चित काल तक निलंबित रखा जाएगा, जब तक कि किसी ऊपरी अदालत का दूसरा आदेश नहीं आ जाता.’
डीओपीटी ने गृह मंत्रालय के अलावा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखा है और नियमों में प्रस्तावित बदलावों पर टिप्पणी मांगी है.
डीओपीटी की एक विज्ञप्ति के अनुसार उन्हें 15 मई 2020 तक प्रस्तावित संशोधन पर अपनी टिप्पणी और विचार भेजने के लिए कहा गया है.