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Friday, 22 November, 2024
होमविदेशऐसे प्रमाण नहीं कि जिन्हें एक बार कोविड-19 हुआ उन्हें दोबारा नहीं होगा: डब्ल्यूएचओ

ऐसे प्रमाण नहीं कि जिन्हें एक बार कोविड-19 हुआ उन्हें दोबारा नहीं होगा: डब्ल्यूएचओ

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि इस बारे में और अधिक शोध की जरूरत है. महामारी के दौरान अभी ऐसी जानकारी के कारगर होने के बारे में पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं.

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बर्लिन: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ‘जोखिम मुक्त प्रमाणपत्र’ के विचार के खिलाफ है. वैश्विक स्वास्थ्य संस्था ने यह भी कहा है कि अभी ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि कोविड-19 से संक्रमण मुक्त हो चुके लोग, जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है वे सुरक्षित हैं और दूसरी बार उनके संक्रमित होने की संभावना नहीं है.

डब्ल्यूएचओ ने शनिवार को कहा कि इस बारे में और अधिक शोध की जरूरत है. वैश्विक स्वास्थ्य संस्था ने कहा कि महामारी के दौरान अभी इस प्रमाणपत्र के कारगर होने के बारे में पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं.

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि जो लोग ऐसा मान रहे हैं कि दोबारा संक्रमित होने के खिलाफ उनके शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत हो गई है, वे जन स्वास्थ्य परामर्श की अनदेखी कर सकते हैं और इस तरह के प्रमाणपत्र वायरस का संक्रमण जारी रहने का खतरा बढ़ा सकता है.

वैश्विक संस्था ने कहा कि एंटीबॉडी की जांच को और अधिक कारगर करने की जरूरत है, ताकि वह सटीक एवं विश्वसनीय हो.

मलेरिया के खिलाफ जंग 20 साल पीछे जा सकती है

पश्चिम अफ्रीका में इबोला बीमारी के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने जो मुश्किल सबक सीखा उनमें से एक यह था कि अन्य बीमारियों को भुलाया जा सकता है और लेकिन इससे मृतकों की संख्या कहीं ज्यादा हो सकती है.

डब्ल्यूएचओ अब उप-सहारा अफ्रीका में मलेरिया के खिलाफ जंग को लेकर चेतावनी दे रहा है जिससे हर साल लाखों लोगों की यहां जान जाती हैं. उसका कहना है कि हर देश अपनी ऊर्चा और संसाधन फिलहाल कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने में लगा रहे हैं ऐसे में मलेरिया के खिलाफ जंग में हम 20 साल पीछे हो सकते हैं.

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि नए अनुमान इंगित करते हैं कि सबसे बुरे परिदृश्य में उप-सहारा अफ्रीका में इस साल 7,96,000 लोगों की मौत हो सकती है क्योंकि इनसे निपटने के लिये अभियान बाधित हो गया है.

यह दो साल पहले की मौत की व्यापक गणना के दुगुने से भी ज्यादा है. तब 3.60 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. इस साल का आंकड़ा वर्ष 2000 के बाद से इस क्षेत्र का सबसे बुरा आंकड़ा हो सकता है.

अफ्रीका के लिये डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय निदेशक मातशीडिसो मोइती ने गुरुवार को कहा, ‘हमें वक्त को पीछे नहीं लेकर जाना चाहिए.’

विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस के खिलाफ जंग के चलते कई अन्य बीमारियों के खिलाफ वैश्विक लड़ाई प्रभावित होगी.

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि उप-सहारा अफ्रीका मलेरिया से सबसे ज्यादा प्रभावित है और 2018 में यहां इस बीमारी से होने वाले दुनिया के कुल मामलों में से 93 प्रतिशत सामने आए थे जबकि दुनिया भर में हुई कुल मौतों में 94 प्रतिशत इसी क्षेत्र से हुई थीं. अधिकतर मरने वाले पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे थे.

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