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Friday, 22 November, 2024
होमदेशएक सैंपल से 350 तक- कैसे इंदौर की 5 महीने पुरानी वायरोलॉजी लैब ने अपनी परीक्षण क्षमता बढ़ाई

एक सैंपल से 350 तक- कैसे इंदौर की 5 महीने पुरानी वायरोलॉजी लैब ने अपनी परीक्षण क्षमता बढ़ाई

महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में वायरोलॉजी लैब ने 16 अप्रैल तक 2,998 परीक्षण किए - जो कि मध्य प्रदेश की किसी भी लैब द्वारा सबसे अधिक हैं.

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इंदौर: इस वक़्त इंदौर के महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज (एमजीएमएमसी) के वायरोलॉजी लैब में वैज्ञानिकों और लैब तकनीशियनों को सीमित समय में जल्दी से काम करना है.

इंदौर की एकमात्र वायरोलॉजी एमजीएमएमसी प्रयोगशाला है. इस लैब को अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए मजबूर किया गया क्योंकि शहर में हॉटस्पॉट बढ़ने से कोविड-19 का संकट बढ़ गया. कॉलेज के आंकड़ों के अनुसार, नमूनों की संख्या 21 मार्च को केवल एक थी और यह 16 अप्रैल को सिर्फ एक से बढ़कर 354 हो गई. 16 अप्रैल तक प्रयोगशाला में कुल 2,998 परीक्षण किए गए हैं- जो कि राज्य की किसी भी प्रयोगशाला द्वारा सबसे अधिक हैं.

राज्य में कोविड-19 के लिए नौ सरकारी और एक निजी परीक्षण केंद्र हैं.

एमजीएमएमसी के डीन डॉ. ज्योति बिंदल ने दिप्रिंट को बताया, ‘यह बहुत कठिन था. डीन के रूप में मुझे व्यावहारिक रूप से अपने सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए लैब के भीतर रहना पड़ा. आपको कर्मचारियों को भी प्रेरित करना होता है, इसके अलावा उनके व्यक्तिगत मुद्दों का ध्यान रखना होगा. इस कार्य में गलती नहीं होनी चाहिए, आप एक गलत नमूना देने के लिए बर्दाश्त नहीं कर सकते.

अंडर-लैस और ओवरबर्डन

पिछले साल दिसंबर में एमजीएमएमसी लैब शुरू में स्वाइन फ्लू और जापानी इंसेफेलाइटिस, चिकनगुनिया, और रूबेला आदि सहित अन्य बीमारियों के परीक्षण के लिए स्थापित की गई थी. इन बीमारियों में से अधिकांश के लिए परीक्षण विधि एक वास्तविक समय के पॉलीमरेज़ या आरटी-पीसीआर प्रक्रिया के माध्यम से होती है. कोरोनावायरस में विशेष रूप से एक प्रमुख मैक्रोमोलीक्यूल होता है, जिसे राइबोन्यूक्लिक एसिड या आरएनए कहा जाता है. इस आरटी-पीसीआर विधि का उपयोग किसी वायरस का पता लगाने के लिए उसके डीएनए अनुक्रम को देखकर किया जाता है.

जब यह पहली बार पांच महीने पहले शुरू हुआ था, तो एमजीएमएमसी की लैब में केवल एक आरटी-पीसीआर मशीन थी. कोविड-19 संकट के बाद कॉलेज को चार और आरटी-पीसीआर मशीनों खरीदने के लिए मज़बूर होना पड़ा. दो सरकार से खरीदे गए थे और दो अन्य विश्वविद्यालयों से ली गई थी.

बिंदल ने कहा, ‘मैंने आईआईटी के निदेशक और देवी अहिल्या विश्व विद्यालय के कुलपति से भी देने के लिए कहा था. मुझे उनके वैज्ञानिकों के लिए भी अनुरोध करना पड़ा और वे सहमत हुए.

मेडिकल कॉलेज के तीन वैज्ञानिक, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) इंदौर के दो, छह से सात लैब टेक्नीशियन और कुछ स्नातकोत्तर छात्र अब एमजीएमएमसी में चौबीसों घंटे परीक्षण कर रहे हैं.

डॉ साधना सोडानी, जो कि लैब में लॉजिस्टिक्स और मैनेजमेंट की इंचार्ज हैं, ने कहा वे (वैज्ञानिक और तकनीशियन) दिन-रात काम कर रहे हैं. जब परिसर में सफाई की जाती है,  केवल सुबह 4-6 बजे से ही उन्हें फुर्सत मिलती है. कॉलेज स्तर पर 48 से अधिक नहीं कर सकते हैं और यहां हम 300 से अधिक पर काम कर रहे हैं.

आगे की योजना

जिला प्रशासन ने नमूना संग्रह में तेजी लाने के निर्णय के बाद नमूना भार में तेजी के कारण वायरोलॉजी लैब के बैकलॉग में लगातार वृद्धि हुई है.

मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य कार्यालय (सीएमएचओ) के कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार इंदौर और आस-पास के जिले उज्जैन में नमूनों की संख्या 27 दिनों के भीतर 11 से बढ़कर 536 हो गई.

14 अप्रैल तक इंदौर और उज्जैन से सभी नमूने एमजीएमएमसी की लैब में भेजे जा रहे थे. इस बीच लैब की परीक्षण क्षमता 7 अप्रैल के बाद से एक दिन में औसतन लगभग 219 परीक्षणों की थी, जब अधिक आरटी-पीसीआर मशीनों का अधिग्रहण किया गया था.

जैसे ही राज्य भर में बैकलॉग बढ़ा मध्य प्रदेश सरकार ने परीक्षण के लिए 1,142 नमूने दिल्ली भेजने का निर्णय लिया. मंगलवार को 465 नमूनों की रिपोर्ट जारी की गई, जिनमें से 121 पॉज़िटिव थे.

दिल्ली से 642 से अधिक नमूने गुरुवार देर रात जारी किए गए, जिनमें से 222  पॉज़िटिव थे. सीएमएचओ कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, इंदौर में कोरोनोवायरस के कुल मामलों की संख्या अब 842 है.

इंदौर सीएमएचओ प्रवीण जदिया के अनुसार प्रशासन की परीक्षण क्षमता को बढ़ाने के लिए योजनाएं चल रही थीं. दो निजी प्रयोगशालाओं ने आईसीएमआर (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद) से मान्यता के लिए आवेदन किया है. मेडिकल कॉलेज की क्षमता भी बढ़ाई जा रही है. हम अपनी क्षमता को दोगुना करने के लिए अधिक आरटी-पीसीआर मशीनों का अधिग्रहण करने की कोशिश कर रहे हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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