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Friday, 22 November, 2024
होमदेशकोविड-19 से डर को निराधार बताकर दिल्ली हाई कोर्ट ने क्रिश्चियन मिशेल की अंतरिम जमानत की खारिज

कोविड-19 से डर को निराधार बताकर दिल्ली हाई कोर्ट ने क्रिश्चियन मिशेल की अंतरिम जमानत की खारिज

अदालत ने कहा कि मिशेल एक 'फ्लाइट रिस्क' था, क्योंकि वह अपनी संभावित गिरफ्तारी के बारे में जानने के बाद इटली से भाग गया था और एक जांच के बाद दुबई से प्रत्यर्पित किया गया था.

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नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में आरोपी क्रिश्चियन मिशेल की अंतरिम जमानत की दरख्वास्त को खारिज कर दिया. अदालत ने यह फैसला करते हुए कोविड-19 को लेकर अपने सेल में उनके डर को ‘निराधार’ बताया था.

न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने कहा कि मिशेल केवल दो अन्य कैदियों के साथ एक अलग सेल में बंद हैं और उन्होंने कहा, ‘यह याचिकाकर्ता का मामला नहीं है कि उसके साथ रहने वाले दो कैदियों में से कोई भी कोविड-19 महामारी से पीड़ित है. इसलिए, कमजोर उम्र और जेल में भीड़भाड़ के कारण याचिकाकर्ता की आशंका यह भी है कि वह कोविड-19 से संपर्क में आ सकता है जो उसके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है, ये निराधार है.’

अदालत ने आगे कहा कि मिशेल एक ‘फ्लाइट रिस्क’ था, क्योंकि वह अपनी संभावित गिरफ्तारी के बारे में जानने के बाद इटली से भाग गया था और एक जांच के बाद दुबई से प्रत्यर्पित किया गया था.

मिशेल 3,600 करोड़ रुपये के अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाले में लिप्त तीन कथित बिचौलियों में से एक है. उसे दुबई में गिरफ्तार किया गया था और दिसंबर 2018 में भारत प्रत्यर्पित कर लाया गया था. प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर आरोप पत्र में कहा गया है कि उस पर 30 मिलियन यूरो (लगभग 225 करोड़ रुपये) की राशि प्राप्त करने का आरोप है.

2013 में इस सौदे को लेकर विवाद शुरू हो गया, जब भारत के साथ समझौते को बिचौलियों को रिश्वत देने के आरोप में अगस्ता वेस्टलैंड की मूल कंपनी फिनमेकैनिका के अध्यक्ष गिउसेप्पे ओर्सी और अगस्ता वेस्टलैंड के सीईओ ब्रूनो स्पैगनोलिनी को गिरफ्तार किया गया था. कथित तौर पर बिचौलिए गुइडो राल्फ हेशके, उनके साथी कार्लोस गेरोसा और मिशेल थे.

तीनों कथित बिचौलियों की जांच ईडी और केंद्रीय जांच ब्यूरो कर रहे हैं.

तिहाड़ जेल के सभी कैदी की स्क्रीनिंग हो रही है

मिशेल ने 23 मार्च को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित एक आदेश पर भरोसा किया था, जब तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वे कैदियों की श्रेणी निर्धारित करने के लिए उच्च-स्तरीय समितियों का गठन करें, जिन्हें चार और छह सप्ताह के लिए पैरोल पर रिहा किया जा सके.

लेकिन उच्च न्यायालय ने कहा कि उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने विशेष रूप से विदेशी नागरिकों के मामलों, एक से अधिक मामलों में शामिल कैदियों और धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत मामलों को बाहर कर दिया था.


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मिशेल का मामला इन बहिष्करणों के तहत आता है और इसलिए, वह सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार रिहा नहीं हो सकता था.

जैसा कि उनकी दलील का दावा है कि उनकी उम्र और ‘पहले से मौजूद’ बीमारियां उन्हें कोविड-19 के लिए ‘अधिक संवेदनशील’ बनाती हैं, उच्च न्यायालय को यह सुनिश्चित करने के लिए उपायों की जानकारी दी गई थी कि ऐसा नहीं होता है.

यह बताया गया कि तिहाड़ जेल के प्रत्येक कैदी को यह देखने के लिए जांचा जाता है कि क्या उनके कोई कोविड-19 लक्षण थे और यह कि अब तक कोई सकारात्मक मामला नहीं पाया गया है.

अदालत को यह भी सूचित किया गया था कि अब गिरफ्तार किए जा रहे प्रत्येक कैदी की पहले जांच हो रही है और उसके बाद संक्रमण के खतरे को कम करने के लिए उसे अलग रखा जा रहा है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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