नई दिल्ली: भाजपा की तरफ से आगामी राज्यसभा चुनावों के लिए घोषित किए गए तीन प्रत्याशियों के नाम पार्टी के भीतर ही कई लोगों के लिए आश्चर्यचकित कर वाले थे – एक ने 2002 के गुलबर्ग सोसाइटी हत्याकांड के आरोपियों के लिए बचाव पक्ष के वकील के रूप में काम किया, दूसरे के बारे में किसी को याद नहीं पड़ता और तीसरी उम्मीदवार पीएम नरेंद्र मोदी की मित्र हैं जो 2017 का हिमाचल प्रदेश का विधानसभा चुनाव हार चुकी हैं.
अभय भारद्वाज, सुमेर सिंह सोलंकी और इंदु गोस्वामी सभी छोटी प्रोफाइल के नेता हैं जो 26 मार्च को राज्यसभा चुनाव लड़ने के लिए क्रमश: गुजरात, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश से हैं.
भारद्वाज एक राजकोट के वकील हैं, जिन्होंने गुलबर्ग सोसाइटी हत्याकांड के आरोपियों का बचाव किया, जो 2002 के गुजरात दंगों के दौरान हुआ था और इसमें कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी सहित पड़ोस के लगभग 70 मुस्लिम मारे गए थे. मुकदमे की सुनवाई 2016 में विशेष अदालत में हुई जिसमें 24 आरोपियों को दोषी ठहराया गया और 36 को बरी कर दिया गया.
भाजपा सूत्रों के मुताबिक, राज्यसभा के लिए उनका नामांकन कई वरिष्ठ नेताओं के उच्च सदन में जाने की उम्मीदों की कीमत पर किया गया है.
सूत्रों के मुताबिक, भारद्वाज अपने स्कूल के दिनों में आरएसएस के छात्र संगठन, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े थे, लेकिन 1990 के चुनाव में उन्हें विधानसभा का टिकट नहीं मिलने पर उनका भाजपा से मोहभंग हो गया.
वह 1995 में राजकोट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े और बीजेपी (तत्काल में कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला) और कांग्रेस कैंडिडेट के साथ तीसरे नंबर पर रहे. सूत्रों का कहना है कि वह बाद में भाजपा में शामिल हो गए लेकिन ‘दरकिनार’ रहे.
2016 में, मोदी सरकार ने उन्हें विधि आयोग में पार्टटाइम सदस्य के रूप में नियुक्त किया.
सरकार ने उन्हें केंद्र सरकार के औद्योगिक न्यायाधिकरण के लिए एक पीठासीन अधिकारी का चयन करने के लिए समिति में नियुक्त किया.
उन्होंने राजकोट जिला कलेक्टर के रूप में पूर्व आईएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा के खिलाफ सत्ता के कथित दुरुपयोग के एक मामले में गुजरात सरकार के लिए विशेष सरकारी वकील के रूप में भी काम किया.
भाजपा के एक नेता ने कहा, ‘भारद्वाज का चयन बहुत ही चौंकाने वाला है. वह राज्यसभा सीट के लिए इतने बड़े नेता नहीं हैं, लेकिन गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी के कारण उन्हें चुना गया.’
‘विजय रूपाणी और अभय भारद्वाज अपने एबीवीपी के दिनों से दोस्त हैं … अभय के छोटे भाई नितिन भारद्वाज को सौराष्ट्र क्षेत्र में मुख्यमंत्री का आदमी माना जाता है … 2016 में रूपानी को मुख्यमंत्री नियुक्त किए जाने के समय उनकी किस्मत बदल गई थी.’
गुजरात की 11 सीटों में से चार पर 26 मार्च को मतदान होगा, जिसका कार्यकाल 9 अप्रैल को समाप्त होने वाला है.
अजनबी
सुमेर सिंह सोलंकी मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में सहायक प्रोफेसर हैं. उन्हें और हाल में भाजपा में शामिल होने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को नामित करके, पार्टी ने वरिष्ठ नेताओं सत्यनारायण जटिया, एक वरिष्ठ सांसद, और प्रभात झा, को दूसरी बार राज्यसभा सदस्य के लिए एक और कार्यकाल को नकार दिया है.
सोलंकी के बारे में कहा जाता है कि वे न तो कोई आकांक्षी थे और न ही उन्होंने टिकट की मांग की थी. उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि जब वह कॉलेज की क्लास में थे तब उन्हें उनके नामांकन के बारे में पता चला. उन्होंने कहा, ‘मुझे पार्टी कार्यालय में नामांकन दाखिल करने के लिए कहा गया.’
सोलंकी का नामांकन मध्य प्रदेश में भाजपा नेताओं के लिए एक आश्चर्य की बात थी, जब पार्टी की भोपाल इकाई के संपर्क किया गया तो बताया, ‘हमें भाजपा में ऐसे किसी भी व्यक्ति के बारे में जानकारी नहीं है … हमें देखना होगा कि क्या वह आरएसएस या संबद्ध संगठन के साथ जुड़े हुए हैं.’
सूत्रों के अनुसार, सोलंकी का चयन ‘आरएसएस कोटा’ का सम्मान करने के लिए किया गया है. वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे और स्वच्छ भारत मिशन के तहत 600 गांवों में एक सफाई कर्मचारी के रूप में सेवा की है.
राज्य की 11 राज्यसभा सीटों में से तीन का इस महीने के अंत में चुनाव होना है.
पीएम के ‘दोस्त’
भाजपा के हिमाचल प्रदेश महिला मोर्चा (महिला विंग) की पूर्व प्रमुख, इंदु गोस्वामी जो कि पालमपुर निर्वाचन क्षेत्र से 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ीं और हार गईं.
सूत्रों के अनुसार, उन्हें महेंद्र नाथ पांडे, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के सहपाठी और पार्टी कार्यालय प्रभारी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती और पूर्व सांसद वीरेंद्र कश्यप जैसे वरिष्ठ नेताओं की वजह से नामित किया गया है.
एक सूत्र ने कहा कि गोस्वामी के लिए टिकट की मांग सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से हुई. सूत्र ने कहा, ‘वह राज्य में प्रहरी के रूप में पीएम नरेंद्र मोदी की मित्र थीं.’
हिमाचल प्रदेश में तीन राज्यसभा सीटें हैं, लेकिन 26 मार्च को केवल एक पर चुनाव होना है.
‘चुनने का अलग रवैया’
भाजपा के एक नेता ने पीएम मोदी और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह की चयन प्रक्रिया को ‘पहले से बहुत अलग’ बताया.
‘आम तौर पर, वे राज्यसभा के सदस्यों को तब तक दूसरा कार्यकाल नहीं देते जब तक कि वे पार्टी के लिए अत्यधिक उपयोगी न हों … दोनों भविष्य के नेताओं के रूप में नहीं बल्कि उन्हें उनके पिछले योगदान के लिए उपकृत करते हैं, राज्य के चुनावों के लिए जाति के कारक के रूप में.’
कुल मिलाकर, इस महीने 55 राज्यसभा सीटों पर चुनाव होगा. इनमें से भाजपा ने 14 के लिए प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है: असम के लिए भुवनेश्वर कालिता, बिहार के लिए विवेक ठाकुर, गुजरात के लिए अभय भारद्वाज और रामिलाबेन बारा, झारखंड के लिए दीपक प्रकाश, मणिपुर के लिए टिट्युलर राजा लाम्बा, मध्य प्रदेश के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुमेर सिंह सोलंकी. भागवत कराड और उदयनराजे भोसले (महाराष्ट्र के लिए छत्रपति शिवाजी के वंशज), राजस्थान के लिए राजेंद्र गहलोत, हरियाणा के लिए रामचंदर जांगड़ा और दुष्यंत कुमार गौतम.
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