नई दिल्ली: यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर ने शुक्रवार को कहा कि वो भारत में ही हैं लेकिन भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अचानक बैंक के बोर्ड को बदलने के फैसले पर उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार किया.
आरबीआई द्वारा बैंक पर प्रतिबंध लगाए जाने और खाता धारकों को 50 हज़ार रुपए तक ही निकासी करने के फैसले के एक दिन बाद दिप्रिंट ने कपूर से जब संपर्क किया तो उन्होंने कहा, ‘मैं क्या कह सकता हूं’.
जब उनसे पूछा गया कि बैंक के संस्थापक होने के बावजूद वो कैसे कुछ नहीं कह सकते. इस पर उन्होंने कहा, ‘मैं बैंक का संस्थापक था. लेकिन पिछले 14 महीने से मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा कि आपको चेयरमैन ब्रह्म दत्त और सीईओ रवनीत गिल से बात करनी चाहिए. पिछले एक साल में बैंक में जो कुछ भी हुआ है उसके लिए ये दोनों ही ज़िम्मेदार हैं.’
कपूर ने इस बात को नकारा कि उन्होंने भारत छोड़ दिया है और वो चार महीने पहले लंदन जा चुके हैं.
कपूर ने कहा, ‘मैं अपनी बेटी के बच्चे को देखने दो हफ्तों के लिए गया था. मैं अब वापस मुंबई आ चुका हूं और मेरे वर्ली वाले घर पर आपका स्वागत है.’ उन्होंने बताया कि फोन पर बात करते हुए वो मरीन ड्राइव पर कार में हैं.’
बैंक ने अपने स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा है कि कपूर ने दिसंबर के अंत तक पूरी तरह यस बैंक के शेयरहोल्डिंग को छोड़ दिया और अब उनकी कंपनी में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर बैंक में कोई शेयर नहीं है.
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यस बैंक के कुछ अधिकारी और सरकारी एजेंसियों के सूत्र इस बात को लेकर आशंकित हैं कि कपूर ने कुछ महीने पहले देश छोड़ दिया था.
बिना सूचना के बाहर का रास्ता
कपूर को 31 जनवरी 2019 को बैंक के सीईओ का पद छोड़ना पड़ा था जब आरबीआई ने 2018 में यस बैंक द्वारा उनके कार्यकाल को तीन साल (अगस्त 2021) तक के लिए बढ़ाने की सिफारिश खारिज़ कर दी थी.
आरबीआई ने गंभीर रेगुलेटरी लेप्स और कोर्पोरेट गवर्नेंस पर सवाल खड़े किए थे और कपूर के कार्यकाल को बढ़ाने पर असंतोष जताया था.
आरबीआई द्वारा बैंक पर 30 दिनों तक रोक लगाई गई है और कहा है कि इस दौरान उपाए तलाशे जाएं.
आरबीआई ने अपने उठाए कदम को सही ठहराते हुए कहा, ‘यस बैंक लिमिटेड (बैंक) की वित्तीय स्थिति में बड़े पैमाने पर बैंक की असमर्थता के कारण संभावित रूप से गिरावट आई है, जिससे संभावित ऋण घाटे और परिणामी गिरावट को संबोधित करने के लिए पूंजी जुटाई जा सकती है, जिससे निवेशकों द्वारा बांड के आह्वान को ट्रिगर किया जा सकता है. बैंक ने हाल के वर्षों में गंभीर शासकीय मुद्दों का अनुभव किया है जिसके कारण बैंक को लगातार गिरावट का सामना करना पड़ रहा है.’
यस बैंक की गिरावट
यस बैंक की स्थापना 2003 में हुई थी और 2005 में इसे स्टॉक एक्सचेंज में सूचित किया गया.
राणा कपूर और उनके साले अशोक कपूर ने मिलकर यस बैंक की शुरुआत की. अशोक कपूर बैंक के चेयरमैन बने और राणा कपूर ने मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ का पद संभाला. जबकि राणा कपूर की बैंक में 26 फीसदी हिस्सेदारी थी और अशोक कपूर की हिस्सेदारी 11 प्रतिशत थी.
हांलाकि मुंबई के 26/11 आतंकवादी हमले में अशोक कपूर की हत्या हो गई थी. जिसके बाद अशोक कपूर की पत्नी और राणा कपूर के बीच बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को लेकर लंबी कानूनी उठापटक चली.
बैंक ने अपनी ऋण पुस्तिकाओं और ग्राहक आधार का तेज़ी से विस्तार किया और कॉर्पोरेट और एमएसएमई ऋण देने पर ध्यान केंद्रित किया. कई ने लोन बुक के तेजी से विस्तार के लिए, विशेष रूप से बड़े और कभी-कभी परेशान कॉर्पोरेट ग्राहकों द्वारा कपूर द्वारा अपनाए गए आक्रामक दृष्टिकोण को जिम्मेदार ठहराया. यस बैंक, राणा कपूर के शासनकाल के दौरान, कभी-कभी बैंकिंग हलकों में परेशान कंपनियों के लिए अंतिम उपाय के तौर पर सामने आया.
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अगस्त 2018 में बैंक का मार्केट कैप कई गुना बढ़कर एक लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया.
राणा कपूर ने शेयरों के तेज़ी से बढ़ने के ठीक एक महीने बाद, शेयरों की हीरों के शेयरों से तुलना की थी और कहा था कि वह इन शेयरों को कभी नहीं बेचेंगे और इन्हें अपनी तीनों बेटियों को दे देंगे.
Diamonds are Forever: My Promoter shares of @YESBANK are invaluable to me
— Rana Kapoor (@RanaKapoor_) September 28, 2018
I will eventually bequeath my @YESBANK Promoter shares to my 3 daughters and subsequently to their children, with a request in my Will stating not to sell a single share, as Diamonds are Forever!!
— Rana Kapoor (@RanaKapoor_) September 28, 2018
हालांकि उसके बाद मार्केट कैप बुरी तरह से प्रभावित हुआ और बैंक पूंजी जुटाने में संघर्ष करता रहा.
बैंक का फायदा बुरी तरह प्रभावित हुआ और लगातार कर्ज़ में तेज़ वृद्धि हुई. सितंबर 2019 तक की तिमाही में यह देखा गया कि बैंक को 600 करोड़ का नुकसान हुआ है. अभी बैंक को दिसंबर की तिमाही के आंकड़े घोषित करने बाकी हैं.
बैंक का एनपीए और कुल कर्ज़ लोन बुक के प्रतिशत के अनुसार बढ़कर सिंतबर की तिमाही में 7.4 प्रतिशत हो गई जो उससे पिछली तिमाही में 5 प्रतिशत थी और इसी वर्ष-पूर्व की अवधि में 1.6 प्रतिशत थी.
पिछला पूरा साल बैंक अपने नए सीईओ रवनीत गिल के नेतृत्व में पूंजी जुटाने की कोशिशों में लगा रहा और आखिरकार असफल ही रहा.
नए सीईओ की फंड जुटाने को अंतिम रूप देने से पहले ही संभावित निवेशकों के बारे में समय से पहले घोषणा करने के लिए आलोचना की गई.
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