नई दिल्ली: अयोध्या में नए राम मंदिर का मजबूत आधार पर निर्माण करने के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र इसमें तकनीक देखरेख के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) से मदद की प्रक्रिया तैयार करेगा.
ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने दिप्रिंट को बताया कि आईआईटी इंजीनियर निर्माण शुरू होने से पहले मिट्टी की संरचना, व्यवहार्यता, भार, क्षमता आदि जैसे विवरणों की जांच करेंगे.
उन्होंने कहा, आईआईटी के अलावा कोई और इस काम को नहीं कर सकता. इसके लिए विशेषज्ञता की आवश्यकता आईआईटी के इंजीनियर करेंगे. मंदिर की जगह, खनिज, भार वहन क्षमता क्या है इन सभी चीजों को निर्माण कार्य शुरू करने से पहले ठीक से किया जाना चाहिए. हम आईआईटी-कानपुर आईआईटी-दिल्ली या रुड़की के संपर्क में रहेंगे.
राय ने कहा कि पूरे 67 एकड़ भूमि का मिट्टी परीक्षण आवश्यक होगा. उन्होंने कहा, मृदा-परीक्षण पहले हुआ है, लेकिन इस क्षेत्र का नहीं. तकनीकी प्रक्रिया में कुछ समय लगेगा. यह भी एक आईआईटी द्वारा किया जाएगा.
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जल्द ही रामलला की मूर्ति का स्थानांतरण
जब तक मंदिर का निर्माण पूरी तरह से नहीं हो जाता, तब तक अयोध्या में पवित्र मानी जाने वाली राम लला की मूर्ति को उसके वर्तमान स्थान से हटा दिया जाएगा.
हालांकि, इसके अगले अस्थायी गंतव्य पर निर्णय होना बाकी है. राय ने कहा कि आवंटित 67 एकड़ के भीतर मूर्ति को स्थानांतरित कर दिया जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘वर्तमान में वहां मौजूद सभी पुलिस बैरिकेड्स का सर्वेक्षण किया गया है. लेकिन (राज्य) प्रशासन के परामर्श से मूर्ति को जल्द ही स्थानांतरित कर दिया जाएगा.
सूत्रों के अनुसार अप्रैल में राम नवमी से पहले ट्रस्ट की अगली बैठक में इस मुद्दे को उठाये जाने की संभावना है.
ट्रस्ट के राम मंदिर परिसर विकास समिति के प्रमुख नृपेंद्र मिश्रा ने राय और सिविल इंजीनियरिंग विशेषज्ञों के साथ पिछले शनिवार को साइट का दौरा किया. ट्रस्ट सुप्रीम कोर्ट द्वारा आवंटित भूमि पर जनता की सुविधा के लिए सुविधाएं स्थापित करने पर भी विचार कर रहा है.
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