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Thursday, 21 November, 2024
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दिल्ली हिंसा के मामले तीन दिन और तीन रात सोई रही केंद्र सरकार: गुलाम नबी आजाद

दिल्ली हिंसा के मामले में संसद में विपक्ष का हंगामा, दोनों सदन दो बजे तक स्थगि​त

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नई दिल्ली:  पिछले हफ्ते दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के मद्देनजर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल, सोमवार यानी आज से शुरू हो रहे बजट सत्र के दूसरे चरण में गृहमंत्री अमित शाह को घेरने की पूरी तैयारी में है वहीं संसद में स्थगन प्रस्ताव पेश करेंगे. यही नहीं विपक्षी दल संसद में पूरे जोरशोर से सांप्रदायिक हिंसा का मामला उठा कर इस मामले में कथित तौर पर दिल्ली पुलिस की नाकामी को जिम्मेदार ठहराते हुए गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग करेंगे. तृणमूल कांग्रेस , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, द्रविड़ मुनेत्र कजगम ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया.

जैसे ही राज्य सभा और लोकसभा में कार्यवाही शुरु हुई वैसे ही विपक्षी सदस्यों ने दिल्ली के मामले को लेकर चर्चा की मांग शुरु कर दी. इसके बाद दोनों सदनों की कार्यवाही दो बजे तक स्थगित कर दी गई.

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा, अगर केंद्र सरकार की स्थित सामान्य करने में रुचि होती तो वह तीन दिन और रात सोई हुई नहीं रहती. आजाद के बयान के बाद नेता सदन थावरचंद गहलोत ने कहा कि कांग्रेस नेता का यह बयान निंदनीय है.

कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि पार्टी, संसद के दोनों सदनों में सोमवार को कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस देकर दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा के मुद्दे पर बहस कराने की मांग करने की बात कही थी. इस बीच लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी कहा कि पार्टी दिल्ली के दंगों का मुद्दा संसद में जोरशोर से जैसे ही उठाया लोकसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही 2 बजे तक स्थगित कर दी.

तृणमूल कांग्रेस और वामदलों सहित अन्य विपक्षी दलों ने भी राज्यसभा और लोकसभा में यह मुद्दा उठाने की तैयारी कर ली है. माकपा के राज्यसभा सदस्य के के रागेश और टी के रंगराजन ने उच्च सदन की कार्यवाही स्थगित कर दिल्ली में दंगों के मामले पर दिन भर चर्चा कराने की मांग करते हुये सभापति एम वेंकैया नायडू को नियम 267 के तहत नोटिस दिया है.

राज्यसभा में चर्चा कराने की मांग

वहीं संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में विपक्षी दलों ने राज्यसभा में जोरशोर से उठाने की तैयारी कर ली है. माकपा और आप के सदस्यों ने राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू से उच्च सदन की कार्यवाही स्थगित कर दिल्ली के दंगों के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की है. इस मुद्दे पर माकपा के के.के रागेश, टीके रंगराजन और आम आदमी पार्टी (आप) के संजय सिंह ने नियम 267 के तहत कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है.

बजट सत्र का पहला चरण 31 जनवरी से 11 फ़रवरी तक चलने के बाद दूसरा चरण दो मार्च से तीन अप्रैल तक चलेगा.

रागेश द्वारा राज्यसभा सचिवालय को भेजे नोटिस में सोमवार को सदन की कार्यवाही स्थगित कर दिल्ली दंगों के मुद्दे पर सभापति से चर्चा कराने की मांग की गई है. उन्होंने कहा कि दिल्ली दंगों में 46 निर्दोष लोगों की जान चली गई और लगभग 200 लोग घायल हुए. इसे जनहित से जुड़ा गम्भीर विषय बताते हुए तीनों सदस्यों ने इस पर चर्चा कराने की मांग की है.

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और राजद सहित अन्य दलों के सदस्यों ने भी रविवार को कहा था कि वे इस मुद्दे को संसद में जोरशोर से उठाएंगे. इसके मद्देनज़र संसद के दोनों सदनों की बैठक हंगामेदार रहने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है.

रागेश ने बताया कि भाकपा और माकपा के सदस्य दोनों सदनों में यह मुद्दा उठायेंगे. उन्होंने बताया कि विपक्षी दल एकजुट होकर इस मामले में गृह मंत्री से सदन में जवाब देने और उनके इस्तीफे की मांग को पुरजोर तरीके से उठायेंगे.

भाकपा के महासचिव डी राजा ने बताया कि उनके दल के सदस्य दोनों सदनों में गृह मंत्री के जवाब की मांग उठायेंगे. इसमें गृहमंत्री से दिल्ली के सांप्रदायिक दंगों के दौरान पुलिस की निष्क्रिय भूमिका के बारे में जवाब देने की मांग की जायेगी.

चौधरी ने बताया, ‘सरकार कानून व्यवस्था की स्थिति को बरकरार रखने में पूरी तरह से नाकाम रही है. दंगा फैलाने वालों और पुलिस अधिकारियों के एक वर्ग की मिलीभगत हो सकती है जिसकी वजह से हुयी भीषण हिंसा ने पूरी दुनिया में हमारी (भारत की) छवि को दागदार बना दिया है. हम सभी के लिए यह गंभीर चिंता का विषय है.’

उन्होंने कहा, ‘हम गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग सदन में उठाते रहेंगे.’ इस बीच राज्यसभा सदस्य और पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी कहा कि कांग्रेस देश में लोकतांत्रिक मूल्यों को नष्ट करने का मुद्दा संसद में उठाने की पुरजोर कोशिश करेगी.

सिंघवी ने कहा, ‘संसद के भीतर और बाहर विरोध का तरीका, साझा रणनीति का हिस्सा होगा और यह ऐसा विषय नहीं है जिसे सार्वजनिक किया जाए. देश इस बात के लिए आश्वस्त है कि हम गैरकानूनी तरीके से किए जा रहे चरम शोषण के बावजूद पूरी ताकत से बिना किसी भय के अपनी जिम्मेदारी को निभायेंगे.’

तृणमूल कांग्रेस के भी एक नेता ने कहा कि उनके दल के सांसद दोनों सदनों में विपक्षी दलों के साथ एकजुट होकर यह मुद्दा उठायेंगे. उल्लेखनीय है कि कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने दिल्ली में दंगों के दौरान पुलिस पर पूर्वाग्रह पूर्ण रवैया अपनाते हुए कोई कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया है.

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई वाले प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को केन्द्र सरकार को राजधर्म की याद दिलाते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से गृह मंत्री अमित शाह का इस्तीफा लेने की मांग की थी. कांग्रेस का आरोप है कि शाह ने इस मामले में अपने दायित्व का उचित निर्वाह नहीं किया है.

संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में उत्तर पूर्वी दिल्ली के कुछ इलाकों में पिछले दिनों भड़की सांप्रदायिक हिंसा में अब तक 46 लोगों की मौत हो चुकी है और 200 से अधिक लोग घायल हुये हैं.

वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (संशोधन) विधेयक 2020 को आज लोकसभा में पेश करेंगे.

(भाषा के इनपुट्स के साथ)

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