रायपुर: छत्तीसगढ़ में साल 2003 से 2018 के बीच भाजपा सरकार द्वारा बनवाये गए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के अंतर्गत 72 लाख राशन कॉर्ड में हर चौथा कार्ड फर्जी पाया गया है. इस बात की जानकारी स्वयं राज्य के मुख्यमंत्री ने एक समाचार पत्र द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने के दौरान शनिवार को दी.
दिप्रिंट द्वारा खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया गया तो पता चला की इस फर्जीवाड़े का खुलासा पंद्रह साल बाद सत्ता में वापसी करने वाली कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत जारी किये गए राशन कार्डों की जांच और सत्यापन के लिए 2019 में चलाये गए एक विशेष अभियान के बाद हुआ. विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार सरकार द्वारा यह राशन कार्ड हितग्राहियों के सत्यापन की कार्यवाही फर्जी कार्ड बनाये जाने की लगातार मिल रही शिकायतों के बाद शुरू की गयी.
अधिकारियों ने बताया कि पूर्व भाजपा सरकार द्वारा जारी किये गए करीब 25 प्रतिशत यानी 16 लाख फर्जी राशन कार्डों को निरस्त कर दिया गया है. ये फर्जी राशन कार्ड ऐसे हितग्राहियों के नाम जारी किये गए थे जिनकी जांच करने गयी टीम को कागजातों में दर्शाये गए पतों पर कोई ठिकाना नही मिला. वहीं दूसरी ओर कई डुप्लीकेट कार्ड बनवाये गए थे. इनके अलावा कई राशन कार्ड ऐसे पाए गए जो एक ही घर में रहने वाले सदस्यों को अलग परिवार बताकर बनाये गए थे.
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अधिकारियों ने बताया की आश्चर्यजनक रूप से इतनी बड़ी तादात में बनाये गए फर्जी राशन कार्डों के खिलाफ सत्यापन की कार्यवाही सरकार द्वारा अगस्त 2019 से नवंबर 2019 के बीच की गई. दिप्रिंट से जानकारी साझा करते हुए विभाग के वरिष्ठ अधकारियों ने बताया कि भाजपा की रमन सिंह सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत 15 सालों में करीब 72 लाख राशनकार्ड, अंत्योदय एवं एपीएल दोनों मिलाकर, जारी हुए लेकिन सत्यापन के दौरान इनमें करीब 16 लाख कार्ड फर्जी पाए गए. इस फर्जीवाड़े का खुलासा सरकार द्वारा सत्यापन की कार्यवाही के दौरान आधार कार्ड का होना अनिवार्य कर दिए जाने से हुआ है. जांच में कई ऐसे कार्डधारक पाए गए जिनके पास या तो आधारकार्ड ही नही मिला या फिर कार्ड बनवाने के लिए उनके द्वारा दिए कागजात फर्जी निकले.
दिप्रिंट द्वारा संपर्क करने पर विभाग के सचिव कमलप्रीत सिंह ने बताया, ‘यह सच है कि सत्यापन की कार्यवाही के समय करीब 16 लाख फर्जी राशनकार्ड पाए गए थे जिन्हें बाद में निरस्त कर दिया गया. 72 लाख राशनकार्ड जारी होने का आंकड़ा 2013-2014 में ही स्थापित हो गया था लेकिन इसका खुलासा सरकार द्वारा चलाये गए विशेष सत्यापन अभियान के दौरान ही हुआ और फिर आगे की कार्यवाही की गयी. जनगणना के आंकड़ों को देखते हुए भी इन कार्डों की संख्या काफी बड़ी थी.’