वाराणसी : सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट अपने निर्णयों द्वारा एससी-एसटी/ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग के आरक्षण को व पदोन्नति में आरक्षण को खत्म कर रही हैं. दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय के माध्यम से कहा कि आरक्षित वर्ग का उम्मीदवार आरक्षित वर्ग में ही चयनित होगा, चाहे वह परीक्षा में टॉप ही क्यों न करे. उक्त 85 प्रतिशत के लोगों को आरक्षण का लाभ न मिले, इसके लिए उन्होंने क्रीमी लेयर लागू कर दिया व सरकारी संस्थानों का निजीकरण कर रहे हैं.
ऐसे कई विषयों के साथ वाराणसी में वकीलों ने एक कार्यक्रम आयोजित किया. इस दौरान वकील प्रेम प्रकाश सिंह यादव ने कहा, ‘सवर्ण आरक्षण संविधान की मूल भावना के खिलाफ है. ब्राह्मणवादी व्यवस्था की सरकार व न्यायपालिका भेदभाव जाति के आधार पर करती है और अपने लोगों को आरक्षण गरीबी के आधार दे दिया है. संविधान के मूल अधिकार में यह साफ प्रावधान है कि आरक्षण प्रतिनिधित्व का मामला है और यह सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों को प्रतिनिधित्व देने के लिए लाया गया, यह कोई योजना नहीं है.’
बुधवार को वाराणसी के कचहरी स्थित आंबेडकर पार्क में अनुसूचित जाति-जनजाति/पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समुदाय के मौलिक अधिकारों पर हमला व अधिवक्ताओं की भूमिका विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया. इस मौके पर कार्यक्रम के संयोजक और मुख्य वक्ता एडवोकेट प्रेम प्रकाश सिंह यादव ने कहा, ‘एक तरफ सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट्स अपने निर्णयों द्वारा एससी-एसटी/ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग के आरक्षण को व पदोन्नति में आरक्षण को खत्म कर रही हैं. दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय के माध्यम से कहा कि आरक्षित वर्ग का उम्मीदवार आरक्षित वर्ग में ही चयनित होगा, चाहे वह परीक्षा में टॉप ही क्यों न करे. उक्त 85 प्रतिशत के लोगों को आरक्षण का लाभ न मिले इसके लिए उन्होंने क्रीमी लेयर लागू कर दिया व सरकारी संस्थानों का निजीकरण कर रहे हैं. दूसरी तरफ सवर्ण आरक्षण उन्होंने संसद में चाय पार्टी पर पास कर दिया और उसका अनुपालन भी हो गया.’
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विश्राम यादव ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट्स में कॉलेजियम के नाम पर ब्राह्मणवादी व्यवस्था के तहत ब्राह्मणों का 99 फीसदी कब्जा है और वहां पर कोई परीक्षा नहीं होती, चाय पार्टी पर देश के कुछ ब्राह्मण परिवारों की बेटियों और दामादों का चयन होता है.’
‘हम लोग इसका पुरजोर विरोध करते हैं और इस कार्यक्रम के माध्यम से मांग करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में भी परीक्षा और अनुभव के माध्यम से जजों की नियुक्ति हो और उसमें भी 85 प्रतिशत लोगों का प्रतिनिधित्व आरक्षण के माध्यम से सुनिश्चित किया जाए.’
उन्होंने यह भी कहा कि उच्च पदों पर 90 प्रतिशत से ज्यादा उनका कब्जा है और जहां हमारे लोगों का थोड़ा-बहुत प्रतिनिधित्व होना शुरू हुआ, वहां पर उन्होंने निजीकरण कर दिया है या तो लगातार कर रहे हैं.’
इस मौके पर एडवोकेट मोहसिन शास्त्री ने कहा कि हम लोगों को खतरा 15 प्रतिशत ब्राह्मणवादी व्यवस्था के लोगों से नहीं है, बल्कि 85 प्रतिशत समाज के उन बिचौलियों से है जो हमारे समाज के नाम पर वोट लेते हैं. लेकिन दलाली ब्राह्मणवादी व्यवस्था की करते हैं और हमारे अधिकारों पर कुठाराघात करने में निर्णायक भूमिका निभाकर हमें गुमराह किए रहते हैं, जिससे हमारी लड़ाई खड़ी ही न हो पाए. एडवोकेट प्रेमनाथ शर्मा ने कहा कि आरक्षण में प्रोन्नति पर सुप्रीम कोर्ट का वर्तमान निर्णय का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि केशवानंद भारती के केस में 9 जजों की पीठ ने व तमाम संवैधानिक पीठों ने अपने फैसलों में कहा कि आरक्षण प्रतिनिधित्व का मामला है, ऐसे में उक्त फैसले का कोई औचित्य नहीं है. अगर इस फैसले को लागू करना है तो 11 जजों की संविधान पीठ से निर्णय पारित कराना होगा.
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एडवोकेट रामराज अशोक ने कहा कि ईवीएम के माध्यम से सरकार 85 प्रतिशत लोगों के प्रतिनिधित्व को खत्म करने की साजिश रच रही है और सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ईवीएम के माध्यम से स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव नहीं हो सकते. विश्व के तमाम विकसित देशों में यह मानते हुए कि ईवीएम के माध्यम से चुनाव में धांधली की जा सकती है, इसलिए इसकी जगह पर मतपत्र के माध्यम से चुनाव कराना शुरू कर दिया है. लेकिन यह तानाशाही सरकार लोकतंत्र व संविधान का गला घोंटकर मनुस्मृति के माध्यम से देश चलाना चाहती है, जिसे हम लोग स्वीकार नहीं करेंगे.
इस मौके पर अधिवक्ता रामदुलार ने कहा कि सीएए, एनपीआर और एनआरसी के माध्यम से सरकार 85 प्रतिशत लोगों की नागरिकता को खतरे में डालकर उन्हें मताधिकार और अन्य अधिकारों से वंचित करना चाहती है. अधिवक्ताओं ने कहा कि जब देश में विपक्ष-विहीन माहौल है, विपक्षी पार्टियां परिवार और पूंजी को बचाने में ईडी और सीबीआई के डर से सरकार के संविधान विरोधी नीतियों के खिलाफ मौन हैं. ऐसे में आम जनता जब सड़क पर अपने हक और संविधान की रक्षा के लिए सड़क पर उतरती है तो उसे फर्जी मुकदमे में फंसाकर जेलों में ठूंसा जा रहा है और बेरहमी से पिटाई की जा रही है, जिससे लोगों में दहशत और भय का माहौल है, जब-जब देश में आम जन के हक और सम्मान पर आंच आई तब-तब संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए अधिवक्ताओं ने नेतृत्व किया और बदलाव के वाहक बने.
इस मौके पर अधिवक्तागण सुरेंद्र चरण,नागेंद्र कुमार यादव, कैलाश सिंह, सुरेंद्र कुमार, राजेश गुप्ता, कन्हैया लाल पटेल, शिवपूजन यादव, चंदनराज, राजीव कुमार, राजनाथ, धम्मपाल कौशांबी, वीरबलि सिंह यादव, अशोक कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए. इस कार्यक्रम में चंद्रदेव प्रसाद, राजेश कुमार, संजय वर्मा, विनोद कुमार शर्मा, जितेंद्र गौतम, सूर्य प्रकाश भारती, अनूप कुमार गौतम, परमहंस शास्त्री, दिनेश कुमार, राजकुमार, त्रिभुवन प्रसाद, हीरालाल यादव, मनोज कुमार कनौजिया, लाल बहादुर लाल, त्रिभुवन नाथ, रमाशंकर राम (पूर्व डीजीसी), गुलाब प्रसाद, मणिकांत लाल, रामप्रसाद, मनोज कुमार, ओमप्रकाश जैसल व दूसरे तमाम अधिवक्ता मौजूद थे.
जनता के खौफ को दूर करने का होगा प्रयास
जिस समय देश में पुलिस लाठी डंडा चलाकर गरीबों और मजलूमों की आवाज़ को बंद करने की कोशिश कर रही है, जनता के सवालों और उसके उबाल को पुलिसिया दमन से और फर्जी मुकदमे में फंसाकर जिस तरह से खौफ पैदा किया गया है, उस खौफ को दूर करना है. लोगों के फिर से इकट्ठा करना है, उन्हें सड़क पर लाना है, उनकी आवाज को बुलंद करना है, जो अधिवक्ता आज तक उनकी आवाज़ को न्यायालय में उठाता था अब वो सड़क पर उतरने और उनकी अगुवाई करने के लिए तैयार हो गया है. इतना ही नहीं, वकीलों ने तय किया है कि विभागीय कारवाई से भी पीछे नहीं रहना है. इस महीने के आखिर या मार्च के शुरुआत में ये कार्यक्रम शुरू हो जाना है.
आने वाले समय के लिए ये है प्लान
कार्यक्रम में वकीलों ने तय किया है कि आने वाले समय में एक वर्कशॉप किया जाएगा, जिसमें एससी/एसटी मायनॉरिटी और प्रगतिशील विचारों को इकट्ठा किया जाएगा. इस वर्कशॉप के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाएगा. जिस समय देश में विपक्ष विहीन सरकार है, मीडिया, न्यायपालिका और सरकार जब अपना कम भूल बैठे हैं. तब ऐसे में काम करने की भूमिका बढ़ जाती है. इसलिए हम लोग जो भी सीएए/एनआरसी के माध्यम से और भी तरह-तरह के नियम लाकर हमारे नागरिकता को हमारे संविधान की हत्या करने का जो कार्यक्रम कर रहे हैं, उसके खिलाफ वर्कशॉप में रणनीति तय की जाएगी.
(रिज़वाना तबस्सुम स्वतंत्र पत्रकार हैं)