नई दिल्ली: चुनाव आयोग (ईसी) ने शुक्रवार को कहा कि वह राजनीति के अपराधीकरण के संबंध में उच्चतम न्यायालय के आदेश का पूरे दिल से स्वागत करता है. इसके साथ ही आयोग ने कहा कि न्यायालय का आदेश चुनावी लोकतंत्र में सुधार के लिए नए नैतिक मापदंडों की स्थापना में अहम भूमिका निभाएगा.
चुनाव आयोग ने एक बयान में कहा कि वह उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद मतदाताओं की जानकारी के लिए उम्मीदवारों और संबंधित राजनीतिक दलों द्वारा आपराधिक अतीत का प्रचार सुनिश्चित करने की खातिर 10 अक्टूबर 2018 के निर्देशों को फिर से जारी करेगा.
नवंबर 2018 से सभी चुनावों में अक्टूबर 2018 के निर्देशों को लागू किया जा रहा है.
Election Commission of India to implement the directions of Hon’ble Supreme Court concerning criminal antecedents of candidates by reiterating its existing instructions with suitable modifications.
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— Election Commission of India #SVEEP (@ECISVEEP) February 14, 2020
चुनाव निकाय ने बयान में कहा कि अब आयोग ने इन निर्देशों को उपयुक्त संशोधनों के साथ फिर से जारी करने का प्रस्ताव किया है ताकि न्यायालय के के निर्देशों का अक्षरश: पालन किया जा सके.
आयोग ने अक्टूबर 2018 में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिए अनिवार्य कर दिया था कि वे चुनाव के दौरान कम से कम तीन बार टेलीविजन और अखबारों में अपने आपराधिक अतीतों का विज्ञापन करें.
आयोग ने स्पष्ट किया था कि उम्मीदवारों को अपने आपराधिक अतीत के बारे में टीवी और अखबारों में विज्ञापन देने का खर्च वहन करना होगा क्योंकि यह ‘चुनाव खर्च’ की श्रेणी में आता है.
न्यायालय के आदेश पर आयोग ने कहा कि वह इस ऐतिहासिक आदेश का पूरे दिल से स्वागत करता है और यह आदेश चुनावी लोकतंत्र की समग्र बेहतरी के लिए नए नैतिक मापदंड तय करने में लंबा रास्ता तय करेगा.
उच्चतम न्यायालय ने अपने एक दूरगामी फैसले में बृहस्पतिवार को राजनीतिक दलों को निर्देश दिया था कि वे अपने उम्मीदवारों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों का ब्यौरा और उनके चयन की वजहों के साथ ही बिना आपराधिक अतीत वाले लोगों को टिकट नहीं देने के कारणों को अपनी वेबसाइटों और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर अपलोड करें.