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Thursday, 21 November, 2024
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सुप्रीम कोर्ट का राजनीतिक दलों को निर्देश- अपने आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों की सूचना सार्वजनिक करें

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि सियासी दल उम्मीदवारों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की विस्तृत जानकारी सोशल मीडिया और अखबारों में दें.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति में आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों की संख्या बढ़ने पर चिंता जताते हुए पार्टियों को इनका विवरण अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश दिया है. साथ ही उनके नाम सोशल मीडिया और अखबारों में भी प्रकाशित कराने को कहा है. अदालत ने कहा बीते चार चुनाव में राजनीति में अपराधीकरण तेजी से बढ़ा है.

सर्वोच्च अदालत ने सियासी दलों से कहा है कि उन्हें वेबसाइट पर यह बताना होगा कि उन्होंने ऐसे उम्मीदवार क्यों चुनें जिनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं.

अदालत ने कहा कि सियासी दल उम्मीदवारों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की विस्तृत जानकारी सोशल मीडिया और अखबारों में दें.

सियासी दलों को ऐसे उम्मीदवार को चुनने के 72 घंटे के भीतर चुनाव आयोग को अनुपालन रिपोर्ट देनी होगी जिसके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं.

जिन उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं उनके बारे में अगर राजनीतिक दल न्यायालय की व्यवस्था का पालन करने में असफल रहते हैं तो चुनाव आयोग इसे शीर्ष अदालत के संज्ञान में लाए.

न्यायालय ने कहा कि जिन उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं उनके बारे में अगर राजनीतिक दल न्यायालय की व्यवस्था का पालन करने में असफल रहते हैं तो चुनाव आयोग इसे शीर्ष अदालत के संज्ञान में लाए.

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि बीते चार आम चुनाव से राजनीति में आपराधीकरण तेजी से बढ़ा है.

न्यायालय ने एक अवमानना याचिका पर यह आदेश पारित किया। उस याचिका में राजनीति के अपराधीकरण का मुद्दा उठाते हुए दावा किया गया था कि सितंबर 2018 में आए शीर्ष अदालत के निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा है जिसमें सियासी दलों से अपने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड का खुलासा करने को कहा गया था.

न्यायमूर्ति रोहिन्टन फली नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सियासी दल उम्मीदवारों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की विस्तृत जानकारी फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, क्षेत्रीय भाषा के एक अखबार और एक राष्ट्रीय अखबार में प्रकाशित करवाएं.

(न्यूज एजेंसी भाषा के इनपुट्स के साथ)

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1 टिप्पणी

  1. पहल तो अच्छा है पर सिर्फ जानकारी देने पर क्या होगा,अगर चुनाव लड़ने से रोका जाए तब जानकारी का महत्व है।हालांकि फिर बेदाग उम्मीदवार मिलना कठिन होगा।इस निर्णय का टाइमिंग ये भी सिद्ध करता है कि सुप्रीम कोर्ट भी आप पार्टी के विजय से परेशान तो नही है?

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